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“अपनी सैलरी से पैसे बचाकर गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलने वाले प्रकाश”

बच्चों की प्रतीकात्मक तस्वीर

बच्चों की प्रतीकात्मक तस्वीर

प्राइवेट स्कूलों के बढ़ते मायाजाल ने शिक्षा के मौलिक तत्व को खत्म कर दिया है। गाँव के स्कूलों में संसाधनों की कमी हमेशा से रहती है। गरीब बच्चों के लिए पैसों के अभाव में अच्छी शिक्षा हासिल करना अभी भी एक सपना बना हुआ है। गाँव की तमाम परेशानियों के बीच मैंने यह निश्चय किया है कि खाली समय में इस दिशा में ज़रूर काम करूंगा।

मैं हमेशा से एक बेहतर गाँव के निर्माण का सपना देखता आया हूं जिसमें कोई भी बच्चा संसाधनों की कमी के कारण अशिक्षित ना रह जाए। एक ऐसा गाँव जहां की बेटियां सिर्फ चूल्हा-चौकी का काम ही नहीं करें बल्कि कंप्यूटर का ज्ञान भी अर्जित करें।

मैंने अपनी सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल और कॉलेज से की है। सरकारी स्कूलों में अव्यवस्थाओं और सीमित संसाधनों को बहुत करीब से देखा हैं। गाँव का मेरा सफर अब सरकारी स्कूल से निकलकर भारतीय वायुसेना तक पहुंच गया है लेकिन गाँव के बच्चों के लिए कुछ करने की तमन्ना हमेशा से रही है।

पढ़ाई के दौरान पहले गाँव छूटा और फिर इंटर पास करने के बाद अपना नज़दीकी शहर भी दूर हो गया। नौकरी के कारण मैट्रो सिटी में भी रहना पड़ा। वायुसेना की नौकरी के दौरान देश के कई इलाकों में काम किया। अलग-अलग जगहों पर कई प्रकार के अनुभव प्राप्त किए लेकिन गाँव में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए मैंने अपनी सारी जमा पूंजी खर्च कर दी।

मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से आता हूं और अपनी शुरुआती पढ़ाई करने के बाद मैंने ‘यात्रा डॉट कॉम’ में काम किया। इसके बाद ‘आईबीएम’ और ‘जेनपैक्ट’ जैसी आईटी कंपनियों में भी काम करने का अवसर मिला। अपनी नौकरी के दौरान ही भारतीय वायु सेना में जाने के लिए तैयारी करना जारी रखा था। एयरफोर्स में चयनित होने के बाद गाँव के बच्चों के विकास के लिए स्कूल खोलने का निर्णय लिया। मैं पिछले 6 साल से भारतीय वायु सेना में कार्यरत हूं।

मैंने अपने गाँव में ‘पाठशाला’ नाम से एक मुहीम की शुरुआत की, जिसमें गाँव के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव कोशिश की गई। गाँव के बच्चों को न्यूनतम फीस (केवल उतनी ही जिससे कि स्कूल का खर्चा निकल सके) ली जाती है। अभी स्कूल में 200 से ज़्यादा विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। विद्यालय में पच्चीस फीसदी विद्यार्थी ऐसे हैं जिनसे मैं फीस नहीं लेता हूं। पाठशाला स्थापित करने के लिए मैंने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी है।

पाठशाला का मुख्य उद्देश्य स्कूल से पैसा कमाना कभी भी नहीं रहा है। हम शिक्षा को एक सेवा मानकर अपना काम कर रहे हैं। शिक्षा के अलावा और भी प्रोजेक्ट्स पर हम काम कर रहे हैं। हमारे द्वारा किए जा रहे कार्यों पर एक नज़र-

इन बातों के ज़रिए मैं सिर्फ अपनी तारीफ नहीं करना चाहता हूं बल्कि मेरा उद्देश्य है कि समाज में मेरी तरह और भी लोग ऐसे कामों में अपनी दिलचस्पी दिखाएं ताकि बच्चों का भला हो सके।

Photo Source: Getty Images

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