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से नो टू फेक न्यूज

बहुत दिनों से सोशल मीडिया पर युवा साथियों के व्यवहार से मन में एक सवाल उठ रहा है। सवाल कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं? क्या सोशल मीडिया पर आज हो रही छोटी-मोटी जंग देश को गृहयुद्ध की तरफ तो नही ले जा रही है? ( यहां जंग से मेरा अर्थ गाली-गलौच और धार्मिक टिप्पणियों वाली बहस से है) सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसका निर्माण लोगों को आपस मे जोड़ने के लिए किया गया। लेकिन मौजूदा समय में इस प्लेटफार्म का प्रयोग नफरत और झूठ फैलाने के लिये किया जा रहा है। ये नफरत कौन फैला रहा है, हमें इसको समझने की कोशिश करनी होगी। केवल मात्र 2 से 3 प्रतिशत लोगों ने बाकी के बचे 98-97 प्रतिशत लोगों को अलग-अलग धड़ो में बांट दिया है। कोई कांग्रेस का हो गया है तो कोई भाजपा का या कोई किसी अन्य दल का। यहां तक बात नही बनी तो हिन्दू और मुसलमान बनाकर हमसे हमारे ही घर जलवाए जा रहे हैं। युवाओं के जोश का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका उदाहरण हाल के दिनों में पाकिस्तान वाले मामले में देखा गया। पुलबामा में हुए आतंकी हमले के बाद देश का हर व्यक्ति गुस्से में था और जोश से लबालब था। जोश इतना कि कुछ लोग तो अपने घर के ड्राइंग रूम में बैठकर ही खुद की पीठ पर बम बांधकर पाकिस्तान में कूदने को तैयार थे। देशभक्ति साबित करने का फैशन है तो लोगों ने इसमें कोई कसर भी नही छोड़ी। लेकिन इस पर राजनीतिक दिग्गज़ों ने युवाओं के जोश का फायदा उठाकर अपनी रोटियां सेंकना शुरू कर दी। भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल ने झूठ और नफरत फैलाने शुरू कर दिया। ऊपर से झूठ और नफरत से भरी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डालकर राजनीतिक पार्टियां युवाओं को बहस का मुद्दा दे देती हैं। बहस इतनी बढ़ जाती है कि अलग-अलग धड़ो में बंटा युवा वर्ग गाली-गलौच से शुरू होकर धार्मिक आरोपों तक पहुंच जाता है। अंत में हिंसा और टकराव की स्थिति बन जाती है। लेकिन हमें समझना होगा कि ये टकराव क्यों? क्या घंटो की बहस के बाद हम वास्तविक स्थिति को सुधार पाए? हम अक्सर आधी अधूरी जानकारी के साथ सामने वाले को नीचा दिखाने के लिये बहस में उलझे रहते हैं। क्या हमने कभी सोचा कि जिस पोस्ट को हम शेयर कर रहे है वो सही है या नही? उसकी सत्यता की पुष्टि हमने की है? होता क्या है कि मान लीजिए किसी कांग्रेसी ने भाजपा के खिलाफ कोई पोस्ट देखी और उत्साहित कार्यकर्ता या समर्थक ने उसे झट से शेयर कर दिया या फिर उसे कॉपी-पेस्ट कर पोस्ट कर दिया। ठीक ऐसा ही दूसरे दल के लोग करते हैं। फिर शुरू होता है बहस और छींटाकसी का दौर जो आसानी से खत्म नही होता।

किस तरह फैलाई जा रही है नफरत

हाल में आपने सोशल मीडिया की कुछ पोस्ट पर देखा होगा कि पोस्ट को आधार बनाकर कहा जा रहा है कि जो भी व्यक्ति (खासकर अल्पसंख्यक समाज का व्यक्ति) ‘भारत माता की जय’ नही बोलता है। उसे पीट दिया जाए। वहीं कुछ लोग इस तरह की पोस्ट को डालकर अपने आस-पास के लोगों को भड़काने का खूब प्रयास करतें हैं। आपने देखा होगा कि लोग इसके माध्यम से नफरत फैलाने में काफी हद तक कामयाब भी रहते हैं। 

इसके पीछे किस तरफ की मानसिकता करती है काम

हमारे देश में शुरू से ही फूट डालो और राज करो वाली स्कीम चलती चली आ रही है। और आज भी राजनीतिक दलों के लोग यही कर रहे हैं। उनका मकसद लोगों को बांटकर वोटों की राजनीति करना ही होता है। क्योंकि उन्हें अपना बहुमत साबित करना होता है और इसके लिए वे जनता को बांटना बेहद जरूरी समझते हैं। 

इससे कैसे बचें।

●किसी भी पोस्ट की सत्यता की जांच किये बिना उसको शेयर, कॉपी-पेस्ट करने से बचें।

●आप जहाँ भी रहते हैं वहां की चिंता सबसे पहले करें। वहां के मुद्दों को उठाएं।

●सोशल मीडिया पर बहस से बचें।

●सोशल मीडिया पर गाली-गलौच और धार्मिक टिप्पणी हरगिज़ न करें।

●राजनीतिक पार्टियों की मंशा को समझे और आपस में न उलझें।

●सच और झूठ को पहचाने, दूसरे व्यक्ति को कुछ भी बोलने से पहले स्वयं को देखें।

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