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बंदूक की नोक पे आज़ादी

यह बात सही है कि भारत में तरह-तरह की जातियां और धर्मों के लोग रहते हैं और सभी को हक है कि भारत के किसी भी कोने में जाएं और रोजगार व शिक्षा के अच्छे से अच्छे अवसरों का फायदा उठाएं, लेकिन कुछ सालों से जो बिहार, यूपी और पूर्वोत्तर भारत के ज्यादा से ज्यादा लोगों का पलायन महानगरों में हो रहा है वह चिंता का विषय है। बात ये नहीं है कि यूपी, बिहार और पूर्वोत्तर भारत के लोगों को शिक्षा व रोजगार के अच्छे अवसर प्राप्त नहीं होने चाहिए, बात यह है कि महानगर पहले से ही बेरोजगारी व अत्यधिक जनसंख्या जैसी मुसीबतों से जूझ रहे हैं। उसके ऊपर से इन तीन राज्यों के ज्यादा से ज्यादा लोगों का यहां पलायन करना इन समस्याओं को और अधिक बढ़ा रहा है। यहां की सरकारों को व केंद्रीय सरकार को भी चाहिए कि यहां की जनता को शिक्षा और रोजगार के अच्छे से अच्छे अवसर उपलब्ध कराएं ताकि यह लोग यहां महानगरों में आकर इन समस्याओं को और बढ़ावा ना दें।
महानगर व महानगरों के अवसर कोई खैरात नहीं है जो हम इन इन लोगों को थाली में परोस कर देंगे।
हमारे धर्म में हमेशा यह चीज सिखाई गई है कि सभी को बराबर का दर्जा दे, जो कि सही है लेकिन जब हमारे हिस्से में अवसर कम पड़ते जा रहे हैं तो हम अपने गिने-चुने अवसर इन लोगों के साथ कैसे बांट सकते हैं।
अखंड भारत और भारत के संविधान में मेरा पूरा पूरा भरोसा है ,था और रहेगा लेकिन अब समय आ गया है कि हम कुछ मुद्दों को लेकर अपनी आवाज़ उठानी शुरू करें। इन लोगों को राज्य से बाहर निकालने का जो काम बालासाहेब ठाकरे ने किया था उसी काम को यहां दोहराने की बारी है।
अगर हम लोगों को अपने लिए नौकरी व शिक्षा के गिने-चुने अवसर बचाने तो इन लोगों को महानगरों से बाहर निकालना होगा। यह काम चाहे शांति से हो, या बंदूक की नोक पर फर्क नहीं पड़ता।

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