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“क्यों सेना का इस्तेमाल चुनावी हथियार के तौर पर हो रहा है?”

प्रैक्टिस के दौरान सेना

प्रैक्टिस के दौरान सेना

“यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारों क्या कहना यह देश है दुनिया का गहना” यह गीत सुनने के बाद पुरे शरीर में रोमांच पैदा हो जाता है और देश के वीर सपूतों पर अभिमान होने लगता है मगर वर्तमान परिस्थितियों में यह गीत फिट नहीं बैठती है।

अपने देश में कुछ लोग सेना के शौर्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि इस देश ने सियासत के कई दौर देखे हैं लेकिन जो सियासत आज दिख रही है, वह इस लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जिस सेना के दम पर यह देश सुरक्षित है, उसी सेना के ज़रिये राजनेता अपनी राजनीति भी चमकाते हैं। कुछ नेता हमारी सेना के शौर्य पर सवाल उठाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हैं। पूरी दुनिया को भारत के दावे पर भरोसा है मगर इस देश के नेता ही बंट गए हैं।

चिंताजनक है सियासी दृष्य

सत्ताधारी दल इस कार्रवाई का श्रेय लेने में सबसे आगे हैं। जबकि विपक्ष कार्रवाई के सबूत मांगने में पीछे नहीं है। यह सियासी दृश्य चिंताजनक है। हमें यह समझना होगा कि सेना के शौर्य पर सियासत क्यों हो रही है?

यह सही है कि सियासत की नींव में सिर्फ अपना नफा-नुकसान ही होता है लेकिन नेता भूल गए हैं कि मुद्दा यहां सियासी गुणा-भाग का नहीं बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा का है।

आतंकियों की गिनती कैसे हो गई?

काँग्रेस सहित समूचा विपक्ष सबूत मांगने के लिए सरकार पर टूट पड़ा। मिग-21 जैसे हमारे हवाई जहाज़ों की क्षमता पर भी सवाल खड़े किए गए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्साह में आकर सेना और सरकार से पहले ही बालाकोट में मारे गए आतंकियों की गिनती भी कर दी। जाहिर है कि यह सबकुछ देश के लिए नुकसान पहुंचाने वाला है।

नवजोत सिंह सिद्धू। फोटो साभार: Getty Images

दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि जैसे अमेरिका ने ओसामा को मार कर सबूत दिया, वैसे भारत सरकार भी सबूत पेश करें। सिद्धू कह रहे हैं कि सेना ने आतंकी मार गिराए या फिर पेड़ों को मार गिराया। अरविंद केजरीवाल से लेकर ममता बनर्जी तक सब सवाल उठा रहे हैं।

सत्ता पाने की हसरतें

पक्ष-विपक्ष अपने-अपने नफा-नुकसान के हिसाब से सेना के शौर्य को आंक रहा है, जो खतरनाक है। देश इस समय आम चुनाव की दहलीज़ पर खड़ा है। ऐसा लग रहा है कि सत्ता पाने की हसरतों ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं। सेना की कार्रवाई पूरे देश के लिए गौरव है ना कि किसी एक दल के लिए उपलब्धि।

वायु सेना खुद कह रही है कि उसका काम लक्ष्य भेदना है, लाशें गिनना नहीं लेकिन हमारे नेता मारे गए आतंकियों की संख्या मांगने और देने में ही लगे हुए हैं।

उरी के सैन्य ठिकाने पर आतंकी हमले के बाद भी पाक में हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जिसके सबूत बाद में सार्वजनिक भी कर दिए गए। ऐसे में अब विपक्ष को एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने की जल्दी क्यों है?

फोटो साभार: Getty Images

क्या सबूतों पर ही चुनावी समीकरण टिके हुए हैं? भारतीय सेना के शौर्य की दुनिया कायल है लेकिन तमाम राजनीतिज्ञ अगर सेना का इस्तेमाल चुनावी हथियार के तौर पर करेंगे, तो यह अपराध है। सेना के शौर्य पर यह सियासत बंद होनी ही चाहिए।

देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसे सभी देख रहे हैं। जिस दिन इस देश के लोगों का गुस्सा फूटा, उस दिन इस देश के राजनीतिज्ञों का क्या हश्र होगा, यह सोच से परे है।

ऐसे बेशर्म नेता यह भी नहीं सोचते कि जिस परिवार ने अपना बेटा, पति, पिता और भाई खोया, उसे इस गंदी सियासत से कितनी तकलीफ पहुंचती होगी। जो वीर जवान देश के लिए शहीद हो गया, आज उसी देश के लोग उसके शौर्य पर सवाल उठा रहे हैं।

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