Site icon Youth Ki Awaaz

ग्राहकों के बीच व्यापार का तानाबाना बुनता नेटवर्क मार्केटिंग का बाज़ार

नेटवर्क मार्केिंग वर्कशॉप

नेटवर्क मार्केिंग वर्कशॉप

मानव एक सामाजिक प्राणी है। मानव और समाज के विकास के साथ संचार का गहरा नाता है। संचार का संबंध मानव के साथ तभी से है, जब वह आदि मानव था। जब भाषा का विकास नहीं हुआ था, तब भी एक दूसरे के बीच संचार स्थापित करने के लिए संकेत या ध्वनि का प्रयोग किया जाता था।

इसे परिभाषित करते हुए चार्ल्स ई. आसगुड ने कहा है, “आमतौर पर संचार तब होता है जब कोई ढांचा या स्रोत किसी अन्य को प्रभावित करे, कुशलतापूर्वक विभिन्न संकेतों का प्रयोग करके उन साधनों द्वारा जो उन्हें जोड़ते हों।”

जिस गति से दुनिया में विकास हो रहा है, उसका सबसे ज़्यादा प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव इंसान पर ही पड़ रहा है क्योंकि संसार की अकेली जाति इंसान ही है, जो साध्य है बाकी सब इसके साधन के तौर पर कार्य करते हैं।

वर्तमान समय में विकास का सीधा संबंध वैज्ञानिक प्रगति द्वारा उत्पन्न ज्ञान का सामाजिक जीवन में अधिकतम उपयोग करने से है। ऋग्वैदिक काल से लेकर आज तक का मानव का पूरा सफर संचार के साथ ही बीता है और वर्तमान परिदृष्य को देखकर यही लगता है कि यह आगे भी चलता रहेगा।

संचार के बिना मानव विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती फिर चाहे वह आदि मानव का संकेतों और इशारों में बात करना हो, एलेग्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा फोन के विकास के बाद दूर बैठे लोगों से संपर्क स्थापित करना हो, मोबाइल का आविष्कार होने के साथ बिना तार के बात करना हो या ऑडियो, वीडियो या फिर शब्दों के माध्यम से संचार स्थापित करने की तकनीक हो, सब कुछ मानव के विवेक के विकास के साथ जुड़ा हुआ है।

चार्ल्स डार्विन ने अपनी पुस्तक ‘ओरिजन ऑफ स्पेशीज़’ में ‘सर्वाईवल ऑफ दी फिटेस्ट’ का सिद्धांत दिया है। अर्थात जो योग्य है उसे ही जीने का अधिकार है। इसी कारण धरती पर पाए जाने वाले उन सभी प्रजातियों का अस्तित्व ही खत्म हो गया जो समय के साथ यहां की परिस्थितियों के अनुसार खुद को नहीं ढाल सके।

डार्विन का सिद्धांत सिर्फ जीवित प्रजातियों पर ही नहीं लागू होता है, बल्कि यह जीवन के हर उस क्षेत्र तथा हर उस चीज़ पर लागू होता है, जिसका इस संसार में अस्तित्व है। डार्विन के सिद्धांत की तरह संचार के विकास का भी एक और स्वरूप है, जिसे विज्ञापन कला कहा जाता है।

फोटो साभार: pixabay

दरअसल, विज्ञापन कला का अस्तित्व तभी से है जब से मानव ने इस संसार में व्यापार करना शुरू किया। एंडी ट्रेवीस के अनुसार, “हम यह पाते हैं कि विज्ञापन कार्य ठीक वैसा ही है जैसे घास का बढ़ना, जिसे आप कभी नहीं देख सकते लेकिन प्रत्येक सप्ताह आप लॉन में घास को बढ़ा हुआ पाते हैं।”

विश्व के अनेक भागों में आदि मानव से मनुष्य बनने और अनेक सभ्यताओं के विकसित होने के प्रमाण विकास की गाथा को बयां करते हैं। जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ है, तब से लेकर आज तक मानव किसी ना किसी स्वरूप में विज्ञापन करता ही रहता है।

