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और हम बस देखते रह जाएंगे…

चुनावी भाषणों में सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम और पाकिस्तान , ऐन चुनाव के वक्त पर बायोपिक ,वेब सीरीज, नमो टीवी नामक रहस्यमयी चैनल ,चहेते न्यूज चैनलों को इंटरव्यू और एंकरो द्वारा साष्टांग प्रणाम, टीवी सीरियल्स के माध्यम से प्रचार, चौकीदार कैंपेन और अपने ट्विटर अकाउंट से टी-शर्ट बेचने से लेकर टोपी पहनाने तक….
हम बहुत दूर आ गए हैं…

हमारी डिजिटल साक्षरता और जागरूकता के मुकाबले बीजेपी की प्रचार की रणनीति बहुत ज्यादा आगे पहुंच गई है…. हम अभी भी कमेंट्स में 3 लिखकर जादू देखने वाले दौर में हैं…ऐसे में प्रोपेगैंडा, (दुस्)प्रचार और न्यूज़ में फर्क कर पाने की उम्मींद आम जनता से पालना नासमझी ही होगी..।

लाचार विपक्ष के पास इसके मुकाबले जैसा कुछ भी नहीं है, न चेहरा और न ही संसाधन…
व्हाट्सपिया लौंडा-लपाड़ी सब चौकीदार बना बैठा है…जो पढ़ने लिखने वाला था सब “जियो यूनिवर्सिटी” चला गया ,वहां वीडियो एडिटिंग और फोटो मार्फिंग का कोर्स कर रहा…ताकि व्हाट्सएप पर “स्टडी मैटेरियल” की थोक सप्लाई होती रहे…

पांच साल पहले जो आवाज उम्मीद दे रही थी… उसका कर्कश लगने लगना निराश तो करता ही है…
सेना के लिए..”मोदी की सेना” सुनना अपमान जनक तो है ही…
शिक्षा,कृषि संकट,स्वास्थ्य, बेरोजगारी पर किए गए कामों का जिक्र होने की बजाय…मैं भी चौकीदार-2… सुनना-देखना  शर्मनाक तो है…

लेकिन बर्दाश्त कीजिए… और क्या कीजिएगा….
क्योंकि आएंगे तो …..जी ही…

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