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वर्तमान में राजनीति का बदलता स्वरूप

2019 के लोकसभा चुनाव सर पर है ,आरोप -प्रत्यारोप का दौर आरंभ हो चुका है ,सभी पार्टी जनता दर्शन के लिए मैदान में आ चुकी है ,पर राजनीति में भाषा के गिरते स्वरूप पर बात करना आवश्यक है, जहाँ जनहित के मुद्दे पर बात होनी चाहिए, वहाँ मोदी जी की पत्नी और प्रियंका गाँधी के कपड़े पर बात होती है ,आप ही सोचिये न जनहित के मुद्दे से इसका क्या वास्ता , जहाँ कुछ क्षेत्रीय पार्टीयाँ अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है ,बिहार की पार्टी राजद का कहना है कि वो अपने सुप्रीमो लालू यादव के न्याय के लिए लड़ रही है ,यहाँ जनता के लिए लड़ने वाले कौन है ,ये विचारणीय है , आये दिन प्रश्न पत्र के लीक होने की खबर आती है ,दिल्ली के सड़कों पर खूब विरोध भी होता है ,पर न जाने चुनाव आते-आते ये मुद्दे किस गुमनाम गली में खो जाती है , किसी पार्टी विशेष को चोर कहने वाली पार्टी के यहाँ की करोड़ों की मात्रा में नोट बरामद होता है ,वर्तमान राजनीतिक स्थिति में सबसे विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा है , फेसबुक पर बैठे तमाम युवा अपने मुद्दे को भुला कर मिमी बनाने में व्यस्त हैं ,महिला सुरक्षा का मुद्दा भी अधर में लटका हुआ है ,पहले तो हमें एक सुदृढ़ नागरिक बनना होगा , हमें अपनी आवाज बुलंद करनी होगी ,क्योंकि राजनीतिक पार्टीयों को देखकर नहीं लगता कि जनकल्याण से उनका कोई वास्ता है ,सबसे बड़ा प्रश्न ये आता है कि फिर वोट किसको दें , वोट अपने- अपने क्षेत्र में वैसे उमीदवारों को दें ,जो शिक्षित हो ,जो आपके रोजगार और जनहित से जुड़े मुद्दे पर लोकसभा में अपनी आवाज को बुलंद कर सके , 542 सीट पर ना तो मोदी जी चुनाव लड़ रहे हैं और ना ही राहुल जी ,आपके द्वारा चुने गए सांसद ही प्रधानमंत्री को तय करता है , लोकतंत्र में यही प्रावधान है , बहरहाल आप अपने हित में अच्छे उम्मीदवार का ही चयन करेंगें ,यह मेरी आशा और उम्मीद है और साथ ही एक प्रार्थना भी है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में मतदान जरूर करें ,आपका मत आपके आने वाले 5 साल का भविष्य तय करता है और युवाओं को खास के अनर्गल डिबेट से बचना चाहिये ,आप अपने मुद्दे पर बात करिये और राजनीतिक पार्टी के पंगु होने से खुद को बचा लें ।

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