किसी भी उत्पाद, सेवा या विचार को लेकर कभी खुद से बात करना, कभी किसी से व्यक्तिगत तौर पर बात करना, किसी समूह विशेष से बात करना या फिर किसी माध्यम से पूरे समुदाय से बात करना मानव स्वभाव में शामिल होता है। इसी मानव स्वभाव और इन्हीं सभ्यताओं के बीच विज्ञापन अंकुरित हुआ, जो आज अपने आधुनिक स्वरूप में समाज को गतिमान बनाए हुए हैं।

इसे और स्पष्ट करते हुए मार्केटिंग के जनक फिलिप कोटलर ने कहा है, “विज्ञापन मार्केटिंग-संचार का सार्वजनिक रूप है जो परिचित प्रायोजक द्वारा मीडिया को भुगतान करके करवाया जाता है।”

विज्ञापन की पहली शर्त लाभ कमाना है। व्यावसायिक विज्ञापनों के संदर्भ में लाभ का सीधा संबंध मुद्रा से है। सामाजिक विज्ञापन जो कि सरकार या स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं, वहां लाभ का मतलब उन संदेशों पर जनता द्वारा अमल करने के अनुपात से है। विज्ञापन का प्रभाव जीवन के हर स्तर पर, शहर से लेकर गाँवों तक तथा गरीब से लेकर अमीर तक सभी के ऊपर दिखाई देता है।

विज्ञापन के लाभ और हानि दोनों ही हैं

एक ओर जहां विज्ञापन ने समाज की कई बुराइयों, मिथकों और रूढ़ियों को समाप्त किया है, वहीं दूसरी ओर कुछ नई सामाजिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। इसके बावजूद भी यदि आज के दौर में यह कहा जाए कि विज्ञापन समाज की प्रगति का एक हिस्सा है, तो गलत नहीं होगा।

आज विज्ञापन सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन का बहुत बड़ा वाहक है। टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, मोबाइल और इंटरनेट, आज मार्केटिंग के साथ ही साथ समाज सुधार का भी कार्य कर रहे हैं।

90 के दशक में अपनाई गई नई आर्थिक नीति पर प्रकाश डालते हुए राजनीति शास्त्री ई. श्रीधरन ने कहा है, “इस वर्ग के उदय ने भारतीय वर्गीय चरित्र को बदलकर रख दिया, जो पहले से एक छोटे संभ्रांत और एक विशालकाय वंचित तबके के बीच साफ तौर पर बंटा हुआ था। अब एक बीच का वर्ग पनप आया था। आज़ादी के बाद के कुछ वर्षों तक भारतीय उपभोक्ता वर्ग पर गाँधी जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था, जो सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करने में विश्वास रखता था। 90 का दशक आते-आते लोग उपभोक्तावाद के प्रति तेज़ी से झुकने लगे थे। विदेशी ब्रांडों से भारतीय बाज़ार भरे पड़े थे। टेलीविजन चैनलों ने भी विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्तावाद को प्रोत्साहित किया। बैंकों के ज़रिये आसान किस्तों पर मिलने वाले कर्ज़ और क्रेडिट कार्ड ने इस काम को और आसान बना दिया।”

नई शैली की मार्केटिंग का आगाज़

उत्पादन और उपभोग में आए इस परिवर्तन ने बाज़ार, समाज और विज्ञापन के तरीके को ही बदल कर रख दिया। वस्तु विनिमय प्रणाली, पारिवारिक सदस्यों द्वारा संचालित दुकानों और पुराने बाज़ारों को सुपर मार्केट और फ्रैंचाइज़ी ने लगभग समाप्त कर दिया। अब डायरेक्ट सेलिंग (नेटवर्क मार्केटिंग), टेली मार्केटिंग, टीवी शॉपिंग, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन का दौर अपने युवावस्था में है।

उपभोक्ता को कुछ भी खरीदने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है। इंटरनेट के माध्यम से पल भर में कोई भी वस्तु कहीं से भी खरीदी जा सकती है। इसके तहत विज्ञापन के लिए नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों ने विज्ञापन का तरीका भी बदल दिया। इसके तहत विज्ञापन में ज़्यादा खर्च नहीं किया जाता बल्कि मौखिक विज्ञापन प्रणाली का उपयोग करके विज्ञापन से बचाए गए धन को उपभोक्ता या विज्ञापन करने वाले व्यक्ति को बांट दिया जाता है।

