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निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण: कितना नफा, कितना नुकसान

निजी संस्थानों में भी सामान्य, ओबीसी और एससी एसटी आरक्षण को लागू करने के लिए सरकार बजट सत्र में एक बिल ला सकती है। अगले सत्र यानी जुलाई 2019 से देश के सभी सरकारी, गैर सरकारी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में सामान्य वर्ग के 10 फीसदी का आरक्षण लागू किया जाएगा।

एएसी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग को उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने पर कुछ इसके लाभ भी है तो कुछ हानि भी है। सरकार को चाहिए कि जो कि इससे हानिया प्रदर्शित होती है उसका निराकरण करके तब इसे लागू किया जाय ताकि कोई वर्ग प्रभावित न हो, कोई संस्थान प्रभावित न हो।

जैसे कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को उच्च शिक्षा के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत कोटा के चलते केंद्र द्वारा संचालित सभी संस्थानों को 25 प्रतिशत सीटों को बढ़ाना होगा। ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत आने वाले छात्रों की सीट सुनिश्चित तभी हो पाएगी। ये 10 फ़ीसदी आरक्षण, जो अनारक्षित वर्ग है, ऐसे वर्गों के छात्रों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण रहेगा। यह आर्थिक आरक्षण रहेगा और इसमें निजी संस्थानों में भी आरक्षण लागू रहेगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर।

40 हज़ार कॉलेज और 900 विश्वविद्यालयों में ये लागू होगा। ये सरकार के द्वारा उठाया गया बहुत ही अहम कदम है पर तब जब सभी निजी संस्थानों में सीटें भी बढ़ाये जाए। सरकार का यह कदम बहुत ही सराहनीय है बसर्ते कोई वर्ग इससे प्रभावित न हो। 10 % आरक्षण रख कर एससी-एसटी और ओबीसी को बाधित किए बगैर, अभी यदि 100 लोगों को एडमिशन मिल रहा है तो क़रीब 125 लोगों को एडमिशन मिलेगा। इससे हमारे देश के अत्यधिक युवाओं को भी सुनहरा अवसर प्राप्त होगा।

10 फ़ीसदी आरक्षण लागू होने के बाद किसी भी वर्ग को पहले से मिल रही सीटों पर कोई असर नहीं पड़े। केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित उच्च शैक्षिक संस्थानों समेत देश भर के शिक्षण संस्थानों में यदि 10 फ़ीसदी आरक्षण देना है तो इसके लिए क़रीब 10 लाख सीटें बढ़ानी होंगी। जैसे कि इस फैसले से कुछ सकारात्मक फायदे भी होंगे तो कुछ नकारात्मक भी।

अतः 124वें संविधान संशोधन के तहत इसी वर्ष से ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षण लागू होगा। इसे लागू करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण प्रभावित न हो।

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