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हार की डर सताने लगी हैं राधामोहन सिंह को ?

 

हार की डर नहीं तो किस बात की बौखलाहट सताने लगी हैं राधामोहन सिंह को ?

 

लोकसभा 2019 चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक पार्टियां मैदान में आ चुकी  है। महागठबंधन होने के साथ ही इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। राजनीती की प्रयोगशाला कहे जाने वाला बिहार की सभी पार्टियां अंदरूनी रूप से अपने–अपने उम्मीदवारों के के चयन प्रक्रिया में लग चुकी है। देश के अन्य सीटों की बात जो भी हो मगर बापू की कर्मभूमि चंपारण की मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र का चुनाव हर बार की तरह इस बार भी एक नया संदेश देने वाला हैं | ऐसे में सभी राजनीतिक दल एक दूसरे को पटखनी देने के लिए सियासी समीकरण बनाने में जुट गए हैं। सत्ताधारी एनडीए वाली बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री की साख बचाने लो लेकर होगी, जबकि विपक्ष मोदी सरकार को घेरने के लिए पूर्वी चंपारण से कृषि मंत्री को परास्त करने के लिए कोई मजबूत और युवा उमीदवार उतरवाने के फ़िराक में हैं |

वर्तमान में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह देश के नौंवी, ग्यारहवीं, तेरहवीं के बाद पंद्रहवीं एवं सोलहवीं लोकसभा के सांसद निर्वाचित हुए हैं। अपने कार्यकाल में के दौरान राधामोहन सिंह ने कोई खास काम नहीं किया हैं  | यह बात भी मोतिहारी के स्थानीय लोगो द्वारा बताया जाता हैं की राधामोहन के खिलाफ़ लाख गुस्सा होने के बाद भी उनको २५ साल से जिताते आ रहे हैं | कारण पूछने पर उनलोगों का कहना हैं की कोई मजबूत और युवा चेहरा ना होने कारण हम लोग उनको ही वोट करते हैं | मोतिहारी के चीनी मिल का मुद्दा हो या फिर किसानों की आत्महत्या , राधामोहन सिंह की कई बार मीडिया में किरिकिरी भी हुई हैं | राधामोहन भी इस बात को जानते है की इस बार उनकी जीत मुस्किल हैं और तभी उन्होंने अपने आलाकमान से राज्यपाल बन्ने की मांग की थी या फिर रामविलाश की तरह राज्यसभा माँगा था | सूत्रों की माने तो विपक्ष भी इस बार समय को भाप कर एक मजबूत, पढ़ा-लिखा और युवा चेहरा उतारने के मूड में हैं | इस बार के चुनाव में इनका पाला 2004 में भारत के चौदवी लोकसभा में आए अखिलेश प्रसाद सिंह की तरह मिथिलांचल की धरती मधुबनी से आनेवाले युवा उम्मीदवार माधव आनंद से पड़ने वाली है। महागठबंधन में हाल ही में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा से मोतिहारी लोकसभा से महागठबंधन के उम्मीदवार के रुप में रालोसपा के महासचिव सह प्रवक्ता माधव आनंद चुनाव लड़ेंगे। अभी कुछ दिन पहले ही कुशवाहा ने भी मोतिहारी दौरे में इस बात का एलान कर दिए की पूर्वी चंपारण से इनका ही कोई उमीदवार होगा |

हालांकि इस खबर की अभी तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन सूत्रों की माने तो उनकी खबर पक्की है। ऐसा बताया जा रहा है कि लालू यादव से मुलाकात के लिए रांची पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा ने इसी दौरान उनके नाम को लेकर चर्चा की थी। वैसे देखा जा रहा है कि श्री आनंद की मोतिहारी में सक्रियता पहले से ज्यादा बढ़ गई है, वे लगातार मोतिहारी के हर एक प्रखंड में कैंप कर रहे हैं। मोतिहारी में उनकी अचानक से बड़ी सक्रियता से इस बात को भी साफ कर रही है कि अंदर ही अंदर बहुत कुछ तय हो गया है।  युवाओ में लोकप्रिय माधव आनंद के सोशल मीडिया पर लाखो में फैन हैं | सोशल मीडिया पर माधव आनद काफी सक्रिय भी हैं |माधव आनंद बिहार के मधुबनी जिले के एक उद्धोगपति के रूप में जाने जाते है। इनके संबंध में बताया जाता है कि ये कई साल बिज़नेस ऑपरेशंस और इंटरनेशनल रिलेशंस में बिताया है  |

 

ऐसे में मोतिहारी सीट काफी दिलचस्प हो चूका हैं | एक तरफ जहा कृषि मंत्री के हार का जश्न महागठबंधन अभी से मानाने में लगी है वही दूसरी ओर राधामोहन खबर को भापते हुए माधव आनंद में खिलाफ़ अलग अलग हथकंडा अपनाने में लग गए हैं | संपर्क करने पर माधव आनंद ने बताया की मैं पार्टी का साधारण कार्यकर्ता हूं, लेकिन इतना जरुर कह सकता हूँ की उमीदवार कोई भी हो लेकिन कृषि मंत्री के खिलाफ़ स्थानीय लोगो का घुस्सा इतना ज्यदा हैं की उनकी हार निश्चित हैं |उन्हें ऐसी ओछी हरकतों से बाज आना चाहिए | बौखलाहट समझ में आ रही हैं लेकिन राजनीती को घटिया स्तर पर ना ले जाये | मोतिहारी की जनता इस बार बदलाव और विकास चाहती हैं| मोतिहारी के गन्ना किसान परेशान है। किसानों का गन्ना खरीदने वाला कोई नहीं है मजबूरन किसान अपना गन्ना जलाने को मजबूत है।

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