सवर्ण आरक्षण एवं संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ विभिन्न संगठनों द्वारा 12, 13 और 14 जनवरी को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद किया गया। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात व अन्य राज्यों के जन संगठनों ने एक साथ आकर सवर्ण आरक्षण का विरोध किया।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से जारी अपील में कहा गया कि आर्थिक आधार पर सवर्ण आरक्षण के ज़रिए संविधान, सामाजिक न्याय व बहुजनों पर बड़ा हमला बोला गया है। सवर्ण आरक्षण को लागू करने और संविधान संशोधन के ज़रिए संविधान की मूल संरचना व वैचारिक आधार पर हमला है।
प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि सामाजिक न्याय व आरक्षण की अवधारणा को निशाने पर लिया गया है, जो खतरनाक है। दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों के आरक्षण के खात्मे का रास्ता खुल गया है। संविधान व सामाजिक न्याय पर इस दौर के इस बड़े हमले को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
प्रतिवाद के ज़रिए कहा गया कि मोदी सरकार ने आरएसएस के संविधान बदलने की योजना के एक पैकेज को अमलीजामा पहनाया है। आरएएस का संविधान व आरक्षण से नफरत जगजाहिर है। आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है और ना ही रोज़गार की गारंटी से जुड़ा मामला है। आज भी आंकड़े कह रहे हैं कि आबादी के अनुपात में सत्ता व शासन की संस्थाओं-विभिन्न क्षेत्रों में दलितों-आदिवासियों व पिछड़ों का प्रतिनिधित्व काफी कम है।
सार्वजनिक मंच से संगठनों ने कहा कि आरक्षण तो दलित-पिछड़े हिस्सों के सत्ता व शासन की संस्थाओं में प्रतिनिधित्व-भागीदारी की गारंटी से जुड़ा हुआ है। सवर्णों सहित समाज के अन्य हिस्सों से गरीबी दूर करने के लिए आरक्षण समाधान नहीं है। आरक्षण आर्थिक विषमता मिटाने का एजेंडा नहीं है। गरीबी व बेरोज़गारी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए देशी-विदेशी पूंजी की बढ़ती लूट पर अंकुश लगाना होगा। बहुसंख्यकों के लिए गरीबी और बेरोज़गारी पैदा करने और मुट्ठीभर अमीरों की तिजोरी भरने वाली नई आर्थिक नीति को बदलना होगा।
अपील जारी करने वालों में प्रमुख हैं: राजीव यादव, डॉ. विलक्षण रविदास, ई. हरिकेश्वर राम, रिंकु यादव, वीरेंद्र कुमार, प्रशांत निहाल, दीपक रंजीत, बाल गंगाधर बागी, नीतिशा खलखो, कनकलता यादव, प्रफुल्ल वसावा, राज वसावा, गौतम कुमार प्रीतम, नवीन प्रजापति, अर्जुन शर्मा, अंजनी, रामानंद पासवान, बाल्मिकी प्रसाद, गिरिजाधारी,आज़ाद कुमार, अशोक कुमार गौतम, सुनील हेम्ब्रम, अनूप महतो, रानी लक्ष्मी पूर्ति, शिवेंदु कुमार, नाहीद अकील, एहसानुल मालिक, अजय कुमार राम, सृजन्योगी आदियोग, अमित अम्बेडकर, शिवकुमार यादव, शामस्तब्रेज, दिनेश चौधरी, सूरज बौद्ध, शकील कुरैशी, जुलैखा ज़बी और विनोद यादव।
प्रतिवाद का आह्वान करने वाले प्रमुख संगठन हैं: रिहाई मंच (यूपी), सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), झारखंड जनतांत्रिक महासभा, बिहार फूले-अंबेडकर युवा मंच, इंडिजिनस आर्मी ऑफ इंडिया (गुजरात), बहुजन साहित्य संघ (जेएनयू, दिल्ली), अखिल भारतीय अंबेडकर महासभा, जमीयतुल कुरैशी उत्तर प्रदेश (लखनऊ), भारतीय मूलनिवासी संगठन(इलाहाबाद), जनवादी छात्रसभा (इलाहाबाद),अवध विकास मंच (प्रतापगढ़), इंसानी बिरादरी (लखनऊ), यादव सेना(लखनऊ), ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज (लखनऊ), पिछड़ा समाज महासभा उम्मीद (लखनऊ), ह्यूमन राइट वाच (लखनऊ), कारवां (आजमगढ़) और फातिमा शेख सावित्री फूले काउंसलिंग और ट्रेनिंग।