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साधुओं को पेंशन, परवाह या केवल हिंदुओं के वोट पाने की तरकीब

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य़नाथ ने सोमवार को साधुओं को पेंशन देने का ऐलान किया है। यूपी सरकार राज्य में 60 साल से अधिक आयु के साधुओं को वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल करने जा रही है। इस योजना के अंतर्गत करीब 10 लाख साधु-संतों को लाने की बात की जा रही है।

योगी के मुताबिक 30 जनवरी तक प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर कैंप के जरिये साधुओं के साथ-साथ पेंशन से वंचित लोंगों को इस योजना से जोड़ा जायेगा। एक ओर जहां सरकार के इस फैसले की आलोचना हो रही है वहीं दूसरी ओर साधु-संतों का कहना है कि योगी सरकार पहले भगवान राम को टाट से निकालकर मंदिर में लाए।

बहरहाल, आलोचनाओं और प्रतिक्रियाओं के इतर हमें ये भी याद रखना चाहिये कि ये चुनावों का मौसम है। ऐसे में योगी सरकार के फैसले के व्यापक अर्थ निकलते हैं। पहला बिंदु ये कि क्या योगी सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिये यह फैसला लिया हैं?’ ये सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में योगी ने ऐसा कुछ भी  नहीं किया कि जनता सरकार की वाहवाही करे। लेकिन ये फैसला लेकर सरकार ये दिखाना चाहती है कि बीजेपी ही हिन्दुओं की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी है|

यदि ऐसा होता तो सरकार, अपने योगी समाज की ‘राम को टाट से निकाल कर मन्दिर में लाने’ की बात पर अमल करती| चूँकि सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया तो इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि ये हिन्दू वोटरों को आकर्षित करने का फैसला नहीं है|

दूसरा बिंदु ये कि ‘क्या 500 रुपये साधुओं के खर्चे के लिए काफी हैं? आज के समय में जब महंगाई अपने चरम पर है| आम लोगों का चीजों की कीमतें देखकर उन्हें छूने का जी नहीं करता| माना कि वे साधु-संत हैं तो क्या वे अच्छे गेरुआ सूती वस्त्र नहीं खरीद सकते? क्या आज के समय में कपड़े, रसोई और खाना-पीना सब 500 रूपये में आसानी से उपलब्ध हो जाता है?

साधु-संतों को पेंशन देने के ऐलान से सब ठीक हो जायेगा, जो साधु-संत नहीं हैं लेकिन जरुरतमंद हैं उनकी पेंशन का क्या? अरे जरुरतमंदों को भी समय पर दी जाए और साधुओं को भी उचित पेंशन दी जाये, लेकिन यहाँ तो केवल साधुओं को ही केंद्र में रखकर पेंशन का ऐलान किया गया और बाकी जरुरतमंदों को दरकिनार कर दिया गया|

इस ऐलान से एक बात तो साफ हो जाती है कि ये फैसला साधुओं की बात उठाकर केवल हिन्दू वोटों को अपने खाते में डलवाने के लिए किया गया| इससे साधुओं की चिंता कहीं से भी ज़ाहिर नहीं होती है| ये ऐलान हिन्दू वोटों को अपनी झोली में पाने का आडंबर मात्र है|

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