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इस दुख की घड़ी में देश के ख़िलाफ़ न जाएं

अभी देश का माहौल इतना ज़्यादा संवेदनशील है कि कुछ भी कहना देश की स्तिथियों को बिगाड़ सकता है।

कुछ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को उड़ा देना चाहिए,पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं। पर पाकिस्तान का विरोध करते करते कब आप सब अपने ही देश के लोगों, मुसलमानों पर आ गए आपको पता भी नहीं चल रहा।

अभी हाल ही में रविश कुमार ने कुछ स्क्रीन शॉट्स शेयर किए। जिसमें उन्हें जमकर गालीगलौज का सामना करना पड़ा। ये सब मेसेज उन्हें पर्सनली किये गए हैं।

ये कैसी देशभक्ति जिसमें देश के लोगों को ही गद्दार कहा जा रहा है। जहाँ देश को आपके समाकलन की जरूरत है वहीं आप देश के अपने लोगों को ही गद्दार कह रहे हो। ये वक़्त है कि जहां हम सब को एकजुट होकर साथ खड़े रहना है।

इसी क्रम में सानिया मिर्ज़ा ने भी ट्विटर पर पोस्ट किया है । क्या आपकी देशभक्ति, देश के लिए प्रेम तभी जागेगा जब कोई बड़ा सेलेब्रिटी उसके लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट करे या उस पर बयानबाज़ी करे। उन्होंने कहा है कि मुझे किसी अटैक की पब्लिकली निंदा करने की जरूरत नहीं है और ये कहने की भी जरूरत नहीं है कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं। ये तो कुछ ही केस हैं पर सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट की भरमार है।

ये वाकई विचार करने लायक है कि आज 5 दिन बाद पुलवामा में शहीद हुए जवानों और उनके परिवारों के दुख को दरकिनार कर इस बात पर बहस जारी है कि किसने इस अटैक पर निंदा की और किसने नहीं। देशवासियों को ही अपनी देशभक्ति जताने की जरूरत आन पड़ी है। कई लोग तो ये सब भूलकर इसमें भी अपनी गंदी राजनीति को शामिल कर रहे हैं।

कल जब में बाज़ार गयी तो वहां कुछ आंटियां पुलवामा अटैक पर चर्चा कर रही थीं। और देखते ही देखते उनकी चर्चा कांग्रेस बीजेपी, हिन्दू मुसलमान के मुद्दे में फंस गई। मैं ये देखकर हैरान थी कि इन्हें उन परिवारों के दुख से तो कोई सरोकार ही नहीं है। एक आंटी ने तो ये तक कह दिया कि ये हमला कांग्रेस ने करवाया है। फिर दूसरी आंटी कहती हैं कि पाकिस्तान में तो हिंदुओं के साथ कितना बुरा करते हैं तो भी हम मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। इस बात ने मुझे एहसास दिलाया कि हमारी इस तरह की सोच कहीं न कहीं संदिग्ध परिस्थितियां बना सकती है। मैं पुलवामा हमले पर कुछ लिखना नहीं चाहती थी मैं इसे अपने लिखने का विषय बिल्कुल नहीं मानती ये एक बेहद दुख का पल था पर अफसोस लोगों के इस तरह के विचार मुझे मजबूर कर दिया।

इस पूरी चर्चा ने मेरे मन में एक सवाल छोड़ दिया कि हमें अपनी देश के प्रति लगाव, निष्ठा को साबित करने के लिए एक लंबी चौड़ी पोस्ट करनी होगी, प्रोफाइल पर तिरंगा, या मुसलमानों, देश के लोगों के साथ अपशब्दों का प्रयोग करना होगा?

अब ज़रा हिन्दू मुसलमान से ऊपर उठकर आतंकियों और इन्सानों में फर्क करना सीखिए। आज इस हमले से इतना डर देश में फैल गया है कि हिंदुओं के अलावा कई लोग इन हालातों के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने में डर रहे हैं। शायद जितनी तकलीफ इस हमले से आपको  और मुझेे न हुुुई हो उससे ज्यादा उन्हें हो रही हो। क्या एक हिंदुस्तानी होने के नाते उनका हक़ नहीं कि वो उन सभी वीर जवानों, शहीदों के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकें।

अगर आप इस असहनीय पीड़ा में भी हिन्दू मुसलमान जैसी बातों पर बहस करना, उनको अपने स्टेटस के जरिये ताने देना चाहते हैं तो आप बेशक करिये, पर आप यकीन मानिए की आप भी आतंकवादियों से बेहतर काम तो कतई नहीं कर रहे हैं। आप एक तरह से उनके इस नाकाम मकसद की कामयाबी में उनका साथ दे रहे हैं।

आपके और हमारे लिए ये कहना भी बहुत आसान है कि हमें बदला चाहिए या हमें एक और सर्जीकल स्ट्राइक चाहिए क्योंकि हमने ये सब कभी देखा ही नहीं हमने तो सिर्फ अखबारों में पढ़ा है टेलीविजन पर न्यूज़ चैनलों पर देखा है। घर पर बैठकर ये सभी बातें कहना बहुत आसान है।

आप सभी से निवेदन है कि वो जानते हैं कि उन्हें क्या करना है। तो कृपया ऐसी कोई भी अपवाह या ऐसी संवेदनशील बात जिससे देश में दंगे या झगड़े का माहौल हो, न करें।
कृपया इस दुख भरी घड़ी में संयम से काम लें। अपने विचारों पर थोड़ा काबू रख कर इस हादसे को एक और हादसे में न तब्दील करें। कृपया सभी लोगों को एक हिंदुस्तानी की नज़र से देखें। उन्हें भी अपने हिंदुस्तानी होने पर गर्व होने दें। देश का निर्माण देेेश के लोगों से ही होता है  उन्हें देेेशप्रेम साबित करने की कोई जरूरत नहीं।

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