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कविता: “जनता मूर्ख बने जहां, वहां लड़ेंगे नेताजी”

राजनैतिक रैली

राजनैतिक रैली

सालों से हैं सोच रहें, क्या करेंगे नेताजी

जनता मूर्ख बने जहां, वहां लड़ेंगे नेताजी।

 

सीने में आग लगाकर, जाति धर्म समझाकर

सबको जलाकर इसी तरह, धुआं करेंगे नेताजी।

 

डर लगता है  जिस गली,  दिन में आने जाने में

गुंडे सारे भाड़े पर हैं, फिर क्या डरेंगे नेताजी।

 

जिन गरीबों को घर नहीं, कैसे जलाएंगे वो चूल्हे

सभी गरीबों का हक खाकर, दुआ करेंगे नेताजी।

 

नोटा दबेगा सबसे ज़्यादा, वहां भी वही जीतेंगे

मुर्दे वोटर जिनके साथ, तब क्या मरेंगे नेताजी।

 

नोट: तस्वीर प्रतीकात्मक है। Source: Flickr

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