“जान-जमीन व रोज़गार बचाओ, आरआरएस-भाजपा मुक्त देश बनाओ” के नारे के साथ शुरू ‘झारखंड बचाओ-देश बचाओ’ पदयात्रा का दूसरा चरण रविवार को 9वें दिन संपन्न हुआ। झारखंड में संघर्षरत युवाओं ने ज्वलंत प्रश्नों पर जनता की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी को बुलंद करने के लिए पिछले दिनों झारखंड जनतांत्रिक महासभा का गठन किया है।
इस बैनर तले ऐतिहासिक व साहसिक पहलकदमी लेते हुए पहले दौर में घाटशिला से रांची तक की लगभग 200 किलोमीटर की ‘झारखंड बचाओ-देश बचाओ’ पदयात्रा हुई है। अब दूसरे चरण में संथाल परगना में महगामा के शहीद भगत सिंह चौक से 1 दिसंबर से शुरू हुई पदयात्रा लगभग 225 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए रविवार 9 दिसंबर को दुमका में हज़ारों की सभा के साथ संपन्न हुई।
दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुसलमानों व महिलाओं पर बढ़ते ज़ुल्म और संविधान व लोकतंत्र पर बढ़ते हमले ,मॉब लिंचिंग, झारखंड में भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में संशोधन व जल-जंगल-ज़मीन की लूट के खिलाफ संपूर्ण झारखंड राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 73 प्रतिशत करने, सभी अनुबंध कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देकर समान काम के लिए समान वेतन देने सहित अन्य मांगों को लेकर ‘झारखंड बचाओ-देश बचाओ पदयात्रा’ चल रहा है।
इस पदयात्रा का केन्द्रीय नारा है, “जान-ज़मीन व रोज़गार बचाओ, आरआरएस-भाजपा मुक्त देश बनाओ।” पदयात्रा में हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में लोगों की भागीदारी हुई। इस दौरान गाँव-टोलों में बैठकों के साथ चौक-चौराहों पर नुक्कड़ सभाओं का सिलसिला जारी रहा।
दूसरे चरण में महगामा के भगत सिंह चौक से आरम्भ होकर यह पदयात्रा पथरगामा, गोड्डा, पोड़ैयाहाट, हंसडीहा, सरैयाहाट, मोहनपुर, देवघर, देवीपुर, मधुपुर, सारठ, सोनाराय ठाड़ी, जरमुंडी, जामा, महारो होते हुए आज दुमका तक पहुंची।
झारखंड की उपराजधानी दुमका ज़िले में समापन सभा के दौरान विभिन्न इलाकों से हज़ारों की संख्यां में महिला, पुरुष और नौजवान छात्र शामिल हुए।
दुमका पहुंचने के बाद सिदो-कान्हू, बाबा साहेब अंबेडकर, बिरसा मुंडा, तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। दुमका शहर में दुधानी चौक, टीन बाज़ार चौक, पोखरा चौक, डीसी चौक होते हुए मेन बाज़ार चौक पर पदयात्रा का समापन हुआ।
उल्लेखनीय है कि ‘झारखंड बचाओ-देश बचाओ’ पदयात्रा का पहला चरण कोल्हान में 24 से 30 अक्टूबर 2018 को घाटशिला से जमशेदपुर होते हुए रांची तक किया गया था।
सभा को संबोधित करते हुए जेएनयू में सामाजिक न्याय की लड़ाई से जुड़े रहे झारखंड जनतांत्रिक महासभा के बीरेंद्र कुमार ने कहा कि जहां देश और झारखंड राज्य की जनता अपनी बुनियादी समस्या जैसे रोज़ी-रोटी व रोज़गार के सवाल से जूझ रही है, वही केन्द्र तथा झारखंड राज्य की सरकारें, भाजपा, RSS, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद जैसे फासीवादी ब्राह्मणवादी ताकतें एक बार फिर से हिन्दुत्व के नाम पर धार्मिक उन्माद पैदा कर एक भय और खौफ का माहौल पेश कर रहे हैं।
बकौल बीरेंद्र, “पूरे देश में गौमांस और गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों, दलितों, आदिवासियों का मॉब लिंचिंग किया जा रहा है। केन्द्र तथा राज्य की भाजपा सरकारें जनता के रोज़ी-रोटी, रोज़गार व शिक्षा-स्वास्थ्य के सवालों पर नाकाम साबित हुई है और जनता का इन सवालों से ध्यान भटकाने के लिए मंदिर का फिर से राग अलाप रही है। यह ताकतें आम जन व हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ना चाहती है।”
