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“राजस्थान में क्या एग्ज़िट पोल में कॉंग्रेस की जीत की भविष्यवाणी सही होगी?”

चुनाव होने के बाद और नतीजों के आने से पहले नेताओं की धड़कने भले ही तेज़ी से बढ़ने लगती हो लेकिन देश के नागरिकों का पूरा ध्यान एग्ज़िट पोल पर टिका होता है। लोग इन एग्ज़िट पोल द्वारा हवा को समझने की कोशिश में लग जाते हैं कि इस बार किसकी पार्टी सत्ता से एग्ज़िट होने वाली है और कौन कुर्सी पर बैठने वाला है।

वैसे तो एग्ज़िट पोल हमेशा सटीक नहीं होते हैं और कई बार नतीजे आने वाले दिन असल आंकड़ों ने एग्ज़िट पोल के खेल को गलत ठहराया है लेकिन फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एग्ज़िट पोल हवा के रुख को तो बता ही देते हैं।

7 दिसंबर को राजस्थान में वोट डालने के साथ ही शाम से एग्ज़िट पोल आने प्रारम्भ हो गए हैं और हर चैनल ने अपने-अपने एग्ज़िट पोल बड़े उत्साह के साथ लोगों के सामने रखने शुरू कर दिए हैं।

सभी एग्ज़िट पोल को मिलाकर देखा जाए तो राजस्थान में कॉंग्रेस आराम से सरकार बनाती नज़र आ रही है और मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मामले में आंकड़ों में एक जैसी राय नहीं है, जिसका मतलब यह है कि सरकार किसी की भी बने फासला बहुत कम का होने वाला है और मिज़ोरम में कॉंग्रेस के हाथ से सत्ता जाती हुई नज़र आ रही है। वहीं तेलंगाना में सत्ताधारी पार्टी शायद अपनी सत्ता बचाने में कायम हो जाये।

वैसे तो चुनाव 5 राज्यों में हुए थे लेकिन सबकी नज़र राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर थी क्योंकि यहां का रुख 2019 में निर्णायक हो सकता है।

चुनाव प्रचार में राहुल गांधी और प्रधानमंत्री के बीच तीखी बहस देखने को मिली लेकिन इन तीनों राज्यों के चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री से ज़्यादा राहुल गांधी के लिए चुनौती है कि वो विपक्ष के नेता के रूप में उभर पाएं और कॉंग्रेस के अस्तित्व को बचाएं।

“चौकीदार चोर है, वक्त है बदलाव का” और “महारानी तेरी खैर नहीं” जैसे नारों के साथ कॉंग्रेस इन तीनों राज्यों में डटकर मुकाबला करती रही है और इसका नतीजा यह है कि एक राज्य में तो कॉंग्रेस की वापसी तय है।

लेकिन राजस्थान की जीत से ज़्यादा मध्यप्रदेश में जीत मायने रखेगी। क्या कॉंग्रेस जीत पायेगी इसका फैसला तो 11 को ही होगा। अगर यह मुकाबला 3-0 से कॉंग्रेस के नाम रहता है तो राहुल गांधी अपना नाम बनाने में कामयाब हो जायेंगे और आम राय यही बनेगी कि प्रधानमंत्री की रैलियों से नहीं, काम से जीत-हार का फैसला होगा।

अगर यह आंकड़ा 2-1 से कॉंग्रेस के नाम रहा तो यह समझाना कॉंग्रेस को मुश्किल हो जायेगा कि राजस्थान में कॉंग्रेस जीती है या लोगों ने महारानी को हराया है और उस जीत को राहुल गांधी के सर पर नहीं सजाया जा सकता।

अगर आंकड़ा 3-0 से भाजपा के पक्ष में गया तो फिर राहुल गांधी को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जायेगा और कॉंग्रेस को 2019 छोड़कर 2024 की तरफ अपना रुख मोड़ना पड़ जायेगा।

केवल इतना ही नहीं कॉंग्रेस अध्यक्ष की काबिलियत और वंशवाद की चर्चा में राहुल गांधी घिर कर रह जायेंगे और उनकी विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी।

साथ में यह भी साफ हो जायेगा कि प्रधानमंत्री और स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ के सामने अभी चुनाव के इस महा खेल में कोई खड़ा नहीं है। यह केवल एग्ज़िट पोल पर आये आंकड़ों पर आंकलन है और असली तस्वीर बाकी है, जिसको जानने के लिए 11 तक इंतज़ार तो करना ही होगा।

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