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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी को युवाओं के नाम खुला पत्र।

आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी,

सादर प्रणाम।

हम युवा तो कुशल नहीं हैं, आशा करता हूं कि आप सकुशल ही होगें। यह पत्र एक घोर निराशाओं के बीच बैठकर कर लिख रहा हूं। हम युवाओं के निराशाओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूं।
आपके शासन की आखरी के कुछ ही महीने शेष बचे हैं, अभी तक हम युवा बेरोजगार हैं, क्या करें? बेरोज़गारी का मंजर कुछ इस तरह की है अगर कोई चपरासी के लिए भी कोई आवेदन आता है तो उसके लिए P.Hd किए हुए छात्र तक आवेदन कर रहे हैं। S.S.C की नौकरी आती है तो परीक्षा से पहले उसके प्रश्नपत्र लीक हो जाते हैं। अगर कुछ नौकरियों के आवेदन आते भी हैं तो उसकी फीस पांच से दस गुणा तक बढ़ा दी गई है, आखिरकार बेरोजगार छात्र इतनी धनराशी कहां से लायेंगे। हमारे माता – पिता हमलोगों को पढ़ाने – लिखाने के लिए अपने बुढ़ापे की सेविंग इस लिए लगा देते हैं ताकि हम कुछ बनकर उनके बुढ़ापे का सहारा बनें। अब आप ही बताइए की ऐसे बेरोज़गारी में हम युवा जब ख़ुद का सहारा नहीं बन सकते तो उन बुजुर्गों का सहारा कैसे बनेंगे।
आपने 2 करोड़ रोजगार देने की बात की थी कहां है वो हमारे 2 करोड़ रोजगार? मुझे याद है कि आपने अपने एक भाषण में कहा था कि अगर हिंदुस्तान के सवा सौ करोड़ जनता अगर एक एक कदम भी आगे की ओर बढ़ेगी तो पूरा देश सवा सौ कदम आगे बढ़ेगा, हमलोगो ने अपने अपने हिस्से का एक कदम चल लिया पर आपकी सरकार के एक कदम हमारे लिए बांकी रह गए, बल्कि आपके क़दम उद्योगपतियों की तरफ़ उनके विकास के लिए ही बढ़े।
आपने एक बार रोज़गार के बदले पकौड़े तलने का सुझाव दिया था। पकौड़े तलना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन बचपन से जो हमने एक उम्मीद के साथ जो सपने देखें आख़िर उस सपनों का क्या करें? क्या उस सपनों का गला घोट दें? अगर हम उन सपनों का गला घोटकर पकौड़े की दुकान खोल भी लेते हैं तो हमारे उन सपनों का हत्यारा कोन होगा हम ख़ुद या आप?
हमारा सुझाव बस इतना ही है कि हमारे देश के युवाओं को रोजगार देकर इस देश को बेहतर देश बना दीजिए, यही आपसे हमसब की अपेक्षा है।
प्रणाम
जय हिंद
अमित कुमार
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