व्यावसायिकता की आड़ में भारतीय मीडिया का स्वरूप एक ना एक दिन बदलना तो तय था लेकिन इस तरीके से मीडिया का परिवर्तन होगा इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। मीडिया के संदर्भ में चाहे न्यूज़ चैनलों की बात हो या अखबारों का ज़िक्र हो दोनों ही एक नीति के तहत काम कर रहे हैं, जिसमें जनहित कहीं नहीं है। इन चीज़ों की वजह से लोगों का विश्वास कुछ न्यूज़ चैनलों और पत्रकारों से उठता जा रहा है।
इस दौर में कुछ न्यूज़ चैनलों के एंकर व संपादक खबरों का विश्लेषण और समीक्षा ना करके उन्हें गलत तरीके से पेश करते हैं। इस सूची में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी सबसे शीर्ष पर चल रहे हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर न्यूज़ 18 के अमिश देवगन हैं जबकि तीसरे नंबर पर आज तक के रोहित सरदाना हैं।
अर्नब के बहस में भाजपा का समर्थन
अर्नब की बहस में शामिल होने वाले अतिथियों के साथ बेहूदगी पूर्ण व्यवहार किया जाता है। खासकर उन लोगों पर टारगेट किया जाता है जो बीजेपी के अलावा किसी अन्य पार्टी से हों। डिबेट में टीआरपी के लिए चिल्ला-चिल्लाकर विपक्ष पर आरोप और झूठी खबरों का अंबार लगाया जाता है।
अर्नब को बीजेपी की नाकामियां नहीं दिखती हैं क्योंकि उनके पापा मनोरंजन गोस्वामी भाजपा के बड़े नेता हैं। वह साल 1998 में बीजेपी से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। गौरतलब है कि उक्त बातें आरजेडी के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट की गई है।
हिन्दू-मुसलमानों के बीच फैलाते हैं नफरत
अमिश देवगन और रोहित सरदाना जैसे कुछ पत्रकार दिन-रात न्यूज़ चैनलों पर बहस के ज़रिए हिंदू-मुस्लिम के बीच ज़हर फैलाते हैं। इन्हें ना तो किसानों के मुद्दे से कोई मतलब है, ना महंगाई और ना ही चौपट होते उद्योग धंधों से कोई मतलब है।
अमिश देवगन खुद को इतना काबिल समझते हैं कि चीख-चीख कर भाजपा विरोधी दलों के प्रवक्ताओं की आवाज़ बंद कराने की कोशिश ज़ोरों पर होती है लेकिन मोदी की आलोचना इन्हें कतई पसंद नहीं है। इसकी वजह यह है कि न्यूज 18 के मालिक अब अंबानी हैं और आप जानते हैं कि मोदी और अंबनी की दोस्ती तो शानदार है।
गौरतलब है कि न्यूज़ 18 और फर्स्टपोस्ट के मालिक अंबानी हैं जिनके भाजपा से रिश्तों के बारे में आपको बताने की ज़रूरत नहीं है। वहीं, इंडिया टुडे ग्रुप के मालिक हैं अरुण पुरी जिनके साथ बीजेपी के खास रिश्ते हैं।
ज़ी मीडिया के सभी चैनलों के मालिक बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुभाष चन्द्रा हैं। अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा लीजिए कि इनसे निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इन न्यूज़ चेंनलों के ओनर्स का नाम जानकर आपको यह अंदाज़ा लग गया होगा कि आखिर क्यों इनके पत्रकार मोदी-मोदी कहते हैं।