चूं चूं (चुनाव) का मुरब्बा
सुनील जैन राही
चच्चा सुबह से मारनिंग वाक से घूम कर आए और बोले-अरे भाई झम्मन जे का सुन रहे हैं। हमारे देश में फिर चूं चूं का मुरब्बा तैयार हो रहा है। झम्मन अलसाये से खटिया तोड़ते हुए उठ बैठे और चच्चा पर गुस्साये-
अब तुम्हें पता नहीं तो क्या चुनाव का मुरब्बा नहीं बनेगा। अरे चच्चा इत्ती-इत्ती बड़ी -बड़ी बातें हो गईं और तुम जनता की तरह सोए पड़े हो। खैर चच्चा अब तुम्हें क्या बतायें-
हम तो सोच रहे थे अभिनन्दन के चक्कर में चुनाव का चक्कर टल जाएगा और देश आतंकवाद से मुक्त हो जाएगा, लेकिन वही ढाक के तीन पात।
चच्चा- अरे झम्मन तुम तो निखटटू और निठल्ले। तुम्हें देश से क्या लेना-देना। तुम अपने चु-नाव की जुगाड़ करो। कोई छौरिया मिल जाए तो ब्याह करो और देश की जनसंख्या में नेकआत इजाफा करो और जैसे दूसरे मत्त हैं, वैसे मर जाओ।
झम्मन- हम तो ब्याह आज कर लें। कोई लड़की का बाप तैयार तो हो। जब तक नौकरी ना लगे तब तक ब्याह करने से क्या फायदा।
चच्चा- क्यों जिनकी नौकरी नहीं होती, उनका भी तो ब्याह होता है। तुम कौनसे अनोखे लला हो।
झम्मन- हम अगर ब्याह कर लेंगे तो धरम पत्नी क्या खिलायेंगे।
चच्चा- अरे जब तक मूरख जिन्दा है, किस बात की चिन्ता। खाने और पीने दोनों का इंतजाम हो जाएगा। बस ब्याह कर लो।
झम्मन- अरे चच्चा जिसने ब्याह करके छोड रखी है, उनसे सलाह ले लें?
चच्चा- अब तुम कहोगे जिसने ब्याह नहीं किया उससे सलाह ले लें। अरे जिसने शादी नहीं की वो क्या जाने लडडू का स्वाद।
झम्मन -देखों राजनीति की बात मत करो। राजनीति में शादी किए बिना ही लडडू खाने का रिवाज है। हमारा इतिहास गवाह है। शादी करने वाले जितने सफल नहीं हुए उतने बिना शादी किए रस लेते हुए सफल हो गए।
चच्चा- राजनीति को घंटा बज गया और तुम कह रहे हो राजनीति की बात मत करो।
झम्मन- हमें राजनीति से क्या लेना और क्या देना। जाएंगे गधे की तरह वोट डालेंगे और चले जाएंगे।
चच्चा- जब गधा हो तो निश्चित रूप से बाप बनोगो। राजनीति में बाप वही होता है जो गधा होता है। जिस तरह गधे में काबलियत होती है वैसी राजनीति में काबलियत की गुंजाइश नहीं है। तुम्हारे वोट में दम, तुम्हारी पार्टी में दम या फिर तुम्हारे परिवार में दम और नहीं तो कम से कम जाति दमदार हो और तुम्हारी सुनती हो।
झम्मन -अरे चच्चा, जात का तो पता नहीं, हां पता लगते ही जातिवादी हो जाएंगे।
चच्चा- देख अगर तेरे जूते में दम है, तो वोट में दम आ ही जाएगा।
झम्मन- लेकिन जूते खाने वाला भी चाहिए, जो खाए भी और सहलाए भी।
चच्चा- देखो चमत्कार इंडिया में ही होते हैं। आज तक इतने जूते फेंके गए, लगा एक नहीं।
झम्मन-ये तो मानना पड़ेगा, इस देश में पहलवान भले ही पिट जाएं लेकिन गोली मारकर ओलिम्पिक सोना तो उड़ा ही लाते हैं।
चच्चा- खैर छोड़ो चूं चूं के मुरब्बा में तुम क्या करने जा रहे हो। आज मुरब्बा किसका डाला है जरा चखाओ।
झम्मन- देखो, चुनाव में वादे वही किए जाते हैं जो पूरे नहीं होते।
चच्चा- तो तुम्हारा मतलब घोषणा पत्र से है।
झम्मन-घोषणा पत्र और घोषणा करना एक ही बात है। पहले भविष्यवाणियां होती थीं, सच होने के लिए अब भविष्यवाणियां नहीं, घोषणाएं होती हैं, शिलान्यास होते हैं, गठबंधन होते हैं, सत्ता पाने के लिए, रसमलाई चाटने के लिए और जनता को मूरख बनाने के लिए।
चच्चा-अरे तुम तो नेताओं की तरह काम की बात करने लग गए। ये बताओ घोषणा क्या है।
झम्मन- पहले शादी की बात तय कराओ, भले ही झूठी हो, तब बतायेंगे।
चच्चा- ठीक है, 23 मई को शादी पक्की समझो।
झम्मन- तो ठीक है, पहली घोषणा यह है कि जिसने छोड़ रखी है वो तलाक की बात कर रहा है और जिसने शादी नहीं कि वह महिलाओं के आरक्षण की बात कर रहा है।
चच्चा- अब तू निकल जा, फिर राजनीति की बात करने लगा। जा अपनी रजाई उठा और मुंह ढक के प्रजातंत्र की तरह सो जा।
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