शर्म आ रही है?, डर लग रहा है?, गुस्सा आ रहा है?, हताशा हो रही है?, मानवता से विश्वास उठ चुका है?, यदि हां, तो अब आप ही हैं जो इस सृष्टि को बचा सकते हैं।
मैं ऐसा इसलिए कहा रहा हूं क्योंकि प्रेम को लेकर लोगों का नज़रिया काफी तंग हो चुका है। इसकी बानगी अभी हाल ही में देश के दो राज्यों में दिखी।
राजाखेड़ा की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले के मनसुखपुरा थाना क्षेत्र के बड़ापुरा गाँव में ऑनर किलिंग का मामला सामने आया है। खबरों के मुताबिक एक विवाहिता और उसके प्रेमी की फावड़े से काटकर हत्या कर दी गई।
बड़ापुरा गाँव निवासी विवाहिता महिला पूजा (बदला हुआ नाम) का प्रेम प्रसंग राजाखेड़ा निवासी भट्टा व्यवसायी दुलाल (बदला हुआ नाम) नामक युवक से चल रहा था। मंगलवार दोपहर दुलाल अपनी प्रेमिका से मिलने उसके घर गया था जहां विवाहिता के परिजनों ने दोनों को फावड़े से काटकर हत्या कर दी।
ऐसा ही एक मामला श्रीगंगानगर के रावला थाना क्षेत्र में भी देखा गया जहां एक युवक को पेड़ से बांध पीट-पीट कर हत्या कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि अस्पताल में प्राथमिक उपचार देकर युवक को छुट्टी दे दी गई लेकिन कुछ देर बाद उसकी तबीयत खराब होने पर जब उसे अस्पताल लाया जा रहा था तब रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
अस्तित्व को काटने का प्रयास
यह सिर्फ घटना मात्र नहीं है। यहां आपके अस्तित्व को काटने का प्रयास हुआ है। मानुषिक भविष्य के चीथड़े कर, उसे नीचता की तलवार पर टांगकर यह दिखाने का प्रयास हुआ है कि कोई प्रेम करने का दुस्साहस ना करें अन्यथा वह मारा ही नहीं बल्कि काटा भी जाएगा।
दरअसल, यह घटना एक सोच का परिणाम है। व्यक्ति तो महज़ एक साधन मात्र बना है। यह सोच है अपनों पर अपना स्वामित्व समझने की और यह सोच कमोबेश सृष्टि के 90 प्रतिशत दैत्यों के मन में पैठ कर चुकी हैं। इस सृष्टि के 90 प्रतिशत दैत्य प्रेम के बैरी हैं।
प्रेम इस सृष्टि का सुखद भविष्य है, बलात् संसर्ग नहीं। वे अपनों पर अपना स्वामित्व समझते हैं तथा बलात् संसर्ग को अपना अधिकार। चूंकि सृष्टि में 90 प्रतिशत दैत्य हैं तो वे एक-दूसरे को झूठा सम्मान देते हैं। इनकी समझ में प्रेम इनके झूठे सम्मान का हनन करता है।
प्रेम के दुश्मन दैत्य बन गए हैं क्या?
यह प्रेम का दमन नहीं कर पाते तो प्रेमियों का कर देते हैं। यूं ही प्रेमियों और मानवीयता का गला घोंटते जाते हैं। आखिरकार स्वयं भी झूठे सम्मान के साथ मर जाते हैं।
वे मनुष्य भी दैत्य ही हैं जो स्वयं के प्रेम को तो प्रेम तथा सहोदर/सहोदरा या किसी अपने के प्रेम को कुल/वंश का अपमान समझते हैं। इन दैत्यों का प्रेम निरा आडंबर होता है।
दंड से अपराध कम होता है, खत्म नहीं होता। अपराध खत्म करने के लिए उस अपराध के पीछे की सोच को खत्म करना ज़रूरी होता है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए कानून नहीं बल्कि समाज के साथ-साथ आप भी प्रभावी हैं। याद रखिए, हर रिश्ते को जीया जाता है, हासिल कर उस पर अपना स्वामित्व नहीं समझा जाता।
बदलाव ज़रूरी है
आपको सचोने की ज़रूरत है कि क्या किसी अपने को आप किसी से भी प्रेम करने की स्वच्छंदता दे सकते है? यदि हां, तो बधाई हो! आपमें अब भी मानवता जीवित है। आप ही इस सृष्टि का सुखद भविष्य बचा सकते हैं।
यदि नहीं, तो माफ कीजिये श्रीमान! आपमें मानवीय मूल्यों की कमी है। आपको समझना होगा कि इस सृष्टि के किसी भी मनुष्य पर आपका कोई हक नहीं है।
नोट: भावेश ‘Youth Ki Awaaz’ इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च बैच के इंटर्न हैं।