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“चुनावी रैलियों में बार-बार पुलवामा का ज़िक्र क्यों किया जा रहा है?”

रैली

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राजनीति के लिए गरीबी, किसानी, बेरोज़गारी, शिक्षा का स्तर, बिजली, पानी और सड़कें समेत तमाम ज़रूरी मुद्दे मौजूद हैं। जनता, जाति, धर्म, सेना, समाज, देश और लोकतंत्र जैसे शब्द तो राजनीति करने के लिए बने ही हैं और इन सब पर राजनीति करने किए देश के तमाम नेता 24*7 उपलब्ध हैं।

देश में माहौल चाहे जैसा भी हो लेकिन नेताओं को सिर्फ शतरंज की चाल चलने का मौका चाहिए। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया, जिसमें 40 से ज़्यादा भारतीय जवान शहीद हो गए।

इसके बाद सरकार ने देश की तीनों सेनाओं को ‘फ्री हैंड’ दे दिया। जवाब में भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को 12 मिराज लड़ाकू विमानों से बालाकोट में स्थित जैश के आतंकी ट्रेनिंग कैंपों को तबाह कर दिया। इस दौरान विपक्षी दलों ने भी हर फैसले पर सरकार के साथ था लेकिन जैसे ही मीडिया चैनलों पर ‘मोदी ने कर दिखाया’ और ‘मोदी ने पुलवामा का लिया बदला’ जैसे स्लोगन चलने लगे कि विपक्ष ने कदम पीछे कर लिए।

सेना पर घटिया राजनीति

हालांकि सेना पर राजनीति की शुरुआत तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही की थी। 14 फरवरी को पुलवामा हमले की खबर देर से मिलने के बाद प्रधानमंत्री गुस्सा हुए और उन्होंने उत्तराखंड में रुद्रपुर की रैली रद्द कर दी लेकिन अगले ही दिन प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के झांसी में विकास कार्यों के कुछ प्रोजेक्ट्स के उदघाटन के दौरान जनता को संबोधित किया।

भाषण के वक्त उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी मौजूद थीं। रैली में इन नेताओं की मौजूदगी का मतलब राजनीति जमकर हुई जबकि सीमा पर तनाव गहराया हुआ था।

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

26 फरवरी को प्रधानमंत्री ने राजस्थान के चुरू में चुनावी रैली करते हुए कहा कहा, “आज आप लोगों का मिजाज़ कुछ बदला हुआ लग रहा है।” मोदी के इतना कहते ही लोग भावुक हो गए क्योंकि उसी दिन भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों को उड़ाने का दावा किया था।

एयर स्ट्राइक पर भी सियासत

प्रधानमंत्री मोदी ने वायु सेना की एयर स्ट्राइक को जनता के सामने ऐसे पेश किया जैसे उन्होंने खुद ही इसे अंजाम दिया हो। इसके बाद एयर स्ट्राइक को भाजपा पार्टी के नेताओं ने हर जगह ऐसे ही भुनाया। राजनीति करने के चक्कर में मीडिया ने भी यह खबर चलाई कि एयर स्ट्राइक में 250 से 300 आतंकी मारे गए जबकि वायुसेना ने स्ट्राइक में आतंकियों के मरने का कोई दावा नहीं किया था।

बिना सिर-पैर की बात के इन आतंकियों के मरने का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया। पुलवामा हमले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेजेज़ भी चले थे कि अगर पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की जाती है, तो मेरा वोट भाजपा को जाएगा।

इस तरह के प्रचार शर्मनाक हैं और वो भी तब जब सीमा पर तनाव का माहौल कायम हो। एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के हमले का जवाब देते हुए भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान अपने विमान के क्रैश होने के बाद गलती से पाकिस्तानी कब्ज़े वाले कश्मीर में उतर गए थे, जिन्हें 36 घंटे बाद पाकिस्तान ने भारत को सौंप दिया।

पुलवामा और अभिनंदन

इसके बाद पायलट अभिनंदन पर जमकर राजनीति हुई कि प्रधानमंत्री मोदी के डर से पाकिस्तान ने पायलट को लौटा दिय। अगर काँग्रेस की सरकार होती तो ऐसा नहीं हो पाता, जबकि पाकिस्तान ने यह प्रधानमंत्री मोदी के डर से नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दबाव और भारतीय सेना के आक्रामक रुख को देखते हुए किया।

