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“योग सिखाने के बहाने पुलिसवाले ने मेरे साथ यौन शोषण किया”

पुलिसवाले की तस्वीर

पुलिसवाले की तस्वीर

साल 2010 की बात है जब हर रोज़ की तरह उस रात भी मैं अपने एक मित्र के साथ घुमने निकला था। हम दोनों के लिए देर शाम घुमने निकलना इसलिए भी ज़रूरी होता था क्योंकि दोनों एक-दूसरे से काफी वक्त बाद मिल रहे होते थे।

वह अपने इंजीनियरिंग कॉलेज से जुड़े बेहद ही दिलचस्प किस्से सुनाने में इस कदर मशगूल हो जाता था कि वक्त का पता ही नहीं लगता। ऐसे ही एक रोज़ चलते-चलते उसने मुझे बताना शुरू किया कि कैसे उसके कॉलेज का नाइट गार्ड रात में कुछ एक लड़कों को बहला-फुसलाकर यौन शोषण करता था।

मेरा मित्र तो मुझे अपने कॉलेज के नाइट गार्ड की हरकतों के बारे में बता रहा था लेकिन मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उसी रात ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी होने वाला है। मित्र ने अभी आधी ही बात बताई थी कि उसकी गर्लफ्रेंड का कॉल आ गया और वह बात करने लग गया।

मुझे अंदाज़ा था कि उसकी बातें अकसर लंबी होती हैं। वह बात करने के लिए मुन्ना की चाय की दुकान पर जाकर बैठ गया और मैं सरकारी बस स्टैंड वाले हनुमान मंदिर की ओर चल पड़ा।

शांति और सुकून की तलाश में मैं सोच ही रहा था कि क्यों ना कुछ देर यहां पर बैठा जाए, इतने ही में पुलिस की वर्दी पहनकर बड़ी-बड़ी मूछों वाला लंबा-चौड़ा शख्स मेरी ओर बढ़ते हुए ऐसे पेश आया जैसे मुझे वर्षों से जानता हो।

उसने ‘का हो, का हाल चाल बा’ कहते हुए मेरे साथ बातचीत शुरू की। मुझे उस शख्स में दिलचस्पी हुई कि क्यों ना इससे इसी भाषा में बात की जाए। हमने जवाब देते हुए कहा, “ठीक-ठाक बानी, तोहार का हाल चाल बा।”

मैंने जैसेे ही जवाब में यह बातें कही, पुलिस वाले का हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया। समस्तीपुर, दरभंगा, खगड़िया, बेगुसराय और सहरसा जैसी जगहों के बारे में बात करते-करते वह मुझसे कहा कि चलिए ऊपर की तरफ चलते हैं, वहां और भी भगवान हैं।

अब तक मुझे उसकी यह चाल समझ नहीं आई थी कि वह आखिर क्यों मुझे ऊपर ले जाना चाह रहा है। मैं बातों में मशगूल होता चला गया और पता ही ना चला कि कब मैं उससे साथ मंदिर की सबसे टॉप फ्लोर पर जा पहुंचा, जहां अमूमन कोई जाया नहीं करता।

अब मैं समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है। उसने मुझसे कहना शुरू किया कि झारखंड के सारे लड़के धोखेबाज़ होते हैं। साथ नहीं देते, ठग लेते हैं। मैंने पूछा, “क्यों किसी ने आपका पैसा मार लिया क्या?”

उसने कहा, “अरे नहीं, मैं दोस्ती करता हूं लड़कों से और वे बोलते हैं मिलने आऊंगा लेकिन कोई आता ही नहीं। तुम ठीक लग रहे हो, तुमसे मेरी दोस्ती जमेगी बहुत। तुम्हें योगा आती है क्या?”

