पाकिस्तान दोहरे चरित्र वाला देश है तो चीन उसके बड़े भाई की भूमिका में है। करतारपुर कॉरिडोर खोलने में पाकिस्तान ने जब सहयोग दिखाया तब लगा कि चीज़ें बदल रही हैं लेकिन मौजूदा हालातों से ऐसा कतई नहीं लग रहा है।
आतंकवाद के फलने-फूलने में जिस तरह पाकिस्तान कार्रवाई ना करते हुए मदद कर रहा है, उससे पाकिस्तान का दोहरा चरित्र सामने आता है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में जब सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गए तब भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद का बहस फिर से शुरू हो गया।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब जाकर एक वीडियो जारी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है।
इमरान खान ने यह भी कहा कि पुलवामा हमले के तुरन्त बाद उन्होंने प्रतिक्रिया इसलिए नहीं दी क्योंकि सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ज़रूरी करार के मकसद से पाकिस्तान दौरे पर थे।
पाकिस्तान को लगा था 20 हज़ार करोड़ का झटका
उल्लेखनीय है कि आतंकवाद को बढ़ावा देते रहने से अमेरिका ने भी उसकी 20 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद गत वर्ष रोक दी थी। अमेरिका मुखर होकर यह कहता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ा दे रहा है और आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
चीन की चालाकी
इन सबके बीच चीन पाकिस्तान के साथ उस समय भविष्य देख रहा है जब पाकिस्तान आतंकवाद के गढ़ के रूप में पूरे विश्व में मशहूर है। ‘वन बेल्ट वन रोड परियोजना’ के ज़रिये चीन अपना हित साध रहा है और पाकिस्तान के साथ आपसी सहयोग को भी आगे बढ़ा रहा है।
आपको बता दें ‘वन बेल्ट बन रोड परियोजना’ में एक ऐसा इकोनॉमिक कोरिडोर शामिल है, जिसका रास्ता पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से गुज़रता है।
भारत ने हाल ही में जब पुलवामा आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अज़हर मसूद को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए पहल की, तब चीन ने अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मानने से इंकार कर दिया।
इससे चीन ठीक पाकिस्तान की तरह दोहरे चरित्र को विश्वपटल पर रेखांकित कर रहा है और बड़े भाई जैसी भूमिका निभा रहा है। यह वही अज़हर मसूद है जिसका नाम 2001 में संसद हमले में भी आया था।
अज़हर मसूद को वर्ष 1994 में श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था और 1999 में ‘कंधार अपहरण कांड’ के बाद विमान यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के बदले भारत सरकार ने उसे छोड़ा था।
पाकिस्तान का शुभचिंतक है चीन
गौर करने वाली बात है कि इतना होने के बाद भी आतंकवाद के गढ़ बनते जा रहे पाकिस्तान की मदद के लिए चीन हमेशा खड़ा नज़र आ रहा है। वर्ष 2017 में जब अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में अज़हर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने बात कही थी तब चीन ने वीटो कर दिया था।
पाकिस्तान को विचार करना होगा
इन सबके बीच पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद संगठन ने ली है। वहीं, भारतीय एजेंसियों के मुताबिक कामरान नाम के एक आतंकवादी का भी पता चला है, जिसके इशारे पर पुलवामा में हमला हुआ।
चिंता की बात है कि पुलवामा हमले से जहां पूरा विश्व सकते में है, वहीं पाकिस्तान की ओर से अपने यहां फल-फूल रहे आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई जैसी बात अभी तक सामने नहीं आई है।
पाकिस्तान जिस तरह अपना दोहरा चरित्र दिखा रहा है, उससे यह साफ है कि पाकिस्तान कहीं ना कहीं आतंकवाद को शह दे रहा है। पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने की वजह से अपनी विश्वसनीयता खो रहा है।
‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्ज़ा नहीं
अमेरिका ने जहां रक्षा सहायता राशि रोकी तो भारत ने पुलवामा हमले के बाद ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ लिस्ट से पाकिस्तान का नाम काट दिया जिससे पाकिस्तान को भारत के साथ व्यापार करना महंगा पड़ेगा।
भारत से आयात करने के लिए पाकिस्तान को अधिक शुल्क देना होगा और कोई रियायत भी नहीं मिलेगी। ‘एमएफएन’ से बाहर होना पाकिस्तान के लिए एक तगड़ा आर्थिक झटका है। इसके अलावा विश्व में जो संदेश जाएगा वो यह कि पाकिस्तान आतंकवाद को फलने-फूलने में मदद कर रहा है।
इस समय देश एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जहां लोगों के अंदर आतंकवाद को लेकर काफी गुस्सा है। सड़कों पर अलग-अलग जगहों में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और यहां तक कि कश्मीरियों और मुसलमानों के साथ हिंसक घटनाएं भी हो रही हैं।
हमें ज़रूरत है कि ऐसे वक्त पर उग्र ना होकर आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस हल निकालने की कोशिश करें।