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“महिला सुरक्षा को लेकर हमारी सरकार सजग क्यों नहीं है?”

हमारे देश में कहीं भी हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें हर ओर असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हैदराबाद हर जगह महिलाओं को बलात्कार, यौन शोषण जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

देश की राजधानी दिल्ली में फिजियोथेरेपिस्ट की पढ़ाई कर रही छात्रा निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात हुई घटना को शायद ही कोई भूल सकता है, जब चलती बस में 6 लोगों ने उनका गैंगरेप किया, बुरी तरह से घायल निर्भया ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।

उस वक्त भी लोग सड़कों पर मोमबत्तियां लेकर गरजे थे और निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए ‘निर्भया हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल ज़िंदा हैं’ के नारे लगे थे। लोगों ने पुलिस की लाठियों से भी परहेज नहीं किया था और लोग दोषियों को फांसी की सज़ा दिए जाने की मांग करते रहें।

फोटो प्रतीकात्मक है।

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें से एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी। वहीं एक आरोपी के नाबालिग होने पर उसे तीन साल के लिए बाल सुधार गृह की सज़ा सुनाई गई थी व अन्य चार दोषियों को अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी लेकिन अभी तक दोषियों को सज़ा नहीं हो पाई है।

दूसरी ओर तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ चार दरिंदो ने हैवानियत की हदें पार कर दी। उस डॉक्टर को चार दरिंदो ने एक सूनसान जगह ले जाकर गैंगरेप किया और फिर आग के हवाले कर दिया। इस घटना में उस डॉक्टर ने दम तोड़ दिया।

फोटो प्रतीकात्मक है।

इस घटना के बाद भी देश के संपूर्ण हिस्सों से लोग सड़कों पर उतरे और डॉक्टर को न्याय मिले की नारेबाज़ी करने लगे। इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और भागने का आरोप लगाते हुए उनका एनकाउंटर कर दिया गया। इसके बाद पुलिस ने देश के कोने-कोने से वाहवाही लूटी।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव की घटना भी काफी डराने वाली थी। 90 फीसदी तक जली सर्वाइवर उन्नाव से लखनऊ और फिर देश की राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

आखिर बेटियों के साथ ऐसी घिनौनी करतूतों पर राज्य और केंद्र सरकार सजग क्यों नहीं है? क्या चुनावी मौसम में ही बेटियां याद आती हैं? यदि चुनावी मौसम में याद आने के साथ ही हर मौसम में बेटियों की याद आए तो शायद देश की बेटियों के साथ हो रहे दूराचार की तस्वीरें सामने नहीं आएंगी।

टेलीविज़न पर बैठकर ज़िम्मेदार पार्टियों के प्रवक्ता दोषियों को कड़ी सज़ा देने की मांग करते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि न्याय ज़रूर होगा। हम पूछना चाहते हैं देश के राजनेताओं से कि न्याय मिलने से क्या फायदा है साहब? ज़रूरी है ऐसी घटनाओं को घटित होने से रोकने की।

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