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गाय के नाम पर दंगा करने वाले आगरा में छात्रा को ज़िंदा जलाने पर क्यों मौन हैं?

स्कूल से लौट रही दसवीं की छात्रा संजली को अंदाज़ा नहीं था कि कुछ भेड़िये रास्ते में उसका इंतज़ार कर रहे होंगे, ऐसे राक्षस जो उसे पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर देंगे। जानता हूं कि किसी के ज़िंदा जलाए जाने की घटना की कल्पना मात्र से आपकी रूह कांप जाएगी लेकिन साहस बनाए रखिए क्योंकि इसी समाज में एक ऐसा कुकृत्य हुआ है जो मानवता को शर्मशार कर देगा।

मामला आगरा के पास के एक गाँव का है जहां स्कूल से छुट्टी के बाद घर लौट रही संजली को कुछ लोगों ने आग के हवाले कर दिया। आपको लग रहा होगा कि दिनदहाड़े कोई कैसे किसी पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा सकता है लेकिन धीरज रखिए क्योंकि आप उत्तर प्रदेश में हैं और यहां आपको हर रोज़ अपराध की नई परिभाषाएं और पुलिसिया तंत्र के बड़े ही बहादुर बहाने मिलेंगे।

कई स्थानीय लोगों से मैंने बात की और सबने अपनी अलग-अलग कानाफूसी वाली कहानी गढ़ दी। कहानियों को छोड़कर हकीकत की ओर रुख करते हैं। घटना मंगलवार को हुई थी और आज चार दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। इस मामले में तहकीकात का एक ऐसा नाटक चल रहा है जहां पुलिस मेहनत नहीं करती बल्कि जिस पर शक होता है, उसे थाने बुलाती है।

तस्वीर प्रतीकात्मक है। फोटो साभार: Flickr

सोचिए मामला कितना जघन्य और संवेदनशील है, ऐसे में आपको क्या लगता है कि जिन लोगों पर शक है, उन्हें थाने में हाज़िरी लगाने का हुक्म देना चाहिए या फिर धरपकड़ करनी चाहिए? जवाब बहुत आसान है लेकिन पुलिस को यह आसान बातें अपना रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिहाज में समझ ही नहीं आती।

आपको बता दें छात्रा को 80 फीसदी जली अवस्था में आगरा के ‘एसएन मेडिकल कॉलेज’ के आईसीयू में भर्ती कराया गया गया था जहां से नई दिल्ली के ‘सफदरगंज अस्पताल’ में रेफर कर दिया गया। 15 वर्षीय संजली ने बृहस्पतिवार को सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। संजली का शव जब घर पहुंचा तब लोगों में व्यवस्था के खिलाफ काफी गुस्सा था।

आखिर गुस्सा हो भी क्यों ना, बेटी को सुरक्षा देने के वादे से कुर्सी पाने वाले जब बेटियों को दिन में ना बचा पाएं तब जनाक्रोश को रोकना मुश्किल हो जाता है। परिवार की मांग थी कि मुख्यमंत्री आएंगे तभी अंतिम संस्कार किया जाएगा लेकिन याद रखिए, यह किसी स्टार की शादी नहीं थी, किसी उद्योगपति की बेटी की शादी नहीं थी जहां नेता हाज़िरी लगाते।

यहां तो एक गरीब की बेटी मारी गई थी इसलिए पांच लाख का चेक लिए सीएम के दूत बनकर उप-मुख्यमंत्री पहुंचे और प्रशासन के बल पर अंतिम संस्कार करा दिया गया। याद रहे, स्थानीय सूत्रों ने बताया है कि दाह संस्कार से पहले पुलिस रिश्तेदारों को हिरासत में लेने लगी थी, यानि जो आक्रोश में आवाज़ उठाने की कोशिश कर रहा था, खाकी उसे उठा रही थी।

अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने सरकार को घेरा है!

समाजवादी पार्टी के मुखिया यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले पर कहा है, “पेट्रोल डालकर छात्रा को ज़िंदा जलाने की कोशिश दर्शाती है कि हमारे प्रदेश में अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं। ऐसा दो ही वजहों से हो सकता है या तो असामाजिक तत्वों को सरकार का डर नहीं है या फिर उन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है।”

अखिलेश यादव। फोटो साभार: Getty Images

संजली की अस्पताल में मौत के बाद अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव ने कहा, “आगरा की संजली की जान नहीं बचाई जा सकी। आज प्रदेश के हर माता-पिता की यही मांग है कि उसको जलाकर मारने वालों को किसी भी हालत में छोड़ा ना जाए, ना ही कोई राजनीतिक बहाना बनाया जाए। बेहद दर्दनाक, दु:खद, शर्मनाक, निंदनीय।”

तमाम तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं हैं लेकिन हम कितने संवेदनशील हैं, क्योंकि हमारी संवेदनाएं ही हैं जो इस तंत्र पर प्रहार करेंगी और इसे कड़े फैसले लेने के लिए मजबूर करेंगी।

संजली की मौत के बाद उसके ताऊ के लड़के ने भी की खुदकुशी

संजली मर्डर केस में पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा और इतने ही में एक और मामले ने मुश्किलें तेज़ कर दी। संजली के ताऊ के बेटे ने ज़हर खाकर अपनी जान दे दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने योगेश को संदिग्धों की सूची में रखा था और उसका मोबाइल भी ज़ब्त कर लिया था।

इस इलाके में दो तरह की चर्चाएं हो रही हैं। एक पक्ष कह रहा है कि योगेश ने बहन की मौत से क्षुब्ध होकर और हत्यारों के डर के कारण अपनी जान दी है तो वही दूसरा पक्ष दबे स्वर में कह रहा है कि मामले में योगेश का नाम आने की वजह से उसने खुदकुशी की है।

एक सवाल हमारे लिए भी है कि हमारा खून कब खौलेगा? राजनीति ने गाय को कुछ इस तरह इस्तेमाल किया है कि अब हम इससे आगे कुछ सोच ही नहीं सकते हैं।

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