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Ayushman Bharat Yojana से हो रहा गरीबो का मुफ्त इलाज कुछ राज्य क्यु हो रहे इस योजना से दूर

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 14 अप्रैल 2018 को बाबा साहिब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती के दिन छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य आश्वासन कार्यक्रम “आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन”को लॉन्च किया।इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य उपलब्ध कराया जायेगा। १० करोड़ बीपीएल धारक परिवार (लगभग ५० करोड़ लोग) इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा सकेगें। गरीब मरीजों के लिए आयुष्मान भारत योजना बीमारियों के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो रही है।  इस योजना के तहत अभी तक साढ़े आठ लाख से अधिक लोगों का इलाज हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार सरकार हर गरीब व्यक्ति को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और पैसे की कमी के कारण किसी गरीब को इलाज से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। अभी तक प्रधानमंत्री को ओर लगभग 7.5 करोड़ गरीब परिवारों को पत्र भेजा जा चुका है। एक बार पत्र मिलने के बाद परिवार के लिए इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश करते हैं और नतीजा यह हो रहा है कि उनका आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड भी तत्काल बन जा रहा है। अभी तक छह करोड़ से अधिक गोल्डन कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इनमें पिछले 24 घंटे में एक लाख 35 हजार से अधिक गोल्डन कार्ड जारी किये गए हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना के तहत गरीबों के इलाज पर आने वाले खर्च के भुगतान के लिए अस्पतालों को लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ रहा है। इसके तहत अस्पतालों को 15 दिन के भीतर पूरा भुगतान किया जा रहा है। अभी तक गरीबों के इलाज पर कुल 1132 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जिनमें 675 करोड़ रुपये अस्पतालों को दिये जा चुके हैं। अभी तक इस योजना के तहत जो गरीब भर्ती हुए हैं, उनके इलाज पर औसतन लगभग 13 हजार रुपये का खर्च आया है। इस योजना के तहत के तहत कुल 10.74 करोड़ परिवार को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जानी है। लेकिन कई राज्यों के इससे बाहर होने के कारण वहां रहने वाले गरीब परिवारों को यह इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। तेलंगाना, ओडिशा और दिल्ली पहले से ही इससे बाहर हैं। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल भी अलग हो गया था, जिससे वहां के 1.10 करोड़ गरीब परिवार इस योजना के लाभ वंचित हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ ने भी योजना को बाहर होने का ऐलान कर चुका है। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में इस योजना पर आने खर्च का 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती है, जबकि बाकि राज्यों में 60 फीसदी योगदान केंद्र सरकार का होता है। तो क्या कारण है कि इस योजना से कुछ राज्य खुद को दुुर क़यू कर रहे है। उनके राज्य मेंं रहने वाले उन गरीबों का हक़ नही होता है कि वो भी इस योजना के लाभार्थी बने क्या गरीबों के सेहत से ज्यादा राजनीति तो बड़ी नही होनी चाहि

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