जब मैंने अपने एक दोस्त को अपने रेप के बारे में बताया तो उसका पहला सवाल था, “क्या उन्होंने तुम्हारे साथ सेक्स भी किया?” वो बातचीत वहीं पर खत्म हो गई। मुझे नहीं पता मेरा वह दोस्त उस घटना का वर्णन किस रूप में चाहता था लेकिन मुझे अपने दोस्त से इस तरह के सवाल की उम्मीद नहीं थी।
मैं अपना मन हल्का करने के लिए बहुत भरोसे के साथ उससे बात करना चाहती थी, उसे बताना चाहती थी किस कदर उस घटना ने मुझे मारा है और किस तरह मैं हर रोज़ मरती हूं। मगर उसका वह सवाल एक मर चुके इंसान को वापस से मारने जैसा था।
चार साल पहले दिल्ली में मेरा गैंग रेप हुआ था। मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों चोट लगी थी। मैं इस बारे में बात करना चाहती थी किसी खास इंसान से, जो मुझे समझ सके। एक इंसान से मैंने बात करने की कोशिश भी की। मैं फोन पर रोए जा रही थी, कुछ देर मेरा रोना सुनने के बाद फोन की दूसरी तरफ से जवाब आया, “तुम ओवर रिएक्ट कर रही हो”।
मेरे पास उस वक्त इसका कोई जवाब नहीं था। मैं इस कदर कमज़ोर पड़ चुकी थी कि मैंने कुछ पल के लिए मान लिया हां, मैं ओवर रिएक्ट कर रही होंगी। मेरी एक कोशिश नाकामयाब रही और दोबारा जब एक दूसरे दोस्त से बात करना चाही तो “क्या उन्होंने तुम्हारे साथ सेक्स भी किया” जैसा सवाल थोप दिया गया।
दो बार मुश्किल से जुटाई हिम्मत के बाद ऐसी प्रतिक्रियाओं का शायद मुझे अंदाज़ा नहीं था और इन प्रतिक्रियाओं ने मेरे अंदर की उन तमाम कोशिशों को कब्र में डाल दिया जिसके ज़रिए मैं अपने अंदर का डर, गुस्सा किसी को व्यक्त कर सकती थी।
ना ही घर वालों को कुछ बताया, ना ही अपने किसी दोस्तों से कुछ कहा। सर पर लगी गंभीर चोट का खुद से इलाज करवाती रही लेकिन उस मानसिक चोट का इलाज मेरे पास नहीं था। इन सब चीज़ों के बीच हिम्मत खोता देख मैंने इस शहर को छोड़ना ठीक समझा और मैं अपने घर वालों के पास चली गई।
इस बार भी यह सोच कर गई कि शायद मैं मौका निकालकर अपने मां-पापा को सबकुछ बताऊंगी। मगर जब भी बताने के लिए आगे बढ़ी इस डर से मेरे कदम अपने आप रुक गए कि वो इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। जो मां-बाप अपनी बेटी को लगी एक छोटी सी चोट से बुरी तरह घबरा जाते हैं उनके लिए अपनी बेटी के साथ हुई इस घटना को बर्दाश्त करना आसान नहीं होता। मैंने तभी निश्चय किया कि अपने साथ अपने ही घर में और ज़िन्दा लाशों की तादाद नहीं खड़ी करूंगी।
ऐसे ही साल बीतते गए, इन बीते सालों में मैंने कई बार सुसाइड करने की कोशिश की। कई बार सिर्फ खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश की। मानसिक पीड़ा को कम करने के लिए मैंने कई दफा खुद को शारीरिक पीड़ा देने की कोशिश की और इस तरह की चीज़ें आज भी जारी हैं।
हां, इस बीच एक या कहूं दो लोग ऐसे मिले जिन्होंने मुझे सुनने की कोशिश की लेकिन मैं बावजूद उनसे खुलकर बात नहीं कर सकी। शायद मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं उन्हें सारी बातें विस्तार से बता सकूं। मैंने उन्हें उस घटना के बाद के संघर्ष के बारे में ज़रूर बताया लेकिन उस रात की बात पर बात नहीं कर सकी।
मुझे उस रात की बात हमेशा डराती है, मेरा एक डरावने साये के जैसा पीछा करती हैं लेकिन, शायद यह इसलिए भी है कि वो डर जानता है कि मैं इस लड़ाई में अकेली हूं, ना ही कोई मेरी आवाज़ सुनने के लिए है, ना ही कोई इस डर से लड़ाई में मेरे साथ खड़ा है।
बेशक, किसी को सबकुछ बताने से मेरे रात के वे डरावने सपने शायद खत्म ना हो, बेशक, मुझे कई रातों तक नींद ना आने की परेशानी खत्म ना हो, बेशक, मेरी नींद की गोलियां खाने की ज़रूरत खत्म ना हो लेकिन फिर भी मैं बोल देना चाहती हूं सबकुछ, कारण मुझे खुद नहीं पता।
अभी पिछले ही सप्ताह मैं उस घटना वाली जगह होकर आई हूं, यह पहली बार था जब मैंने वहांं जाने की हिम्मत जुटाई। मैंने क्या अनुभव किया मैं शायद यहां बता नहीं पाऊं मगर मुझे ऐसा लगा कि मैंने अपने डर को उस जगह जाकर एक चुनौती दी है।
मेरा यह सब लिखने का मकसद अपने प्रति कोई बेचारगी की भावना को जन्म देना नहीं है, मैं कोई बेचारगी की भावना चाहती भी नहीं हूं। बस एक लड़ाई लड़ रही हूं जिसमें कभी-कभी किसी के साथ ही ज़रूरत महसूस होती है लेकिन मैंने अब इस लड़ाई को अकेले लड़ना सीख लिया है अब आदत सी पड़ गई है।
लेकिन मेरी जैसे कहानी किसी और की भी हो सकती है। अगर ऐसी कहानी से कभी आपकी मुलाकात हो तो आप उस कहानी को तसल्ली से समझने की कोशिश कीजिएगा, उस पर क्षणिक प्रतिक्रिया देने से पहले एक बार विचार ज़रूर कीजिएगा। हो सकता है सामने वाले ने बहुत हिम्मत करके आपसे बात करने की कोशिश की हो लेकिन आपकी एक गलत प्रतिक्रिया उसकी वो मुश्किल से जुटाई कोशिश को हमेशा के लिए मार सकता है।
Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें
Annapurna Gaur
Sorry but aapne galt kiya maanti hoon bahut mushkil raha hoga wo waqt aapke liye, aapne apne parents k baare m soch but aapka police complaint na krna un darindon ki himmT or bdhaayega…. Aapko police k pass jana chahiye tha complain karni thi….. Jurm ko chuupana bhi galt hai…..
Aniruddh Shrivastava
More power to you