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“नीतीश बाबू, बिहार को ‘लालटेन’ की ज़रूरत है या नहीं यह तो जनता ही बताएगी?”

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य के सभी घरों तक बिजली पहुंच गई है। गांव से अंधेरा खत्म हुआ है और लोगों की ‘लालटेन’ की ज़रूरत भी खत्म हुई है। अगर हम इस बयान के मायने निकाले तो यह बयान पूरी तरह से राजनीति बयान है और इस बयान में नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर हमला बोला है। राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन है अतः नीतीश कुमार ने राजद पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब बिहार को “लालटेन” की ज़रूरत नहीं है अर्थात बिहार में राजद की आवश्यकता नहीं है।

गौरतलब है कि बिहार में सियासत की बिसात पर दो ही मुख्य पार्टियां लगती हैं। एक है राजद जिसका नेतृत्व लालू प्रसाद यादव करते हैं और दूसरी पार्टी है जनता दल यूनाइटेड (जदयू) जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार करते हैं किन्तु कुछ चुनावों से भाजपा किंगमेकर की भूमिका निभा रही है।

वर्तमान में जदयू और भाजपा के गठबंधन की सरकार बिहार में है और राजद मुख्य विपक्ष की भूमिका में है। अतः दोनों पार्टियां एक दूसरे पर तंज कसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं।

बिहार की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नज़र डालें तो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में राजद अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ने का विचार कर रहा है। हवा यह थी कि केंद्र में भाजपा सरकार के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा भाजपा से नाराज़ हैं और महागठबंधन में उनके शामिल होने की अटकलें भी लगाई जा रही थी। उसी दौरान यह भी खबर आ रही थी कि नीतीश कुमार भी भाजपा से नाराज़ हैं। उनकी नाराज़गी का कारण एनडीए में उनकी पार्टी को उचित सीटें नहीं मिलना बताया जा रहा था लेकिन नीतीश कुमार ने इस बयान के साथ ही इन सारी अटकलों पर विराम लगा दिया है और साथ ही साथ यह भी साफ कर दिया है कि वो एनडीए का साथ अभी नहीं छोड़ने वाले हैं।

नीतीश कुमार। फोटो सोर्स- फेसबुक

आइए अब ज़रा नीतीश कुमार ने जो बयान दिया है उसकी पड़ताल कर लेते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 2018 में कहा था कि भारत के अब सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है लेकिन ठीक उसी समय 1 मई 2018 को न्यूज़ 18 में एक रिपोर्ट के अनुसार यह खबर आई कि उसी समय पटना से 15-20 किलोमीटर दूर स्थित गांवों में बिजली खम्भे तो हैं लेकिन बिजली नहीं है। उसी समय एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभी भी बहुतायत गांवों में बिजली नहीं पहुंची है और अभी भी लोगों को लालटेन का ही सहारा है।

आज भी है बिहार में लालटेन की ज़रूरत

हमारी उम्र आज 20 वर्ष है लेकिन मुझे आज भी याद है कि हम अपने गांव में लालटेन और ढिबरी से ही पढ़ा करते थे। आज भी गांवों में बिजली बहुत ज़्यादा नहीं रहती है। कुछ दिनों पहले तक यह स्थिति थी कि बिजली एक हफ्ते दिन तो एक हफ्ते रात में रहा करती थी। अब स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी सुधार की बहुत गुंजाइश है। आज भी हमारे घर या गांव में बिजली चले जाने के बाद ढिबरी या लालटेन ही जलता है और यह स्थिति पूरे यूपी, बिहार की है साथ ही साथ देश के सभी पिछड़े, गरीब राज्यों की है। अतः लालटेन की आवश्यकता तो आज भी है।

हमारे मित्र चन्द्रमणि जो की बिहार के जमुई जिले से ताल्लुकात रखते हैं, ने बताया कि उनके गांव नोनी में आजतक बिजली नहीं पहुंची है। वहां सिर्फ बिजली के खंभे ही खड़े हैं। चन्द्रमणि ने बताया कि जमुई ज़िले के ही कोल्हना पंचायत में पूरे पंचायत में ही बिजली नहीं पहुंची है अब तक। हमारी एक और मित्र ऐश्वर्या ने बताया जोकि आरा ज़िले से हैं  कि बिजली की स्थिति बेहतर हुई है पर बिजली छात्रों के पढ़ने के समय में नहीं रहती है तो गांवों में आज भी छात्र पढ़ने के लिए लालटेन या ढिबरी ही जलाते हैं। हमारे साथी विवेक जो अररिया में आई पिछली बाढ़ में वहां गए थे, उन्होंने बताया कि अररिया के भी कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है।

नीतीश चुनावी फायदे के लिए दे रहे हैं ऐसे बयान

अब पुनः नीतीश कुमार के इस चुनावी बयान पर आते हैं। मेरा मानना है कि नीतीश कुमार की खुद की व्यक्तिगत छवि भले ही बहुत अच्छी हो पर 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में जनता ने महागठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया था और तब लालू प्रसाद यादव ने अधिक सीटें होने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था। उस वक्त नीतीश कुमार ने कहा था कि भले मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा और आरएसएस के साथ फिर नहीं जाएंगे।

विधानसभाओं चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार के डीएनए पर सवाल उठाया था तब नीतीश कुमार, लालू यादव के साथ मिलकर बिहार अस्मिता को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे और भाजपा तथा आरएसएस को गरीब, दलित, पिछड़ा विरोधी बता रहे थे लेकिन आज उसी भाजपा और आरएसएस के साथ गलबहियां खेल रहे हैं।

विधानसभा चुनावों के एक साल बाद ही नीतीश कुमार ने पल्टी मारते हुए भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार तो बना लिया लेकिन जनादेश का घोर अपमान किया। नीतीश कुमार ने जनता को ठगा। आज जब बिहार में माहौल पूरी तरह नीतीश कुमार के खिलाफ हो गया है, नीतीश कुमार की राजनीति अब खत्म होने के कगार पर आ गई है तब नीतीश कुमार का यह बयान पानी से तुरंत बाहर आई तड़पती मछली की भांति है जो अपनी अंतिम सांस ले रही होती है। नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है और उसी कुल्हाड़ी से कटे पैर के कारण दर्द और तड़पडाहट में इस तरह के बयान दे रहे हैं।

नीतीश कुमार यह जानते हैं कि यदि लालू यादव जेल से बाहर आ जाते हैं तो उनकी मिट्टी पलीद हो जाएगी। यह बात नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी भली भांति जानते हैं। लालू ने बेशक अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में बिहार में विकास नहीं कराया हो लेकिन बिहार को 1992 के साम्प्रदायिक दंगों से बचाया और आरएसएस को बिहार में पलने फूलने से रोका है। इसी कारण से भाजपा और नीतीश कुमार उनकी गैरमौजूदगी का लाभ उठाते हुए राजद पर लगातार हमले कर रहे हैं और यह बयान भी उसी हमले के तहत आया है।

खैर, आज राजद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन कर रही है और इसका सबूत अभी हाल ही में हुए उपचुनावों में मिला। इसके साथ ही बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को यह भी बता दिया था कि बिहार में अभी भी “लालटेन” की ज़रूरत है।

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नोट- आकाश पांडेय YKA के जनवरी-मार्च  2019 बैच के इंटर्न हैं।

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