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“इस दौर में राजनीतिक नफरत फैलाने वालों को बेनकाब करने की ज़रूरत है”

भारत में आजकल किस तरह का राष्ट्रवाद चल रहा है? अतिराष्ट्रवादी या कट्टरपंथी लोगों का हौसला इतना बढ़ गया है कि अब वे लोग सड़कों पर उतरकर आम जनता को आतंकवादी के रूप में शिनाख्त करने लग गए हैं। यह अधिकार आखिर इनको किसने दिया है? ऐसे लोगों के अंदर ऐसा करने का हौसला आखिर कहां से आ रहा है?

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था। पत्थरबाज़ बोलकर दो कश्मीरी युवकों को लखनऊ में भरे बाज़ार में पीटा और उसके मेवे आदि सड़कों में बिखेर दिए लेकिन लखनऊ के कुछ ज़िम्मेदार नागरिकों के विरोध करने पर उन दोनों युवकों को उन लोगों के कहर से बचा लिया गया। मैं लखनऊ की जनता की सराहना करूंगा, जिन्होंने आगे आकर उन दोनों कश्मीरी युवकों की रक्षा की। एक सच्चे भारतीय और धर्मनिरपेक्ष होने का परिचय दिया।

देश में  क्यों बढ़ रही है अति राष्ट्रवादियों की हिम्मत?

इस तरह की घटना क्या हमें सोचने पर मजबूर नहीं करती है? आखिर ऐसे अति राष्ट्रवादियों की हिम्मत क्यों बढ़ रही है देश में? क्या इस देश में नागरिक के मौलिक अधिकार नहीं हैं? क्या कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है? क्या कश्मीरी भारत के नागरिक नहीं हैं? एक संगठन के कुछ लोगों द्वारा सारेआम किसी की पिटाई करने या धमकी देने या किसी को आतंकवादी या नक्सली बोलने का अधिकार किसने दिया? क्या इस देश में सभी राज्यों के नागरिकों की सुरक्षा देने की ज़िम्मेदारी प्रशासन को नहीं है?

पुलवामा में सीआरेफ के जवानों पर हमला हुआ 42 जवान शहीद हो गए। यह एक दुखद घटना थी, पूरा देश इस घटना से दुखी था लेकिन जवाब में कुछ अति राष्ट्रवादियों ने क्या किया? जगह-जगह आगजनी और हल्ला मचाते रहें।

यह कैसा विरोध है, यह कैसा आक्रोश है कि आप देश की सम्पत्ति को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह तो ऐसी बच्चों जैसी बात हो गयी कि अगर आपकी बात घर में ना सुनी गई तो घर का फ्रिज़, टीवी और बहुमूल्य वस्तुएं तोड़ डालो। अरे, मूर्खों! नुकसान किसका कर रहे हो? अपना ही ना!

सोशल मीडिया से लेकर नेशनल न्यूज़ चैनल्स में ऐसी-ऐसी खबरें आ रही थी कि देश सकते में आ गया, लोग घबरा गए कि अब आगे क्या होगा? न्यूज़ वाले तो यहां तक कहने लगे कि अब तो आरपार की हो जानी चाहिये। बहुत हो चुका, अब आतंकवाद को जड़ से खत्म कर देंगे, फलाना फलाना। दुनियाभर में फेक न्यूज़ की जैसे बाढ़ आ गयी थी।

अतिराष्ट्रवादी होना देश के लिए खतरनाक है

यह सब क्या चल रहा है देश में? आपको क्या लगता है कि युद्ध सभी समस्याओं का हल है? इस देश को किस दिशा में ले जाने का प्रयास किया जा रहा है? सीरिया, लीबिया, इराक, ईरान, अफगानिस्तान के अंदर गृह युद्द सभी ने देखे होंगे। कई देशों की अर्थव्यवस्था अंदर से चरमरा गयी है। वेनेजुएला जैसे देश में मंहगाई की मार से लोगों का बुरा हाल है। क्या हम विश्व के वे दो ऐतिहासिक युद्ध भूल गए? उन त्रासदियों को हमने भुला दिया? अगर सैन्य कर्रवाई होगी तो नुकसान हमें भी झेलना पड़ेगा। आर्थिक हानि और देश की जनता की सुरक्षा का भी ख्याल रखना पड़ेगा।

राष्ट्रप्रेमी या राष्ट्रवादी होना गलत नहीं है लेकिन अतिराष्ट्रवादी होना देश के लिए, उसकी अखंड एकता के लिए खतरनाक है। जब कोई अपने ही देश के नागरिकों के खिलाफ नफरत फैला रहा हो, तो यह बहुत चिंताजनक बात है।

सरहद की ज़िम्मेदारी भारतीय सेना की है। भारतीय सेना को बेहतर पता है कि दुश्मन को कैसे ठीक किया जाता है। इसके लिए भारत का रक्षा मंत्रालय है, उनको भी काम करने दिया जाए लेकिन कुछ संगठन एवं कुछ राजनीतिक पार्टियों के मूर्खतापूर्ण बयान हंसने को मजबूर कर देते हैं।

देश में आधी अधूरी भ्रामक खबरें फैलाना भी कानूनी अपराध है। जिस प्रकार से मीडिया लगातार कश्मीर के मुद्दे को बढ़ा चढ़ाकर दिखा रहे थे इससे देश में एक दहशत की स्थिति पैदा हो गयी थी। इसका खमियाज़ा लखनऊ में साफ दिख गया। ना जाने देश के कितने हिस्सों में कश्मीरियों के साथ कितना अन्याय हुआ होगा। इस प्रकार की अनाप शनाप खबरें प्रसारित करने वाले मीडिया पर शिकंजा कसना बहुत ज़रूरी है।

यह दौर आपसी एकता कायम करने का है। हम सभी भारतीय को अब मिलकर जातीय या धार्मिक कट्टरवाद और राजनीतिक नफरत फैलाने वालों को बेनकाब करने की ज़रूरत है।

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