हमने सालों की लड़ाईयों के बाद गोरे अंग्रेज़ों से तो आज़ादी हासिल कर ली लेकिन मौजूदा दौर में हम भ्रष्टाचार के जंजीरों में गुलाम हो चुके हैं। भ्रष्टाचार हिन्दुस्तान में एक बड़ी समस्या बन गई है। आलम यह है कि कोई भी सरकारी काम बिना घूस दिए नहीं होता है। या तो अधिकारी के मांगने पर या तो अपना काम जल्दी करवाने की मजबूरी में हम घूस दे देते हैं। कुछ लोग तो अपना काम जल्दी करवाने के लिए घूस देने को अपनी शान समझने लगे हैं। घूस देना एक फैशन सा होता जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक अधिकार समूह ‘ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल’ द्वारा कराए गए इस सर्वे के मुताबिक भारत में 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक सेवाएं लेने के बदले घूस देनी पड़ी, जबकि वियतनाम में ऐसा कहने वालों की संख्या 65 फीसदी, पाकिस्तान में 40 फीसदी और चीन में 26 फीसदी थी। सर्वे के मुताबिक रिश्वत की मांग करने वाले लोक सेवकों में पुलिस का स्थान शीर्ष पर रहा। सर्वे में 85 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पुलिस में लगभग सभी भ्रष्ट हैं।
सर्वे के मुताबिक 71 फीसदी लोगों ने धार्मिक नेताओं को भ्रष्ट माना। सर्वे में केवल 14 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि कोई भी धार्मिक नेता भ्रष्ट नहीं है, जबकि 15 प्रतिशत उनके भ्रष्ट तरीकों से परिचित नहीं थे।
एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण सिर्फ भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने से नहीं होगा बल्कि हमें और आपको भी इस दिशा में पहल करने की ज़रूरत है। जब रेड लाइट पर पुलिस वाला आपसे रिश्वत मांगे तब या तो आपके पास सारे कागज़ात हों और अगर आपकी गलती है फिर उनसे चालान काटने को कहिए। हमेशा ऐसा देखा जाता है कि लोग चालान कटवाने की बाजए कुछ पैसे देकर निकल जाते हैं। ऐसी चीज़ों से पुलिस वालों का हौसला और बढ़ जाता है।
राजनेता जब आपसे वोट मांगने आए तब उनसे पूछिए कि जो वादे उन्होंने किए थे वे क्यों नहीं पूरे हुए। यदि आपको लगता है कि आपके मोहल्ले की गलियों की सड़कें ठीक नहीं हैं, तब अपने जन-प्रतिनिधि से सवाल करिए। यही एक स्वस्थ्य लोकतंत्र की पहचान है। हिन्दुस्तान को यदि वाकई में तरक्की की राह पर आगे ले जाना है तब हमें भ्रष्टाचार नामक बिमारी का इलाज करना पड़ेगा।