मैंने जब लिखना शुरू किया तो मन में एक ही बात थी समाज में जो ज़ुल्म होता रहता है या अज्ञानता है जिसके कारण लोग गलत दिशा में जाने लगते हैं उन्हें अन्धकार से बाहर निकलने में मदद उस ज्ञान के द्वारा किया जाय तो मुझे आने तजुर्बे से हासिल हुआ है और सबसे पहले मैंने अपने ब्लॉग पे लिखा था जिगर मुरादाबादी का शेर कुछ इस तरह “उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें, मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे – जिगर मुरादाबादी|
ब्लॉगर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है. इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिससे इंसानियत आप पर गर्व करे। यदि आप की कलम में ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित में करें|
बस कुछ इसी तरह यह सिलसिला चलता रहा कभी “अमन का पैगाम ” पे लिखा तो कभी सोशल मीडिया से सम्बंधित विषयों पे तो कभी समाज के गरीब तबके के लोगों के जज़्बातों तो उनकी मुश्किलों को दुनिया तक पहुंचाया और यह सिलसिला अंतिम समय तक चलता ही रहेगा |