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भोजपुर और बेगूसराय! भोजपुर वाम आंदोलन के केन्द्र में दलित दावेदारी रहा है!

भोजपुर और बेगूसराय!

भोजपुर वाम आंदोलन के केन्द्र में दलित दावेदारी रहा है!
समाज में सामाजिक-आर्थिक तौर पर सबसे हाशिए पर खड़े उत्पीड़ित हिस्सों की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी के केन्द्रीय तत्व के साथ भोजपुर में समाज-राज के लोकतंत्रीकरण की लड़ाई,रैडिकल लोकतांत्रिक आंदोलन व वाम राजनीति खड़ी हुई है!

भोजपुर का वाम आंदोलन दक्षिण टोले से शुरु होकर अन्य टोलों तक पहुंचा है!
भोजपुर आंदोलन के नेतृत्व की सामाजिक संरचना में भी यह साफ तौर पर अभिव्यक्त होता है!

लेकिन,बेगूसराय का वाम आंदोलन दक्षिण टोले से शुरु नहीं हुआ,वह हिचकोले खाते हुए दक्षिण टोले तक बमुश्किल पहुंचा है!
हाल के दिनों में बेगूसराय में भूमि आंदोलन में दलितों की शहादत भी भोजपुर की पार्टी के बैनर तले हुआ है!
बेगूसराय वाम आंदोलन में समाज के सबसे हाशिए की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी केन्द्रीय तत्व नहीं रहा है!
उसके नेतृत्व की सामाजिक संरचना में भी यह साफ तौर पर अभिव्यक्त होता है!

वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन व राजनीति के लिहाज से बिहार में लोकसभा चुनाव में भोजपुर की लड़ाई ज्यादा महत्व रखता है!

लेकिन,बहुतेरे वाम बुद्धिजीवी-कार्यकर्ता बिहार में बेगूसराय में वाम की लड़ाई को सबसे महत्वपूर्ण बता रहे हैं तो वे अपनी समझ के संकट व सीमा को ही सामने ला रहे हैं.
वे अपना जनेऊ व अभिजात्य चरित्र ही सामने ला रहे हैं!

वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन व राजनीति के लिए पॉवर हाऊस बनने की क्षमता व संभावना भोजपुर में ही देखी जा सकती है!

कई लोग मुझसे कह रहे हैं कि आप बेगूसराय पर लिखते-बोलते हैं,लेकिन भोजपुर पर चुप क्यों हैं?कई लोगों का कहना है कि भोजपुर से उम्मीदवार राजू यादव हैं इसलिए मैं चुप हूं!

सच्चाई यह नहीं है!

मेरा साफ मानना है कि बिहार में वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन के मॉडल के बतौर बेगूसराय को स्थापित करने की कोशिश वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन को दक्षिण टोले से और भी दूर करेगा!

वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन व राजनीति के पॉवर हाऊस को बेगूसराय शिफ्ट करने की सुनियोजित कोशिश वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन के भविष्य के लिए खतरनाक होगा!

जरूर ही यह भी महत्वपूर्ण है,गौर करने लायक है कि पूर्व में रामेश्वर प्रसाद संसद जाने में सफल हुए और अभी राजू यादव उम्मीदवार हैं!
बेगूसराय से भाकपा से बनने वाले उम्मीदवारों पर गौर कीजिए!
रामेश्वर प्रसाद…….राजू यादव के लिए क्या जगह बनती!

यह भी सच है कि बेगूसराय से कन्हैया ही उम्मीदवार हो सकते हैं!
यह बेगूसराय वाम आंदोलन के चरित्र से जुड़ा मामला है!

वर्तमान में दोनों जगहों के चुनाव अभियान और उम्मीदवारों के तौर-तरीकों पर गौर कर लीजिए बहुत कुछ साफ हो जाएगा!

नीचे फोटो में एकतरफ टीकाधारी वाम नेता गाड़ी पर हैं.दूसरी तरफ राजू यादव जमीन पर!

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