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कविता: आम के आम गुठलियों के दाम

अक्षय कुमार और नरेन्द्र मोदी

अक्षय कुमार और नरेन्द्र मोदी

आम आदमी का सवाल गायब

खास आदमी पूछ रहा है,

क्योंकि उसके दिमाग में चल रहा है

आम के आम गुठलियों के दाम।

 

 तब खास आदमी पूछता है हुक्मरान से आम कैसे खाते हैं आप

 तो बोल बैठता हुक्मरान,

 आम खाने से मतलब है

पेड़ गिनने से नहीं।

 

तब खास आदमी फिर पूछता है सवाल दिमाग से

एक सवाल आम आदमी के नाम पर,

हुकमरान कट, कट, बोल

उठ खड़ा होता है, चिल्लाता है

 

तभी खास आदमी को अपनी गलती का होता अहसास

आम आदमी का क्यों पूछ लिया उसने सवाल?

यह तो पहले से नहीं था फिक्स,

काट-छांट के पूरा होता है

खास आदमी का हुक्मरान से सवाल।

 

आलोचना के बाद अगले दिन

एक और इंटरव्यू

उस पत्रकार ने घोषणा कर दी

यह नहीं है प्रायोजित इंटरव्यू

अब तक का सबसे विश्वसनीय इंटरव्यू

देखिए आज रात।

 

दर्शक रूपी जनता आवाक

 इधर कमरे में टीवी के सामने

समाचार नहीं, कार्टून लगाने की ज़िद्द करता आम से बहला हुआ बेटा

खाते हुए आम बोला

 पापा आम खट्टा है

तब समझा मैंने,

 आम को ठेंगा दिखाते

 खास लोगों की चाल।

 

 मैंने तुरंत रिमोट निकाल

बदल दिया चैनल

पुत्र मेरा आम खाते-खाते

 देख रहा मोटू-पतलू

और मैं चिंतन में डूबा राजनीति में आम बनकर।

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