नए साल के शुरू होते ही दो तय चीज़ों की उल्टी गिनती एक साथ शुरू हो गई। पहला, लोकसभा चुनाव और दूसरा क्रिकेट वर्ल्ड कप। एक तरफ ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया ने टेस्ट किक्रेट में मेजबान टीम को पछाड़ कर नया इतिहास रच दिया। वही, दूसरी तरफ मौजूदा सरकार हर रोज़ भारतीय राजनीति में नई गुगली फेंक रही है।
पहले तीन तलाक पर बिल फिर गरीब सवर्ण तबकों के लिए आरक्षण जिसके सामने विपक्षी दल घुटने टेकने को मजबूर सी दिख रही है। भारतीय क्रिकेट की तेज़ धारदार गेंदबाजी ने जिस तरह क्रिकेट पंडितों को चौका-सा दिया है, उसी तरह सत्तापक्ष द्वारा गरीब सवर्ण तबकों को दस फीसद आरक्षण की घोषणा ने तमाम चुनावी पंडितों को चौंका रखा है।
सत्तापक्ष ने यह भी घोषणा कर दिया है कि चुनावी दंगल में दांव लगाने के लिए उसके पास अभी और फिरकी गेंदे हैं जिन्हें वे समय-समय पर आजमाने वाले हैं। इसलिए पिछले साल के अंतिम दिन में तीन तलाक पर बिल लाना और गरीब सवर्ण तबकों को आरक्षण देना सत्ता पक्ष की फिरकी गेंद के तरह ही चुनावी मौसम में सदन के पिच पर फेंका गया है, जो भारतीय मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाएगी इसके बारे में कुछ भी कहना आग में हाथ डालने के बराबर है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी दंगल और वर्ल्ड कप के दंगल में मौजूदा दांव मास्टर स्ट्रोक साबित होता है या नहीं क्योंकि चुनावी राजनीति और क्रिकेट के मैदान दोनों ही जगहों पर कुछ भी पहले से तय नहीं होता है। एक भी गलत दांव पूरी की पूरी बाज़ी ही पलट देती है और उसके बाद जो होता है वह इतिहास का हिस्सा बन जाता है जिससे या तो सबक लो या हाथ मलो, दो ही विकल्प होते हैं।
चुनावी दंगल के मौजूदा मास्टर स्ट्रोक में गरीब सवर्णों को दिए जाने वाले दस प्रतिशत आरक्षण की बात तो होनी ही चाहिए। संविधान संशोधन विधेयक को पहले लोकसभा फिर राज्यसभा और उसके बाद राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया। जिस तरीके से इसे लागू करने की घोषणा की गई है वह बहुत अधिक स्पष्ट नहीं है।
मसलन, तीन तालाक पर मुस्लिम समाज की महिलाएं भी इस असमंजस में हैं कि उनके लिए यह राहत है या आफत। उसी तरह गरीब सवर्ण तबके ही नहीं बल्कि समाज के अन्य तबके भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आरक्षण का मौजूदा प्रावधान किन लोगों को राहत दे पाएगा। सरकार ने आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों की कुल आबादी का कोई आकंड़ा तक पेश नहीं किया है।
सारा मामला उसी तरह से है जैसे किसी क्रिकेट प्रेमी को नहीं पता है कि भारत क्रिकेट टीम में हैलीकाप्टर शॉट के रचनाकार और वर्ल्ड कप दिलाने वाले मिस्टर कूल कप्तान महेंन्द्र सिंह धोनी भारतीय वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा होंगे या नहीं।
जिस तरह से भारतीय क्रिकेट की शुरूआती ओपनिंग जोड़ी को लेकर हाल के दिनों में भारतीय क्रिकेट मनैजमेंट ने कई प्रयोग किए हैं उसी तरह गरीब सवर्ण तबकों के आरक्षण पर राजनीतिक और सामाजिक पंडित कई सवालों के जवाब तलाशने के चक्कर में अपनी परेशानी का पसीना पोछ नहीं पा रहे हैं।
बहरहाल, देश में चुनावी माहौल और क्रिकेट के महाकुंभ का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। देश के मतदाताओं के पास आम चुनावों में मतदान करने और वर्ल्ड कप क्रिकेट के मैचों में भारतीय टीम के क्रिकेट प्रेमियों के पास ‘कम ऑन इंडिया’ चीयर करने के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं है।
मतदान के ज़रिए भारतीय मतदाना देश के लोकतंत्र का फैसला करने के अलावा ‘कम आंन इंडिया’ के चीयर से खुद को जीतने के जश्न में उत्साहित करेंगे। तीन-चार महीने के इस काउंट डाउन में कई चुनावी गुगली और क्रिकेट मैच की अनिश्चितता आम आदमी को देखनी है।