मैंने कहा, “नहीं योगा नहीं करता हूं मैं और आती भी नहीं।” यही वो कड़ी थी जिसके बल पर उस रात उसने हवस मिटाने के गंदे खेल को खेलने की रणनीति बनाई।

उसने मुझसे कहा कि प्रिंस ज़मीन पर लेट जाओ, मैं तुम्हें योगा सिखाऊंगा। अब मैं बुरी तरह से फंस चुका था, क्योंकि जगह सुनसान थी और मुझे लगने लगा कि अगर मैं इसकी बात नहीं सुनूंगा तब कहीं यह आदमी पुलिसिया रौब ना दिखाने लग जाए, फिर भी मैंने हिम्मत करते हुए कहा, अरे नहीं मुझे योगा नहीं सिखनी है चलिए अब चलते हैं, मेरा मित्र इंतज़ार कर रहा होगा।

उसे लगने लगा कि अब उसकी कोशिशें नाकाम हो रही हैं तब उसने ज़बरदस्ती मुझे ज़मीन पर सुला दिया। योगा के दो-चार स्टेप्स बताने के बाद जब उसने देखा कि मैं डर रहा हूं तब सीधे जांघों के बल पर मेरे शरीर के ऊपर लेट गया।

वह लगातार कह रहा था कि डरने की बात नहीं है, बस मैं योगा के स्टेप्स बता रहा हूं। जब हद की सीमाएं टुटने लग गईं तब मैंने उसे झटका देकर उठने की कोशिश की। इस दौरान वह नीचे गिर गया और मैं उठ कर खड़ा हो गया।

इसके बाद गुस्से में आकर उसने जो किया, मुझे एक पल के लिए अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। एक हाथ से अपनी पैंट की चेन खोलते हुए अपने लिंग को बाहर निकाल दिया। ऐसा करने के बाद वह लगातार मुझसे ज़बरदस्ती करता रहा कि मैं उसके लिंग को अपनी हथेली पर रखूं।

यह दृष्य देखकर मैं जितना अधिक सहमा हुआ था उससे कहीं ज़्यादा मेरे ज़हन में पुलिस के इस रूप को लेकर कई तरह के सवाल उत्पन्न हो रहे थे। इस बीच वह लगातार अपशब्दों का प्रयोग किए जा रहा था। मेरे कानों में उसकी यह बात बार-बार चूभ रही थी, ‘हिलाओ ना रे बेहुदा साला, मन खुश हो जाएगा।’

अब जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तब मैं वहां से किसी तरह पीछा छुड़ाकर भागने लगा लेकिन इतनी आसानी से वह मुझे जाने देने वालों में से नहीं था। मेरे पीछे-पीछे वह भी आने लगा और बड़े प्यार से बात करते हुए कहा कि चलो मैं भी उधर ही जा रहा हूं, अपना घर दिखाउंगा।

इस बीच मेरा मित्र काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद वहां से घर जा चुका था। उसे लगा मैं भी घर चला गया हूं।

अब मैं और वह शख्स आगे की तरफ बढ़ने लगे। बीच रास्ते में जेल के पास मुझे रोकते हुए बोला, “वह मकान जो देख रहे हो ना, मेरी ही है। हमलोग यहीं पर मिला करेंगे।” मुझे मालूम था कि आज के बाद मैं कभी इससे मिलने वाला नहीं हूं। दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए।

उस खौफनाक रात के अंत होते ही धीर-धीरे मैंने सारी बातें भुला दी लेकिन आज जब अचानक वे बातें मेरे दिमाग में ताज़ा हुईं तो सबसे पहले मैंने लिखने का निर्णय लिया, क्योंकि जब रियल लाइफ में ऐसे किसी शख्स से आपका वास्ता पड़े और वह आपकी मर्ज़ी के बिना आपके प्राइवेट पार्ट को छुने की कोशिश करे तब आपके पास हिम्मत और जवाब दोनों हो उसे बताने के लिए कि किसी का प्राइवेट पार्ट उसके बाप की जागीर नहीं।

नोट: यदि आपके पास भी यौन शोषण को लेकर कोई की कहानी या पर्सनल एक्सपिरियंस है तो Youth Ki Awaaz पर यहां क्लिक करके हमारे साथ साझा कर सकते हैं।

तस्वीर प्रतीकात्मक है। सोजन्य: Flickr

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