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सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल करने से हम क्यों कतराते हैं?

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस

अपने देश में ‘रोड एक्सीडेंट’ मौत की एक बड़ी वजह है। साल भर में लगभग डेढ़ लाख से दो लाख लोगों को सड़क हादसे में अपनी जान गवानी पड़ती है। इन दुर्घटनाओं के चलते देश को काफी सामाजिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बताया था कि साल 2017 में कुल 4 लाख 60 हज़ार सड़क हादसे हुए जिनमें 1 लाख 46 हज़ार लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। वहीं, साल 2016 में सड़क हादसे की वजह से करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई।

सड़क हादसे देश के सामने एक बड़ी समस्या है। उन पर विचार होना चाहिए कि किस तरह से इन घटनाओं को कम किया जा सके। पहले तो हमें यह समझना होगा कि सड़क हादसे होते क्यों है? हमें समझना होगा कि वह कौन सी चीज़ें होती हैं जिन्हें सड़क हादसों के लिए ज़िम्मेदार माना जाए। चलिए एक-एक कर बात करते हैं।

अप्रशिक्षित चालक

हमारे देश में ज़्यादातर ड्राइवर गाड़ी चलाने की कोई ट्रेनिंग नहीं लेते हैं। बहुत से ड्राइवर्स को ट्रैफिक नियमों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस की लेन-देन में भ्रष्टाचार होता है जिसके चलते ड्राइविंग में दक्षता हासिल ना होने पर भी लोगों को लाइसेंस मिल जाता है।

खराब गाड़ियां

पूरे देश में 12 साल से ज़्यादा पुरानी ट्रकें, कारें और अन्य गाड़ियां काफी अधिक हो चुकी हैं। उनके मेंटेनेंस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है जिस वजह से ब्रेक फेल होना, स्टीयरिंग कंट्रोल ना होना, बीच सफर में गाड़ी बंद हो जाना और हेड लाइट खराब होने जैसी चीज़ें सामने आती हैं।

कई गाड़ियों में सीमित समय के बाद भी टायर नहीं बदला जाता है। इसके चलते पुरानी टायर बीच सफर में खराब हो जाती है और यही से भीषण सड़क हादसे का आगाज़ होता है।

सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल ना करना

जब आप फोर व्हीलर में सफर करते हैं, तब आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप सीट बेल्ट का इस्तेमाल करें लेकिन कई लोगों को सीट बेल्ट पहनना अच्छा नहीं लगता। पुलिस द्वारा चालान काटे जाने पर ऐसे लोगों का विरोध खुलकर सामने आता है।

नोट: तस्वीर प्रतीकात्मक है। फोटो साभार: गूगल फ्री इमेजेज़

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर हम सीट बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं तब सड़क हादसे के दौरान गंभीर चोट आने का खतरा टल जाता है। वहीं, दूसरी ओर टू व्हीलर पर सफर करते वक्त लोग हेलमेट पहनने से परहेज़ करते हैं जिसके चलते सफर सुरक्षित नहीं हो पाता है।

सड़क पर अतिक्रमण और फुटपाथ ना होना

देश के हर छोटे-बड़े शहरों का यही हाल है या फिर इसे हमारे अर्बन डेवलपमेंट का नकारात्मक पहलू कह सकते हैं। पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ तो होता है लेकिन उस पर दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाता है। ऐसे में पैदल चलने वाले लोगों को सड़क किनारे से चलना पड़ता है जिससे यातायात के लिए सड़क छोटी  पड़ जाती है और हादसा होने का डर हमेशा बना रहता है।

शराब पीकर गाड़ी चलाना

यह सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह है। इसके खिलाफ कानून तो बने हैं लेकिन ट्रैफिक पुलिस या स्थानीय पुलिस कुछ खास मौकों पर ही मुहिम चलाते हैं। यहां पर सवाल मानसिकता का बन जाता है कि लोग ऐसा क्यों करते हैं?

तेज़ गति से गाड़ी चलाना

अक्सर यह देखा जाता है कि शहरों में कॉलेज स्टूडेंट्स बहुत तेज़ी से गाड़ियां चलाते हैं जिससे कई दफा गाड़ियों पर उनका नियंत्रण खो जाता है। ऐसे हालात में गाड़ी डिवाइडर या बिजली के खंभे से जाकर टकरा जाती है। इसमें गाड़ी चलाने वाले की गलती होती है।

नोट: तस्वीर प्रतीकात्मक है। फोटो साभार: गूगल फ्री इमेजेज़

इन सभी बातों को देखने के बाद हम एक बात कह सकते हैं कि पहले गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग लीजिए और सभी ट्रैफिक नियमों को जान लीजिए। गाड़ी के मेंटेनेंस को कभी नज़रअंदाज़ ना करें। गाड़ी चलाते वक्त सीट बेल्ट या हेलमेट का प्रयोग करने से परहेज़ ना करें। अपनी गाड़ी की गति को कम रखें और गाड़ी चलाने से पहले शराब का सेवन ना करें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर अपना सफर सुरक्षित बनाएं।

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