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाया गया संविधान दलित, पिछड़े, आदिवासी, महिलाओं को सम्मान व बराबरी के साथ गरिमापूर्ण जीवन के लिए हक-अधिकार की गारंटी देता है। भाजपा के सांसद-विधायक इस संविधान को बदलने की बात करते हैं जिससे साफ मालूम होता है कि वे शोषित समाज के लोगों को मिले बराबरी के हक-अधिकार को खत्म करना चाहते हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने आगे कहा, “इस देश में संविधान व लोकतंत्र खतरे में है। ऐसा लगता है एक तरह का अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। सरकार के जन-विरोधी नीतियों के विरोधी आवाज़ को बर्बरतापूर्वक दबा देने की कोशिश हो रही है। इस पदयात्रा के माध्यम से झारखंड जनतांत्रिक महासभा पूरे देश में मॉब लिंचिंग बंद करने तथा इसमें शामिल दोषियों को सज़ा देने की मांग करती है।”
बीरेन्द्र कुमार का कहना है कि जबसे केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार आई है तबसे झारखंडी हक अधिकारों के कानूनों का परिवर्तन किया जा रहा है। रघुवर सरकार ने पहले सीएनटी/एसपीटी ऐक्ट में छेड़छाड़ करने की कोशिश की और फिर जनांदोलन को देखते हुए इस ऐक्ट में छेड़छाड़ को वापस लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि यह रघुवर सरकार की ही देन है कि कॉरपोरेट लॉबी के हित में भूमि अधिग्रहन अधिनियम कानून 2013 में संशोधन किया जिससे अब कॉरपोरेट को ज़मीनों की लूट करने की आज़ादी मिल गई है। अब जमीन अधिग्रहण करने के लिए खतियानी रैयत और ग्राम सभा की मंजूरी की भी ज़रूरत नहीं है जो झारखंडी हित के खिलाफ है। इस संशोधन को हमलोग वापस करने की मांग करते हैं।
पदयात्रा को समर्थन देने के लिये दुमका ज़िले के पारा शिक्षकों का एक समूह आया। पारा शिक्षकों ने सभी पदयात्रियों को माला पहनाकर स्वागत किया। पदयात्रा को समर्थन देने के लिए गुजरात से इंडिजिन्स आर्मी ऑफ इंडिया के संस्थापक डॉ. प्रफुल्ल वसावा एवं राज वसावा आए थे। डॉं प्रफुल्ल वसावा ने कहा कि गुजरात हो या झारखंड, छत्तीसगढ़ हो या ओड़िशा, जहां भी आदिवासी हितों का हनन होगा, हमलोगों को एकजुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा। देश के एसटी, एससी, ओबीसी को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
राज वसावा ने कहा कि झारखंड में आदिवासी- मूलवासी का हक-अधिकार भाजपा के शासन काल में सम्भव नहीं है। इस ज़ालिम सरकार को उखाड़ फेंकने की ज़रूरत है।
मेरी निशा हेम्ब्रम ने कहा कि 56 इंच के सरकार से हम महिलाएं 56 सवाल करती हैं। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि देश में महिलाओं के लिए पहला स्कूल ‘सावित्री बाई फुले’ और ‘शेख फातिमा’ ने खोला था लेकिन भजपा के सरकार में महिलाओं के ऊपर सबसे ज़्यादा खतरा बढ़ा है।
सुरेंद्र मोहली ने कहा कि झारखंड में इस साल बारिश ठीक से नहीं हुई है। धान की खेती चौपट हो गई। इधर सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए एक या दो जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने में लगी है। हमलोग मांग करते हैं कि संपूर्ण झारखंड को सूखाड़ क्षेत्र घोषित किया जाए।
झारखंड जनतांत्रिक महासभा की एकजुटता में इस पदयात्रा में सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार की ओर से अंजनी और मिथिलेश विश्वास शुरू से अंत तक शामिल रहे। रविवार को पदयात्रा में ललन प्रसाद, अनूप महतो, राजू अंसारी, अमित, अंकुर महतो, लखींद्र टुडू, मनीष, चन्दन मण्डल, मनीष जायसवाल, अरविंद किस्कु, प्रेम मार्डी, राजीव कुमार, शिव चरण टुडू, गुरु टुडू, नावेल, जॉर्ज केरकेट्टा, शंभु कुंवर आदि लोग मुख्य रूप से शामिल थे।