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एक अजीब लड़ाई

हर रोज तरह आज फिर जमकर हंगामा हुआ क्लास में, लड़को के दो गुट आपस में भीड़ में गए. एक गुट का लीडर धरमसिंग था तो दूसरे का विज्ञानीलाल. पिछले कुछ समय से ये लोग एक दूसरे के दुश्मन बने हुए है. एक दूसरे को निचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते है.लेकिन सदा से ऐसा नहीं था. पहले सब कुछ ठीक था। सब लोग धरमसिंग के वो थे कहते है न अंग्रेज़ी में फैनवो थे . और होते भी क्यों नहीं धरमसिंग के पास हर सवाल के जबाब जो थे जो किसी भी अपना दीवाना बना ले .धरमसिंग के तरकश में कहानियो के ऐसे तीर थे जो बाकी क्लासमेट के सीधे भेजे पे लगते थे जो उनका सोचना बंद कर देते थे . किसी की हिम्मत नहीं थी उसके सामने खड़े होने की. समय के साथ धरमसिंग का का दबदबा क्लास में और बढ़ता चला गया. पर वो कहते है ना हर चीज का एक टाइम होता है. धरमसिंग का ये एकछत्र राज भी ज्यादा समय चल नहीं सका।

कुछ दिनों के बाद विज्ञानीलाल ने क्लास में एड्मिशन लिया। क्लास का माहौल उसे कुछ अजीब लगा. तो उसने जानना चाहा की ऐसा क्यों है ? उसने क्लास के बांकी बच्चो से बात करना शुरू की. सब लोग धरमसिंग की महानता का बखान करनेलगे। विज्ञानी लाल ये सब जान खुश हुआ की उसके सवालो का जबाब देने वाला कोई मिल गया, क्योंकि विज्ञानीलाल बचपन से ही जिज्ञाशु प्रवत्ति का था सवाल पूछना उसका स्वाभाव था. उसे नयीनयी बाते जानने और उनको लोगो को बताना अच्छा लगता था.

एक बार विज्ञानी लाल ने सवालो की एक लिस्ट तैयार और धरमसिंग से मिलने पहुँचा। धरमसिंग ने मुस्कुराकर विज्ञानीलाल का स्वागत किया , और मंतव्य जानकर कहा पूछो जो पुछना हो तुम्हे। विज्ञानीलाल ने एक के बाद एक कई प्रश्न पूछ डाले। ये सुनकर पहले तो धमसिंग थोड़ा सा चौंका, और फिर अपनी चतुराई का परिचय देते हुए एक मोटी सी किताब निकली और ढूंढ ढूंढ कर विज्ञानीलाल के सवालो का जबाब देने लगा. पूछने पर उसने विज्ञानीलाल को बताया की इस किताब में सभी प्रश्नो के उत्तर लिखे, परन्तु, ऐसे पड़ना सबके बस की बात नहीं है.धरमसिंग के सभी उत्तरो को विज्ञानीला ने अपनी काफी में लिख लिया। विज्ञानीलाल जिज्ञाशु के साथ साथ परिश्रमी भी था. उसने धरमसिंग के दिए हुए उत्तरो को परखना चाहा। उसने रातदिन एक करके धरमसिंग के उत्तरो की वास्तविकता को जाँचा। उसने पाया की धरमसिंग की सारी बाते जो उसने बताई है , सही नहीं है. इसके लिए उसने कई सबूत जुटाए उनके बीच सम्बन्ध समझने की कोशिश की.

उधर विज्ञानी लाल अपनी खोजो में व्यस्त थ. तो इधर धरमसिंग नए नए छात्रों को अपनी कहानिया सुनाकर अपना मुरीद बना रहा था. और उन लोगो को कोसता जो उसकी बातों पर सवाल उठाये , कई बार तो वो ऐसे लोगो की पिटाई करवा देता था. उसने पूरी क्लास को अपने वश में कर लिया था सब लोग उसके बनाये हुए नियम को तोड़ने की हिम्मत नहीं जूटा पाते थे.

तभी अचानक एक दिन विज्ञानीलाल अपने अध्यन अवकाश के बाद कक्षा में वापस लोटा। और अपने साथियो को कहा की धरमसींग की कही हुई ज्यात्तर बातें सच नहीं है, उसने इसके लिए पार्यप्त प्रमाण भी दिए. ये सुनकर पहले तो उसे धरमसिंग के फैन लोगो ने पीटा फिर क्लास से निकल जाने को कहा. परन्तु उस भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी थे जिनको धरमसिंग की बातों पर पहले से ही शंका थी लेकिंग भयवश कुछ बोलते नहीं थे. विज्ञानीलाल के तर्कों ने उनकी शंका को बल दिया। ये सभी विज्ञानीलाल के साथ हो लिए और उसे क्लास से निकाले जाने से रोका। अब विज्ञानी लाल और उसके साथी धरमसिंग के हर झूट का पर्दा फाश करने के लिए बहुत अध्यन करते और अपने बांकी साथियों के साझा करते। परन्तु धरमसिंग के अनुयायिओं को ये फूटी आँख नहीं सुहाता था. दोनों पक्षों में जमकर बहस होती थी. एक पक्ष मोटी किताब का सहारा लेता था तो दूसरा अपने अनुभव् और तर्क का.

आज का झगड़ा भी इसी कड़ी का हिस्सा है, पता नहीं कब ख़तम होगा ये विवाद । पर समय के साथ विज्ञानी लाल का प्रभाव क्लास में बड़ा है बांकी छात्र उसकी बातो पर यकीं करने लगे है. क्योंकि लोगो को छात्रों को बड़ा फायदा हुआ है उसकी बाते मानकर। हालांकि धरमसिंग के आज भी कई फैन क्लास जो आजकल थोड़े गुस्से में रहते है.

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