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ज़रूरतमंदों को 6 साल से कपड़े बांट रहा यह युवा बन चुका है मिसाल

आपने अक्सर भावी युवा नेताओं को यह कहते सुना होगा कि मैंने जनता की सेवा के उद्देश्य से राजनीति का रुख किया है। हालांकि ये वे युवा होते हैं जो ना सिर्फ संपन्न घरानों से ताल्लुक रखते हैं बल्कि भगवान का दिया उनके पास इतना होता है कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में मुझे अक्सर संजय की याद आ जाती है जो पिछले पांच वर्षों से सर्दियों के मौसम में ज़रूरतमंद लोगों को कम्बल और गर्म कपड़े बांट रहा है। बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाला संजय, पेशे से सरकारी स्कूल में अध्यापक है और स्वतंत्र फिल्म-निर्माता भी है।

वर्ष 2012 में संजय ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर सेज स्वेटर कलेक्शन ड्राइव (Sage Sweater Collection Drive) मुहिम की शुरुआत की थी। इसके तहत उसने सोशल मीडिया के ज़रिये लोगों को अपने नए-पुराने गर्म कपड़ों का दान करने के लिए प्रोत्साहित कर उन कपड़ों को ज़रूरतमंदों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया था। वक्त गुज़रा और हम अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो गएं लेकिन हाल ही में दिल्ली यात्रा के दौरान मेरी संजय से एक बार फिर मुलाकात हुई और जानकर आश्चर्य हुआ कि सर्दियों में गरीबों को ठण्ड से बचाने की ये मुहिम आज भी जारी है।

मेरी संजय से हुई खास बातचीत के कुछ अंश आप लोगो के साथ साझा कर रहा हूं। पढ़िए और जानिए किस तरह आपकी छोटी-सी मदद किसी के चेहरे पर खुशी ला सकती है।

लोगों के बीच संजय

राघवेंद्र शिखरानी (RS):  क्या है सेज स्वेटर कलेक्शन ड्राइव और किस उद्देश्य से आपने इसकी शुरुआत की थी?

संजय तिवारी (ST): समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हमने सेज स्वेटर कलेक्शन ड्राइव मुहिम की शुरुआत की थी। हमारा उद्देश्य ज़रूरतमंदों की सहायता करने के साथ ही दूसरों को सहायता करने के लिए प्रेरित करना है, जिससे कि हमारे आस-पास कोई भी व्यक्ति किसी साधारण सी कमी के चलते अपनी ज़िंदगी को यूं ही ख़त्म ना कर दे। इस मुहिम के द्वारा हम ये सीखने-सिखाने का प्रयास करते हैं कि आपको समाज से सिर्फ लेना ही नहीं समाज को कुछ देना भी चाहिए।

सोशल मीडिया हमारा सूत्रधार है, जिसके ज़रिये हम इस मुहिम को शुरू करते हैं। विभिन्न राज्यों के लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार मदद करते हैं। कुछ लोग अपने पुराने गर्म कपड़ों का दान करते हैं तो कुछ नए कपड़े हम तक पहुंचाते हैं। जिन लोगों के पास पुराने कपड़े नहीं हैं लेकिन फिर भी वो हमारी इस मुहिम से जुड़कर ज़रूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाना चाहते हैं, ऐसे लोग हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। इन्हीं सब लोगों की मदद से ये मुहिम वर्षों से सफलता पूर्वक चल रही है। मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे सभी लोगों का तह-ए-दिल से आभारी हूं।

RS: कब से आप ये मुहिम चला रहे हैं और शुरुआत में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
ST: हमने इसकी शुरुआत दिसंबर 2012 में की थी। हम इसे पिछले 5 सालों से सफलतापूर्वक चला रहे हैं और यह हमारा छठा वर्ष है। इन पांच वर्षों में लोगों के बीच जाना, उनसे बात करना और उनको हमारी इस मुहिम के बारे में बताना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा।

दरअसल, लोग सामाजिक ज़िम्मेदारी लेने से कतराते हैं। उनको धोखे का डर भी रहता है लेकिन उनसे लगातार सम्पर्क में बने रहने पर और बिना स्वार्थ के काम करने पर उनका विश्वास हासिल करने में हम कामयाब रहें। इसके अलावा एक बड़ी चुनौती कपड़े बांटने की भी होती है, बहुत सी जगह हमें सैकड़ों लोग घेर लेते हैं। कपड़े, कम्बल छीनने की कोशिश करते हैं उनसे निपटना भी एक बड़ी चुनौती हमारे सामने होती है।

RS: अब तक आपकी इस मुहिम से कितने लोगों को लाभ मिला है और किन-किन क्षेत्रों में आपने इस मुहिम को पहुंचाया है?

