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मुद्दे बनाम जुमले

मुद्दे बनाम जुमले
ऐसे में जब 2019 का चुनाव सर पर है और और तमाम राजनीतिक पार्टियां मुद्दे, वोट, जातीय समीकरण और जनता को अपने अपने तरीको से साधने में जुट गई है। विपक्ष पूरी तरह से मोदी सरकार को रोकने में पूरी ताकत से जुटी हुई है।

वही दूसरी तरफ भाजपा 42 पार्टियों के साथ फिर से सत्ता में आने की पुरजोर कोशिश करने में जुटी है।2014 में काफी उम्मीदों के साथ आई यह सरकार जुमलों तक सीमित रह गयी, धीरे धीरे सत्ता का नाश ऐसा चढ़ा की हर प्रदेश में सिर्फ बीजेपी की सरकार बनवाने लगे चाहे तरीका कैसा भी हो, नैतिक या अनैतिक। वही दूसरी तरफ ये माहौल बनाया जाने लगा कि मोदीजी ही राष्ट्र है और मोदी विरोधी राष्ट्रद्रोही। पिछले 5 सालों में देश मे ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जो सरकार से सवाल पूछता है मुद्दों की बात करता है वो देश विरोधी घोसित कर दिया जाता है। पिछले 5 सालों से यही हुआ है हर मुद्दे को दबाने के लिए एक नया मुद्दा लाया गया पर वास्तविक समस्या का कोई समाधान नही हुआ।

अब फिर से बाजार में एक नया ड्रामा आया है “मैं ही चौकीदार हूं” और देश का युवा बिना सोचे समझे खुद को चौकीदार कहने लगा है।

मेरी युवाओ से अपील है कि ऐसे बाज़ारू हतकंडो पर ना जाये बल्कि इस बार का चुनाव मुद्दों पर लड़े, सवालों पर लड़े, बेरोजगारी पर लड़े, आत्महत्या करते किसानों के सवालों पर लड़े, राष्ट्रीय सुरक्षा पर लड़े, शहिद होते जवानों के सवालों पर लड़े,काला धन पर लड़े, भ्रस्टाचार पर लड़े, विदेश भागते माल्या, मोदी के सवालों पर लड़े, महंगाई पर लड़े, पेट्रोल डीज़ल पर लड़े, गरीबी पर, शिक्षा पर लड़े और आपका मुद्दा भी यही होना चाहिए ना कि गाय हो ना गोबर ना हिन्दू मुस्लिम और ना ही राष्ट्रवादी होने का सर्टिफिकेट लीजिये किसी भी पार्टी से।

और इस बार जब भी वोट देने जाए तो इतना जरूर याद रखे कि आपका एक वोट सिर्फ आपका भविस्य तय नही करेगा बल्कि आपके बच्चों के साथ साथ इस देश का भविस्य भी तय करेगा।

हम युवा है हम स्मार्ट इंडिया की बात करेंगे ना कि गाय गोबर की। देश बचाना है तो सवाल करने पड़ेंगे और अगर जवाबो के बदले जुमले मिलेंगे तो सत्ता भी बदलनी पड़ेगी और सरकार भी क्योंकि देशहित सर्वपरी है।

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