हिंदुस्तान में सड़क दुर्घटनाएं बहुत आम बात मालूम होती हैं। यह इतनी आम है कि सड़क पर चलने वाले हर नागरिक ने या तो अपनी आंखों के सामने सड़क दुर्घटनाएं देखी होती हैं या वे स्वयं इन सड़क हादसों का हिस्सा रहे होते हैं।
अपनी बीटेक की पढ़ाई के दौरान एक ऐसी ही सड़क दुर्घटना का गवाह रहा हूं। उस एक घटना से हम सब समझ सकते हैं कि हिंदुस्तान में सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं के लिए कौन-कौन सी चीज़ें ज़िम्मेदार हैं और किस तरह हम इन दुर्घटनाओं की संख्या में कमी ला सकते हैं।
दोपहिये वाहन पर तीन लोग सवार थे
अगस्त का महीना था। उत्तर भारत में मॉनसून के दौरान ज़ोरदार बारिश हो रही थी। एक रोज़ दोपहर के वक्त हरिद्वार से तीन लड़के मोटर बाइक पर सवार होकर रूड़की की तरफ निकले।
उस दोपहिया वाहन पर तीन लोग बैठे थे, उनमें से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहनी थी। रास्ते में उन्हें जब एक पुलिस हवलदार ने रोका, तब उन्होंने हवलदार को पांच सौ रुपये की घूस देकर, नियम का उल्लंघन जारी रखा। वे तीनों बहुत खुश और उत्साहित थे। इसकी एक खास वजह थी।
जन्मदिन की पार्टी के लिए शराब खरीदने निकले थे
दरअसल, वे तीनों हरिद्वार के एक कॉलेज में पढ़ते थे और उस रोज़ कॉलेज से बंक मारकर निकले थे। उनमें से एक लड़के का उस रोज़ जन्मदिन था। जन्मदिन की पार्टी के लिए उन्हें शराब खरीदनी थी, इस वजह से वे तीनों बिना हेलमेट के हरिद्वार-रूड़की नैश्नल हाईवे पर स्थित शराब के ठेके के लिए निकले थे।
शराब का ठेका बहुत लोकप्रिय था। हरिद्वार के धार्मिक नगरी होने के कारण वहां बहुत कम शराब आदि के ठेके हैं। इसलिए हरिद्वार से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ठेका, शराबियों की पहली पसंद थी। कॉलेज के युवा छात्रों की भी यह पहली पसंद थी। यहां हर वक्त अच्छी खासी भीड़ रहती थी।
कान में हेडफोन लगाकर सड़क क्रॉस कर रही थी लड़की
अभी तीनों शराब के ठेके तक पहुंचते कि उनके सामने एक लड़की आ गई, जो अपने कान में हेडफोन लगाकर सड़क क्रॉस कर रही थी। वे बाइक कितने गंदे तरीके से चला रहे थे, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। अचानक लड़की के सामने आने पर उन्होंने हॉर्न बजाते हुए तेज़ी से ब्रेक लगाई।
अब लड़की के कानों में चूकि हेडफोन थे इसलिए वह हॉर्न की आवाज़ ना सुन सकी। तेज़ गति से चलती बाइक के अचानक ब्रेक लगाने से बाइक अनियंत्रित होकर रपटती हुई, सड़क की दूसरी तरफ चली गई। सड़क के बीच में डिवाइडर नहीं बने हुए थे।
ओवरलोडेड ट्रक ने मारी टक्कर
अभी सड़क के किनारे खड़े लोग कुछ समझ पाते कि हाईवे पर दूसरी तरफ से तेज़ी से चली चला आ रही ओवरलोडेड ट्रक, जिसमें पत्थर भरे हुए थे, बाइक से गिर चुके तीनों युवकों के ऊपर से निकलता हुआ चला गया। कुछ लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस और पुलिस को फोन किया और कुछ लोग लड़कों को घेरकर खड़े हो गए।
तीनों लड़कों के शरीर से खून बेतहाशा बह रही थी। इसी बीच कुछ असंवेदनशील लोगों ने अपने फोन निकाल लिए और सड़क पर खून से लथपथ पड़े लड़कों का वीडियो बनाने लगे। ट्रक ने इतनी बेदर्दी से कुचला था कि जब तक एम्बुलेंस आती, उनमें से दो लड़कों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
इनमें से एक लड़का वह भी था जिसका उस रोज़ जन्मदिन था। तीसरे लड़के का एक पैर कट चुका था। उसे तुरन्त अस्पताल पहुंचाया गया, वहां उसकी जान तो बच गई मगर वह उम्र भर के लिए निशक्त बन गया।
मैं इस घटना का चश्मदीद गवाह नहीं था। इस घटना के कुछ घंटे बाद जब मैं अपने बीटेक कॉलेज, जो कि हरिद्वार-रूड़की राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, वहां से पतंजलि योगपीठ हरिद्वार जा रहा था, तब रास्ते में भीड़ देखकर बस ठहर गई थी।
खैर, जो लड़का बच गया था, बाद में पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पूरी घटना सामने आई। मृत लड़कों के परिजनों ने कॉलेज प्रशासन को भी आड़े हाथ लिया। इसके साथ ही ज़िला प्रशासन का भी घेराव किया और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए।
मेरे कॉलेज के कई दोस्त हरिद्वार के निवासी थे। उन्होंने अखबारों और लोकल समाचार पत्रों में इस घटना के बारे में जो कुछ छपा, वह समय- समय पर मुझसे साझा किया।
इस तरह से मुझे इस घटना के बारे में इतनी जानकारियां मिलीं। इस घटना में लोगों ने देखा कि किस तरह अपनी लापरवाही और लड़की की गलती की वजह से तीन युवाओं और उनके परिवारजनों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई।
अगर हम सभी इस घटना से सीख लेते हुए सड़क सुरक्षा कानून का पालन करें, तो यकीनन सड़क हादसों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।
इसके लिए कुछ मुख्य सावधानियां इस प्रकार हैं-
- अगर वाहन चलाएं तो ख्याल रखें कि ओवरलोडिंग ना हो।
- वाहन सवार हेलमेट ज़रूर पहने, हेलमेट के इस्तेमाल से कई बार हादसे की तीव्रता कम की जा सकती है।
- सड़क पर सही तरीके से डिवाइडर बने हों।
- रोड क्रॉस करते हुए फोन और हेडफोन्स का इस्तेमाल ना किया जाए, और
- सड़क पर वाहन चलाते हुए रफ्तार का पूरी तरह से ख्याल रखा जाए।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर हम सड़क हादसों में होने वाले जान-माल के नुकसान को कम कर सकते हैं। अकसर हम सभी सरकारों को दोष देते हैं मगर यह समझना ज़रूरी है कि सरकारें सिर्फ और सिर्फ नियम, कायदे और कानून बना सकती हैं।
अंत में उसका फायदा तभी है, जब हम सभी पूरी ईमानदारी से उन नियमों का पालन करें। अगर हम नियमों का पालन करेंगे, तो हमारे परिवार, पड़ोस और समाज के लोग भी हमें देखकर जागरूक होंगे और नियमों का पालन करना शुरू करेंगे।
इसके ज़रिये ही सामूहिक चेतना आएगी और वह दिन भी आएगा जब भारत में सड़क हादसे और उनसे होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाएंगे।
आइए हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि हम स्वयं सड़क सुरक्षा कानूनों का पालन करेंगे और अपने से जुड़े लोगों को भी इस दिशा में प्रोत्साहित करेंगे।