Site icon Youth Ki Awaaz

मुझे कहा गया, “जब तक वोट डालने लायक नहीं हो जाते, सेक्स मत करो”

विहान जब भी चित्रा के साथ होता, उसका सेक्स करने का ही मन करता। फिर अचानक से उसे यह खयाल आया कि अभी तो उसके पास मतदाता पहचान पत्र भी नहीं है। अब सेक्स का मतदान से क्या लेना देना है? यह जानने के लिए पढ़िए विहान की पूरी कहानी जो उन्होंने लव मैटर्स इंडिया के साथ साझा की है।

17 साल का विहान दिल्ली के एक स्कूल में 11वीं कक्षा का छात्र है।

कुछ ना जानने वाला

कक्षा नौ के बाद से मेरे स्कूल के दोस्त लंच ब्रेक के दौरान आपस में गुपचुप तरीके से कुछ ऐसी-वैसी बातें किया करते थे। अक्सर वे इसी बात पर चर्चा करते कि किस लड़की के स्तन सबसे बड़े हैं। कौन कितनी देर तक हस्तमैथुन कर सकता है। हर दिन नया रिकॉर्ड कायम करने की होड़ सी रहती थी।

मैं इस बातचीत में ज़्यादा शामिल नहीं हो पाता था क्योंकि वे हमेशा मेरा मज़ाक उड़ाते थे। मैं इन सब चीज़ों के बारे में ज़्यादा नहीं जानता था इसलिए उनकी नज़रों में मैं एक ‘लूज़र’ था।

बस इतनी सी बात?

एक दिन जब मैं स्कूल से लौट रहा था, मेरे दोस्त और पड़ोसी भैया ने रास्ते में मेरा हाल चाल पूछा। मैंने उन्हें स्कूल की सारी बातें बता दी और यह भी बताया कि मेरे दोस्तों ने मेरे ऊपर ‘लूज़र’ का टैग लगा दिया है।

बस इतनी सी बात? मेरी बात सुनकर वो हंसने लगे। उन्होंने मुझे एक पेन ड्राइव दी और कहा कि इसे अकेले में देखना। मैं घर आ गया और मम्मी को बताया कि मुझे एक स्कूल प्रोजेक्ट के लिए देर रात तक जगना है। जब सभी लोग सो गए तब मैंने लैपटॉप में पेनड्राइव लगाया।

बड़ा खुलासा

पेन ड्राइव लगाने के बाद लैपटॉप में मैंने जो देखा, उसे देखकर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। उसमें हर तरह की पॉर्न फिल्में थीं उस दिन मैंने पहली बार किसी महिला और पुरुष को सेक्स करते देखा और उसी दिन यह भी जाना कि सेक्स कैसे किया जाता है। अब तक मैं सिर्फ हस्तमैथुन करके ही खुश रहता था लेकिन पॉर्न वीडियो देखने के बाद अब  मैं भी किसी लड़की के साथ सेक्स करना चाहता था। अगले दिन स्कूल में हर लड़की को देखकर मैं उत्तेजित हो रहा था। शायद यह सब सेक्स से जुड़ी नई जानकारियां जानने के कारण हो रहा था!

वोटर कार्ड और कॉंडम

जब मैंने ऋषभ भैया को यह बात बतायी तो वो फिर से हंसने लगे। लेकिन उन्होंने फिर आराम से बैठकर मुझे समझाया।

भैया ने कहा अभी तुम सिर्फ 17 साल के हो। इस उम्र में ऐसा महसूस होना बिल्कुल स्वाभाविक है। उन्होंने मुझसे कहा कि जब तक मैं 18 साल का न हो जाऊं अपनी भावनाओं पर काबू रखूं। उन्होंने कहा कि जब तुम्हारा मतदाता पहचान पत्र बन जाए और तुममें खुद से कॉंडम खरीदने की हिम्मत आ जाए तब समझना कि तुम वयस्क हो गए हो। जब तक तुम इन दोनों के काबिल नहीं हो जाते तब तक अपनी भावनाओं पर काबू रखो।

