Site icon Youth Ki Awaaz

जानिए कमलनाथ के किसान से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

कमलनाथ

कमलनाथ

18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्में कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली। मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बने कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी अपना ‘तीसरा बेटा’ मानती थीं। कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए गाँधी-नेहरू परिवार की तीन पीढ़ियों, इंदिरा गाँधी, राजीव गांधी एवं राहुल गाँधी के साथ काम किया है।

इंदिरा ने कहा था, “कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं, कृपया उन्हें वोट दीजिए”

साल 1980 में हुए 7वें आम चुनाव के दौरान कमलनाथ पहली बार छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। उस समय उनकी उम्र 34 साल थी। पहली बार जब कमलनाथ चुनाव लड़ रहे थे तब इंदिरा गाँधी उनके लिए प्रचार करने छिंदवाड़ा पहुंची थीं। इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं, कृपया उन्हें वोट दीजिए। कमलनाथ का इंदिरा गाँधी से कितना गहरा नाता था, इसकी तस्दीक उनका 2017 का एक ट्वीट भी करता है। इसमें उन्होंने इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘माँ’ कहा था।

देश के सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं कमलनाथ

2014 के लोकसभा चुनाव में जमा किए गए शपथ पत्र के मुताबिक, कमलनाथ के पास कुल 187 करोड़ रुपए की संपत्ति है। अभी तक 177 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति के साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पहले स्थान पर थे। कमलनाथ के पास कुल 7.09 करोड़ की चल संपत्ति है, जबकि 181 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है।

कमलनाथ। फोटो साभार: Getty Images

इसमें इनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियां और ट्रस्ट भी शामिल हैं। कमलनाथ और उनके परिवार से जुड़ी 23 कंपनियां हैं। वरिष्ठ काँग्रेसी नेता के पास दो गाड़ियां हैं, जिनमें से एक दिल्ली में रजिस्टर्ड एम्बेसडर क्लासिक कार और एक मध्य प्रदेश नंबर प्लेट वाली सफारी स्टॉर्म एसयूवी है। वह छिंदवाड़ा ज़िले में 63 एकड़ ज़मीन के मालिक भी हैं।

कृषक कमलनाथ से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

कृषक कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते और तब से लेकर अब तक यह सिलसिला जारी है। कमलनाथ 1985, 1989, 1991 में लगातार चुनाव जीते। 1991 से 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्रालय संभाला। वही 1995 से 1996 तक वे कपड़ा मंत्री रहे।

1998 और 1999 के चुनाव में भी कमलनाथ को जीत मिली। लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का काँग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया। वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे। छिंदवाड़ा में तो जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए और 2004 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की।

यह लगातार उनकी 7वीं जीत थी। गाँधी परिवार का सबसे करीबी होने का इनाम भी उनको मिलता रहा और मनमोहन सिंह की सरकार में वे फिर मंत्री बने और उन्हें केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री का दायित्व मिला।

यूपीए-1 में पूरे 5 साल तक उन्होंने अहम मंत्रालय संभाला। इसके बाद 2009 में चुनाव हुआ, वर्ष 2009 में छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र से ही आठवीं बार 15वीं लोकसभा के लिये पुन: निर्वाचित हुए और वर्ष 2009 से 18 जनवरी, 2011 की अवधि में केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे।

इसके बाद वे 19 जनवरी, 2011 से 26 मई, 2014 की अवधि में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री और 28 अक्टूबर, 2012 से 26 मई, 2014 की अवधि के लिए केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री भी रहे। मई, 2014 में छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र से ही नवमीं बार 16वीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित हुए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया, कपिल सिब्बल, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह। फोटो साभार: Getty Images

4 से 6 जून, 2014 की अवधि में उन्हें लोकसभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया। वे एक सितंबर, 2014 से संसद की वाणिज्य संबंधी स्थाई समिति और वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। छिंदवाड़ा में काँग्रेस का यह ‘कमल’ लगातार खिलता गया। साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में भी इनका नाम आया था। लेकिन बाद में नानावती आयोग ने इन्हें निर्दोष बताया।

कमलनाथ ने काँग्रेस के लिए संकटमोचन के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी सदैव निभाई, चाहे वो राजीव गाँधी का निधन हो, 1996 से लेकर 2004 तक जिस संकट से काँग्रेस गुजर रही थी, इस दौरान में भी वह पार्टी के साथ रहे। वो भी तब जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था।

26 अप्रैल 2018 को वह मध्य प्रदेश काँग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें अरुण यादव की जगह अध्यक्ष बनाया गया। 72 वर्षीय कमलनाथ को 39 साल बाद जब इंदिरा के पोते काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने नई ज़िम्मेदारी सौंपी तब कमलनाथ ने जिम्मेदारी बखूबी निभाई और 15 साल बाद काँग्रेस राज्य में सत्तासीन हुई।

जनता के बीच ‘मामा’ के रूप में छवि बना चुके और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को लगातार चौथी बार सत्ता में आने से रोकने में कमलनाथ कामयाब हुए।

Exit mobile version