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बाबरी मस्जिद: “देश के युवाओं को हमेशा से भीड़ में बदलकर बर्बाद किया जा रहा है”

6 दिसंबर 1992 को जो भी हुआ वह वास्तव मे भारतीय इतिहास में एक कलंक है। इन दंगों मे देशभर में हज़ारों मासूम मारे गए। ना जाने कितनी संपत्ति का नुकसान हुआ।

उस दिन बाबरी मस्जिद को तोड़ते वक्त इस लोकतंत्र को लहूलुहान किया जा रहा था। बाबरी मस्जिद तोड़ी जा रही थी लेकिन भीड़ पर शासन-प्रशासन कार्यवाही करने से डर रहे थे। हमारे देश में उस भीड़ के अब भी समर्थक हैं।

6 दिसंबर को हाथ में कुछ लोग तलवारें लेकर सड़कों पर शौर्य दिवस मनाते हैं। मैं उन लोगों से बस यही कहूंगा कि आप लाखों की भीड़ इकट्ठा करके अल्पसंख्यकों के धार्मिक (विवादित) स्थल को गिराने को अपना शौर्य समझते हैं तो आप गीदड़ से भी बदतर हैं।

इस शौर्य दिवस की भीड़ में युवाओं की संख्या देखने लायक होती है। हमारे देश के युवाओं को बर्बाद किया जा रहा है, उन्हें भीड़ की शक्ल में बदलकर। न्यूज़ चैनल राम मंदिर पर डिबेट करवाकर युवाओं के दिमाग में ज़हर भर रहे हैं। यह ज़हर अचानक से नहीं भरा गया। पहले उन्हें एक पार्टी विशेष का कट्टर समर्थक बनाया गया, फिर उनके दिमाग में धार्मिक कट्टरता भरी गयी। झूठी खबरें और बिना तथ्यों की बहस करके हिंदू मुस्लिम डिबेट दिखाई गई।

धार्मिक कट्टरता एक तरह का नशा होता है जिसकी लत लोगों को लगा दी गई है। जो इस लत का एक बार शिकार हो गया तो बहुत मुश्किल से यह लत छूटती है। हमारे देश के युवाओं को इसकी लत लगायी जा रही है, जिससे वो एक पार्टी के समर्थक बनकर रह जाए। उनकी सोचने समझने की शक्ति को क्षीण किया जा रहा है।

मुझे इस बात का दुख नहीं कि मस्जिद का पुनर्निर्माण नहीं हुआ और ना ही इस बात की चिंता कि वहां मंदिर बनेगा या मस्जिद या कुछ भी नहीं। मुझे इस बात का दुख है कि न्यायालय ने सबकुछ जानते हुए भी भगवा चोला डाले हुए कट्टरवादी भीड़ को और उसके संगठनकर्ताओं और नेतृत्वकर्ताओं को अभी तक सज़ा नहीं दी है। जबकि वो खुद मीडिया पर आकर कहते हैं कि बाबरी मस्जिद को गिराने में उनका हाथ था।

बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए कारसेवकों को पहले से ही प्रशिक्षित किया गया था, ऐसा फोटोग्राफर प्रवीण जैन द्वारा ली गई फोटो से सिद्ध होता है। इसका अर्थ यह है कि जिसने भी भीड़ जुटाई उसने बाबरी मस्जिद को गिराने के अंदेशे से ही जुटाई ना कि भीड़ अचानक भड़की।

बाबरी मस्जिद को गिराने में जिन दो संगठनों बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् की मुख्य भूमिका थी उनको तो CIA ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है लेकिन भारतीय न्यायपालिका से अभी भी अल्पसंख्यकों को न्याय की आशा है कि राम-मंदिर बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के बजाए बाबरी मस्जिद विध्वंस का फैसला कोर्ट पहले सुनाए और दोषियों को सज़ा दे।

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