मेरा पहली बार

अगले दिन संयोग से स्कूल में मेरी जूनियर चित्रा मिल गयी। हमारे कुछ कॉमन दोस्तों ने मुझे बताया हुआ था कि वो मुझे पसंद करती है और मेरी नृत्य शैली उसे अच्छी लगती है। मैंने पहले कभी उससे ज़्यादा बात नहीं की थी। लेकिन पॉर्न फिल्मे देखने के बाद शायद मेरे हार्मोन्स बड़े उछल रहे थे। उन्होंने मुझे उससे बात करने पर मजबूर कर दियाI

मैंने उसे हैलो कहा और उसने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया। हम यूं ही बातें करते रहे, जैसे कि तुम कहां रहती हो..वगैरह वगैरह। अगले दिन मैंने उससे पूछा कि क्या मैं तुम्हारे घर चल सकता हूं। तो उसने खुश होकर अपने दोस्तों को गुडबाय कहा। उसके दोस्तों ने जाते-जाते धीरे से उसे ‘बेस्ट ऑफ लक’ भी बोला।

हम दोनों कुछ ही दिनों में अच्छे दोस्त बन गए। एक रविवार हम दोनों अपने पड़ोस के पार्क में टहलने गए। एक घंटे से अधिक समय तक टहलने और बातचीत करने के बाद जब सूरज डूबने लगा तब हम उसके घर की छत पर आ गए। इससे पहले की हम छत पर पहुंचते, मैंने लिफ्ट में ही उसे किस्स कर लिया।

सबसे खूबसूरत एहसास

मुझे लगा कि वह मुझे किस्स करने से रोकेगी, लेकिन वह सिर्फ मुस्कुरायी। फिर उसने भी मुझे किस्स किया। उस समय वास्तव में मैं उसके साथ वह सबकुछ करना चाहता था जो उन दिनों मैंने पॉर्न फिल्म में देखा था लेकिन कहीं न कहीं भैया के वो शब्द कॉंडम और वोटर आईडी कार्ड मेरे कानों में बजते रहे।

इसलिए जब तक कि उसके घर लौटने का समय नहीं हो गया तब तक हमने एक दूसरे को सिर्फ किस्स किया और खूब प्यार किया। घर लौटते समय रास्ते में मुझे एक 15 साल की लड़की के साथ ये सब करने का पछतावा भी हो रहा था। इसलिए अगले दिन मैंने उससे माफी मांगी लेकिन उसने बताया कि उस दिन जो कुछ भी हुआ वह उसके जीवन की सबसे सुंदर चीज़ थी।

ज्ञान का समय

चित्रा से ये बात सुनने के बावज़ूद भी कहीं न कहीं मुझे पछतावा हो रहा था। मैं फिर से ऋषभ भैया के पास गया और उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मेरी भावनाएं पूरी तरह से सामान्य हैं,अपने अंदर की आवाज़ सुनने के लिए उन्होंने मेरी तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि जब तक तुम और चित्रा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए पर्याप्त समझदारी दिखाने का वादा नहीं कर लेते तब तक तुम चित्रा को जितना मर्ज़ी सिर्फ देखो और कुछ मत करो।

मैं तब से उनके ज्ञान का अनुसरण कर रहा हूं। चित्रा और मुझे एक दूसरे को जानने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है। अब पहले की तरह हार्मोन भी मुझे परेशान नहीं करते हैं। अब लूज़र और अनुभवहीन होने जैसी बातें मुझे मूर्खतापूर्ण लगती हैं।

कल मैं लड़कों के गैंग की उस बाचतीत में शामिल होने के लिए सोच रहा हूं। मैं उनकी ही तरह एक दो चुटकुले भी सुना सकता हूं लेकिन अब मैं इसे लेकर बहुत स्पष्ट हूं और खुश भी हूं।

द्वारा- Arpit Chhikara

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं।

क्या आप भी अपनी कहानी हमसे साझा करना चाहते हैं?  नीचे टिप्पणी करके या हमारे फेसबुक पेज पर लव मैटर्स (एलएम) के साथ जुड़कर अपने विचार हम तक पहुंचाएं। यदि आपके पास कोई विशिष्ट प्रश्न है, तो कृपया हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें।

Exit mobile version