2013 विधानसभा चुनाव में 165 सीटों के साथ जो प्रचंड बहुमत से भाजपा मध्य प्रदेश में आई थी, उसका कुछ श्रेय तत्कालीन मोदी लहर को भी गया था। मध्य प्रदेश की 2018 की हार की वजह वही मोदी सरकार की नीतियां व बयान भी बने।
गौरतलब हो कि 15 वर्ष भाजपा की सरकार वाले प्रदेश में 2018 के चुनाव में कॉंग्रेस 114 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। वही भाजपा 109 सीट पर सिमट गई है। देखा जाए तो 109 सीटों का आंकड़ा वो भी 15 साल की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद खराब दिखाई नहीं पड़ता।
2003 में जिस प्रदेश की जनता ने दिग्विजय सरकार से त्रस्त होकर सत्ता परिवर्तन को वोट किया था, वैसी स्थिति भाजपा की नज़र नहीं आती है। आंकड़ों को देखकर प्रतीत होता है कि लोग शिवराज से नहीं बल्कि केंद्र सरकार के विरोध में थे। जीएसटी व नोटबन्दी जैसे फैसलों को जनता व गरीब विरोधी बताने में कॉंग्रेस सफल रही, इसके अलावा भाजपा की हार के कई बड़े कारण रहें-
कारण 1
भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव सिर्फ “सबका साथ, सबका विकास” के मुद्दे पर लड़ा था लेकिन 2018 में भजपा इस मुद्दे में पिछड़ती नज़र आई। मूर्ति बनवाना व मंदिर को लाकर हिंदुत्व के मुद्दों पर चलना भाजपा को भारी पड़ा।
कारण 2
जी हां, मोदी सरकार के कई बड़े मंत्रियों ने ऐसे बयान दिए जो सामाजिक दृष्टिकोण से बिल्कुल भी सही नहीं हैं। चाहे वो खुद प्रधानमंत्री का सोनिया गाँधी को विधवा कहना हो या फिर योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान जी की जाति बताना या अली व बलि करना।
कारण 3
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने हर जगह सिर्फ हिंदुत्व पर भाषणबाज़ी की है। कहीं भगवान की जाति बताई तो कहीं मुस्लिमों को मुगलों से जोड़ा। इन्हीं चीज़ों से लोगों में ऐसा माहौल बना कि बीजेपी अब विकास से भटक सी रही है।
कारण 4
शिवराज का “माई के लाल” वाला बयान हो या एससी/एसटी एक्ट पर सवर्णों की नाराज़गी हो दोनों चीज़ों ने बीजेपी की हार में भूमिका अदा की है। सवर्ण वोटर का झुकाव शुरू से भाजपा की तरफ रहा है परन्तु इस बार वो भी उनसे छिटक गया, जिसका खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना पड़ा।
कारण 5
भाजपा के अपने ही संगठन जैसे वीएचपी व आरएसएस राम मन्दिर के मुद्दे पर अध्यादेश का दबाव बनाते रहें, जिससे भजपा बचती रही। ऐसे में उनकी नाराज़गी भी भाजपा को नुकसान पहुंचाती रही है।
कारण 6
मंदसौर किसान आंदोलन से प्रदेश में किसानों की शिवराज व मोदी सरकार से नाराज़गी तो थी ही, ऊपर से 10 दिन में कर्ज़ माफी का वादा करके कॉंग्रेस ने अपना पाला और मज़बूत कर लिया। पिछले 5 वर्षों में बेरोज़गारी दर काफी बढ़ी है। ऐसे में भाजपा शहरों का नामकरण में व मूर्ति बनवाने में व्यस्त दिखी, जिससे युवा काफी हताश हुआ।
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