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बहादुर जांबाज़ विभूति की प्रेमिका निकिता, तुम खूब जीना

प्यारी निकिता,

प्रेम लिखती आई हूं, कहती आई हूं बरसों से। प्रेम में सम्पूर्ण सृष्टि को हिला देने की ताकत है। रात के 11 बजने को आये हैं, मैं सोना चाहती हूं, क्योंकि सुबह पांच बजे उठना है, पर सो नहीं पा रही हूं, तुम याद आ रही हो।

कितना प्रेम रहा होगा, ऐसा प्रेम जिसे शायद मैं शब्द ना दे पाऊं, जिसे दुनिया की सारी नफरतें भी फीका ना कर पाएं, ऐसा जो रूह में खो जाए, और फिर खुदा हो जाये, जिसे खोया या पाया ना जा सके। मैं सिर्फ लेखिका नहीं, प्रेमिका भी हूं, उसी प्रेमी की ब्याहता भी। इतना प्रेम है कि बात-बात पर आंखों मे उतर जाता है। लाख शिकायतों के बाद भी ईश्वर के आगे हाथ जोड़कर उसकी सलामती से ज़्यादा कभी कुछ नहीं मांग पाई, दो बार मिसकैरेज में बच्चों को खो देने पर भी ईश्वर का शुक्रिया दिया, कि हमारा साथ और प्रेम है, तब तक मुझे कोई कमी नहीं।

तुम्हारा फ्लाइंग किस्स देखकर लगा, हर प्रेमिका को फ्लाइंग किस्स करना ज़रूर सीखना चाहिये। हर प्रेमी और प्रेमिका को कहने चाहिए, वो तीन शब्द, हर रोज़, जो तुमने कहे।

तुम तो फौजी की पत्नी ठहरी, बहुत कम मौके मिल पाते हैं लम्हों को वहीं रोक देने के इसलिए तुम्हें जो क्षण मिले तुमने उन क्षणों में संसार पलट दिया। दुनिया को यकीन हो ना हो, मुझे है कि विभूति वहीं उस क्षण में तुम्हारे पास ज़रूर थे, क्योंकि इस प्रेम के डटने की ताकत तो ईश्वर में भी नहीं। और वो हमेशा आएंगे, सिर्फ तुम्हारे पास, जब भी तुम यूं ही प्रेम से बुलाओगी।


सुनो निकिता, मैं भी बहुत प्रेम करती हूं अपने पति से, लेकिन तुम्हारे जितना शायद नहीं कर पाई, क्योंकि अभी उनकी नींद भरी गहरी सांसों की आवाज़ सोने नहीं दे रही, आंखों से प्रेम उछल कर बाहर आ रहा है, इसी प्रार्थना के साथ कि ईश्वर इन सांसों के बिना मेरी ज़िंदगी की कोई रात ना आये।

तुम याद आ रही हो, क्योंकि मैंने इश्क किया, बहुत किया पर तुम जैसा नहीं कर पाई, जिसे इश्क करने के लिये सांसों की ज़रूरत ही ना हो, जो रूह से ही एक हो जाये।

तुम प्यार की मिसाल हो निकिता। पूरी सृष्टि मिल जाये तो भी तुमसे विभूति को अलग नहीं कर सकते, क्योंकि वो तुम्हारे भीतर बस गए हैं, वहीं उनकी रूह तुम्हारी रूह से मिलकर एक हो गयी है। अब तुम ख्याल रखना, यही सोच कर कि विभूति का ही रख रही हो। अब बस तुम खुद से प्यार करना, बिल्कुल यही सोचकर कि विभूति से कर रही हो।

बहादुर जाबांज़ विभूति की प्रेमिका निकिता, तुम ख़ूब जीना और यूं ही मिसाल बनना।

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