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“वह सौ रुपये जिसे साहिर लुधियानवी के जीते जी ना लौटा सके जावेद अख्तर”

जावेद अख्तर और गुलज़ार

एक कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर और गुलज़ार

फिल्मी दुनिया में कलाकारों के बीच गहरी दोस्ती के कई ऐसे किस्से रहे हैं जिनका ज़िक्र आज भी किया जाता है। मशहूर गीतकार, लेखक और फिल्मकार गुलज़ार ने अपनी पुस्तक ‘Half A Rupee Stories’ में साहिर लुधियानवी और जावेद अख्तर के बेहद करीबी रिश्ते के बारे में बड़ी खूबसूरती से लिखा है। गुलज़ार साहब ने अपनी पुस्तक के एक अध्याय का नाम ‘साहिर और जादू’ रखा है। जादू, जावेद अख्तर का निकनेम है।

जावेद अख्तर और साहिर लुधियानवी का रिश्ता बड़ा अजीब था। दोस्ती इतनी गहरी थी कि जावेद अख्तर अकसर साहिर के जुहू वाले बंगले में रात गुज़ार दिया करते। इसे जो कह लीजिए, दोनों के बीच शिद्दत भरी दोस्ती या फिर साहिर ने जावेद में एक उभरते हुए लेखक और कवि की प्रतिभा को पहचान लिया था।

साहिर एक बात तो भली-भांति समझते थे कि जावेद अपने पिता जां-निसार अख्तर से पीछा छुड़ाने के लिए घर से बाहर रहते। शायद कोई गुस्सा या फिर नाराज़गी थी। मां के जीते जी तो जावेद अपने पिता को झेल लिया करते लेकिन उनके इंत्काल के बाद से बात-बात पर घर से निकल जाने की धमकी दे देते।

जावेद की शक्ल देखते ही साहिर यह समझ जाते थे कि ज़रूर पिता से झगड़ा कर के आया होगा। साहिर और जावेद की दोस्ती सिर्फ एक दूसरे को मानसिक तौर पर बल प्रदान करने तक ही सीमित नहीं थी। साहिर हर प्रकार से जावेद की मदद किया करते थे। कई बार पैसों से भी साहिर ने जावेद की मदद की। दोनों के बीच की इस अटूट दोस्ती के गवाह बने ‘Half A Rupee Stories’ के लेखक गुलज़ार।

गुलज़ार साहब ने अपनी पुस्तक के ‘साहिर और जादू’ अध्याय में बड़े शानदार ढंग से साहिर लुधियानवी और जावेद अख्तर की दोस्ती पर प्रकाश डालने की कोशिश की है। गुलज़ार अपनी किताब में साहिर और जावेद से जुड़ी एक ऐसी घटना का ज़िक्र करते हैं जिससे शायद बहुत कम ही लोग वाकिफ रहे हैं।

गुलज़ार साहब की किताब के मुताबिक जावेद अख्तर को एक बार अपने प्रिय मित्र साहिर लुधियानवी पर किसी बात को लेकर गुस्सा आ गया और अकड़ में वे साहिर के घर से निकल पड़े। जावेद अख्तर कुछ दिन गायब रहे। इस दौरान वे ‘कमाल अमरोही’ के प्रोडक्शन हाउस में रात गुज़ार लिया करते, क्योंकि प्रोडक्शन हाउस के मैनेजर से उनके काफी अच्छे रिश्ते रहे रहे हैं। कई दिन स्टूडियो में बिताने के बाद अचानक एक रोज़ जावेद अख्तर साहिर के घर पर दस्तक देते हैं। जब वे साहिर के घर आए तब उनका मुंह लटका सा था और गुस्सा भी उतरा नहीं था।

एक कार्यक्रम के दौरान विशाल भारद्वाज, प्रसून जोशी और समित बसु के साथ जावेद अख्तर और गुलज़ार।

साहिर ने बड़े प्यार से उन्हें पुकारा लेकिन गुस्सा तो जनाब की नाक पर था। जावेद ने गुस्से में साहिर से कहा, “सिर्फ स्नान करने के लिए आपका गुसलखाना और साबुन इस्तेमाल करना चाहता हूं और वो भी अगर आपको नागावार ना गुज़रे तब।”

साहिर ने हामी भरते हुए जावेद से पहले कुछ खा लेने के लिए कहा। गुस्से से लाल जावेद कहते हैं, “खा लूंगा कहीं भी मगर आपके यहां नहीं खाना है मुझे।” नहा-धोकर जब जावेद नीचे आए तब साहिर ने डेसिंग टेबल पर रखी 100 रुपये की नोट उठाते हुए जावेद से कहा, “जादू यह 100 रूपये रख लो, मैं तुमसे ले लूंगा।”

उस जमाने में 100 रूपये काफी बड़ी रकम होती थी। जावेद अख्तर ने नोट रख तो लिए लेकिन साथ में यह भी कह दिया कि रख लेता हूं, लौटा दूंगा जिस रोज़ तन्ख्वाह मिलेगी।

जावेद ‘शंकर मुखर्जी’ के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम करने लग गए, जहां उनकी मुलाकात सलीम खान से हुई। जावेद ने उसके बाद काफी पैसे कमाए लेकिन वu सौ रुपये उन्होंने साहिर लुधियानवी को वापिस नहीं किए। जावेद जब भी साहिर से मिलते, तब मज़ाक में यह बात ज़रूर कहते, “मैं तो आपका 100 रुपया खा गया।” इस पर साहिर की तरफ से एक ही जवाब आता था, “बेटा मैं तो वह 100 रूपये तुमसे निकलवा ही लूंगा।”

यह नोक-झोंक साहिर और जादू में आखिरी दिनों तक चलती रही। कहानी में ट्विस्ट तब जाकर आई जब साहिर लुधियानवी की मौत हो गई। अंतिम संस्कार की तैयारियों के वक्त अचानक जावेद के ज़हन में यह बात आती है कि मैनें तो उस टेक्सी वाले को पैसे ही नहीं दिए जिसने साहिर की बॉडी को घर तक लाई है।

जावेद ने टेक्सी वाले से पूछा, “कितने पैसे हुए हैं?” टेक्सी वाले ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि साहब मैं पैसे लेने के लिए नहीं रूका था। इतनी रात को मैं जाता कहां।

जावेद ने अपनी जेब से बटवा निकालते हुए टेक्सी वाले से कहा, “यह लो रख लो सौ रुपये।” जब उन्होंने बटवे खोले तब उन्हें साहिर लुधियानवी की वह 100 रूपये की नोट याद आ गई। जावेद अख्तर मन ही मन में बोले कि मर कर भी साहिर ने मुझसे 100 रुपये निकलवा ही लिए फिर उनकी आंखे नम हो गईं।

नोट: लेख में प्रयोग किए गए तथ्य गुलज़ार की किताब ‘Half A Rupee Stories’ से लिए गए हैं।

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