तमिलनाडु की रैली को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अभिनंदन तमिलनाडु का बेटा है। उनके इस कथन का क्या औचित्य है, जबकि वह तमिलनाडु पुलिस में नहीं बल्कि भारतीय वायुसेना में है।

अभिनंदन वर्तमान। फोटो साभार: सोशल मीडिया

चुरू की रैली में प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश सुरक्षित हाथों में है। हर भारतीय जानता है कि देश भारत की तीनों सेनाओं के मज़बूत हाथों में है लेकिन प्रधानमंत्री ने उसमें खुद श्रेय लेने की कोशिश की। अगर वह खुद ही सबको सुरक्षा दे रहे हैं तो पुलवामा में हमला कैसे हो गया?

अगर पीएम मोदी हर जगह श्रेय ले रहे हैं तो उन्हें हमले की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए। खैर, इसके बाद काँग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि अभिनंदन ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में पायलट की दक्षता हासिल की, यह क्या था? खुर्शीद साहब भी तो श्रेय लेने की ही घटिया कोशिश कर रहे थे।

राफेल का मुद्दा उठाया

4 मार्च को गुजरात के जामनगर रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अगर राफेल होता तो कोई नुकसान नहीं होता।” जबकि वायुसेना प्रमुख ने बताया कि सेना के सभी लड़ाकू विमान किसी का भी सामना करने के काबिल हैं फिर प्रधानमंत्री ने रैली में राफेल का ज़िक्र क्यों किया?

वह इसलिए क्योंकि विपक्ष राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाता रहा है और प्रधानमंत्री ने भावुक मौके पर राफेल की बात छेड़कर जनता के संदेह को मिटाने की कोशिश कर दी।

एयर स्ट्राइक पर सबूत की मांग

काँग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जिस तरह अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के खिलाफ कार्रवाई के सबूत जारी किए थे, उसी तरह हमें भी एयर स्ट्राइक के सबूत जारी करने की ज़रूरत है। अब दिग्विजय के बारे में क्या ही कहा जाए। इनका तो विवादों से चोली-दामन का साथ है।

दिग्विजय के बयान पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव ने कहा, “दिग्विजय भाईजान को पाकिस्तान में घर ले लेना चाहिए।” मतलब साफ है कि ऐसे संवेदनशील मौके पर हर कोई राजनीति कर रहा है।

250-300 आतंकियों के मरने के आंकड़े पर भारतीय वायुसेना के चीफ बी.एस.धनोआ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमने एयर स्ट्राइक की और टारगेट को हिट भी किया। अगर खाली जंगल में बम फोड़े होते तो पाकिस्तान क्यों जवाबी कार्रवाई करता?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

उन्होंने आगे कहा कि मृतकों के आंकड़ों के बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। हम यह देखते हैं कि हमने टारगेट हिट किया या नहीं, हम लाशें नहीं गिनते।

हमने बालाकोट में अपने टारगेट को हिट किया था। मरने वाले की संख्या इस बात पर डिपेंड करती है कि कितने लोग वहां मौजूद थे। मारे गए आतंकियों का आंकड़ा सरकार देगी।

वायुसेना प्रमुख के बयानों से यह स्पष्ट हो गया कि आतंकियों के मरने के आंकड़ों का कोई दावा नहीं किया गया था, जिसपर राजनीतिक फायदे के लिए रस्साकशी की जा रही थी।

वायुसेना प्रमुख की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विपक्षी दलों के वे सवाल खुद ही खारिज़ हो जाते हैं, जो अभी तक एयर स्ट्राइक होने और उसमें हुए नुकसान को लेकर उठाए जा रहे थे।

कम-से कम वायुसेना प्रमुख के बयान पर तो भरोसा किया ही जाना चाहिए। राजनीति के लिए गरीबी, बेरोज़गारी, शिक्षा का स्तर, बिजली, पानी और सड़कें सहित तमाम ज़रूरी मुद्दे मौजूद हैं।

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