ST: हमने अब तक दिल्ली और दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में ज़रूरतमंद लोगों को गरम कपड़े और कम्बल बांटे हैं। पिछले पांच वर्षों में गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम और नौएडा के गरीब तबकों और रैन बसेरों में रह रहे लोगों तक मदद पहुंचाने का प्रयास किया है। अब तक इस मुहिम से लगभग 1 लाख से भी ज़्यादा लोगों को लाभ मिला है जिनमें बुज़ुर्ग, बच्चे, महिलाओं सहित हर वर्ग के लोग शामिल हैं। हम अधिकांशतः उन लोगों को मदद करने का प्रयास करते हैं जिनको वाकई में ज़रूरत है, इसके लिए हम पहले से ही कई जगहों और क्षेत्रों का चुनाव कर लेते हैं। इस बार हमने तय किया है कि दिल्ली के अलावा डोनेशन का बड़ा भाग उत्तर-प्रदेश के बुंदेलखंड में किसानों के बीच बांटा जाए।

RS: आपके अलावा इस मुहिम में आपका साथ देने वाली टीम के बारे में बताईये।

ST: सच बताऊं तो बिना टीम के इस काम को करना संभव ही नहीं था। जब हमने पहली बार इस मुहिम को शुरू किया था तब गिनती के 4 लोग थे, आज हम सैकड़ों की संख्या में इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

मेरे पास मेरी टीम के रूप में वो हर एक व्यक्ति है जो मुझे डोनेशन में मदद कर रहा है। मुख्य रूप से मैं यहां अपनी दोस्त रीना राय, अंतरा कलवार का नाम जोड़ना चाहूंगा जिनसे मुझे हिम्मत मिलती है। इसके अलावा मैं मुंबई में रहने वाली बेनिफरा, दुबई में रह रहे जलालुद्दीन खान, दिल्ली में रह रही वसुधा कनुप्रिया का नाम भी लेना चाहूंगा जो मुझे पिछले पांच सालों से इस मुहिम में आर्थिक मदद कर अपना योगदान दे रहें है।

RS: क्या ये सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वो सर्दी में ठिठुरती जनता को राहत पहुंचाए?

ST: बिलकुल बनती है। पिछले कुछ सालों में कई राज्यों की सरकारों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाये हैं। लेकिन इसके बावजूद हम सभी की यह नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने समाज के लिए, अपने आस पास के ज़रूरतमंद लोगों के लिए मौलिक ज़रूरतें मुहैया कराएं।

RS: हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

ST:  मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूं कि आप भी अपने आस-पास सेज स्वेटर कलेक्शन ड्राइव जैसी मुहिम को शुरू कीजिए और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी इसके बारे में बताइए। समाज को जागरूक बनाने में हमारी मदद कीजिए ताकि कोई भी ज़रूरतमंद किसी भी तरह की मदद से अछूता ना रह जाए।

ज़रा सोचिये, संजय की एक छोटी-सी पहल ने एक लाख ज़रूरतमंदों को मदद पहुंचाई है। हम सभी मिलकर एक दूसरे की सहायता से समाज में वो बदलाव ला सकते हैं जो शायद राजनीति के चलते कभी संभव नहीं हो सकता। बदलाव, एक ऐसे समाज के निर्माण का जहां जाति-धर्म से ऊपर उठ कर लोग मनुष्यता को प्राथमिकता दे और ज़रूरत के समय एक दूसरे के काम आएं।

सेज स्वेटर कलेक्शन ड्राइव के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये

https://www.facebook.com/sagesweatercollectiondrive/

 

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