नोट: तस्वीर प्रतीकात्मक है। फोटो साभार: pixabay

माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के अनुसार, “मैं सबसे ज़्यादा विश्वास उस तकनीक पर करता हूं जो संचार को बढ़ावा देती है, जिससे कि लोग एक दूसरे से सीख सकें और वैसी ज़िंदगी जी सकें जैसा वे चाहते हैं। अगर आपका व्यापार इंटरनेट पर नहीं है तो वह व्यापार से बाहर हो जाएगा। मुझे अगर फिर से शुरू करने के लिए एक मौका दिया जाए तो मैं नेटवर्क मार्केटिंग को चुनूंगा।”

नेटवर्क मार्केटिंग, डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेवल मार्केटिंग में उत्पाद और सेवाओं का विज्ञापन आम तौर पर सीधे उपभोक्ताओं और संभावित व्यावसायिक भागीदारों के संबंधों के हवाले और जन-संपर्क के माध्यम से किया जाता है। नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियां विज्ञापन के लिए मौखिक प्रचार का सहारा लेती हैं।

जाने-माने लेखक और मोटिवेटर रॉबर्ट टी. कियोसाकी ने नेटवर्क मार्केटिंग व्यापार को “21वीं सदी का बिज़नेस” कहा है। जॉन एम. टेलर ने अपनी केस स्टडी द केस (फॉर एंड) अगेंस्ड मल्टी लेवल मार्केटिंग में लिखा है, “मल्टी लेवल मार्केटिंग की परिभाषा और यह क्या है और क्या नहीं को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत सामने आती है। 350 मल्टी लेवल मार्केटिंग की सैंपलिंग करने के बाद मैंने पाया कि इनमें 3-5 के बीच में तत्व पाए जाते हैं :- (1) घरेलू उत्पाद बेस विज्ञापन, (2) क्लासिक पिरामिण स्कीम और (3) मोटिवेटेड या उत्पाद बेस पिरामिण स्कीम।”

कार्य के उद्देश्य

मार्केटिंग के क्षेत्र में उपयोग में आने वाले संचार माध्यमों का अध्ययन करना।

संबंधित साहित्य का अध्ययन

संबंधित साहित्य का मतलब शोध से संबंधित उन सभी प्रकार की पुस्तकों, ज्ञान-कोषों, पत्र-पत्रिकाओं, प्रकाशित और अप्रकाशित शोध-प्रबंधों और अभिलेखों आदि से है। इनके अध्ययन से शोधकर्ता को अपनी समस्या के चयन, परिकल्पनाओं के निर्माण, अध्ययन की रूपरेखा तैयार करने और कार्य को आगे बढ़ाने में सहायता मिलती है।

साहित्य समीक्षा के महत्व को स्पष्ट करते हुए गुड, बार तथा स्केट्स ने कहा है, “एक कुशल चिकित्सक के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने क्षेत्र में हो रही औषधि संबंधित आधुनिक खोजों से परिचित होता रहे। उसी प्रकार शिक्षा के जिज्ञासु छात्र, अनुसंधानकर्ता के लिए भी उस क्षेत्र से संबंधित सूचनाओं और खोजों से परिचित होना आवश्यक है।”

आधुनिक विज्ञान कला एवं व्यवहार’ से डॉ. अर्जुन तिवारी कहते हैं, “जर्नलिज़्म का एक प्रभावशाली स्वरूप मार्केट ओरिएंटेड जर्नलिज़्म है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसी के चलते गोल्ड, ग्लोरी और ग्लैमर का पर्याय है। लाल रुधिर कण के रूप में मीडिया की रगों में प्रवाहित होने वाला विज्ञापन आज सर्वसमर्थ सत्ता के रूप में सुप्रतिष्ठित है। व्यवसाय जगत का शुभेच्छु, औद्योगिक क्रांति का अग्रदूत, राष्ट्रहित का चिंतक, पब्लिक वेलफेयर का प्रमोटर, अपने आप में एक मनोरम कला व्यवसाय प्रबंधन का साधन और रोज़गार का विस्तृत क्षेत्र है।”

ब्रिट वर्ल्डवाइड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार, पारंपरिक बिज़नेस के मौजूदा गला काट प्रतिस्पर्धी मार्केट स्थिति में वजूद बनाए रखने के लिए विज्ञापन पर बेतहाशा खर्च अनिवार्य है। नेटवर्क मार्केटिंग में विज्ञापन का कोई खर्च नहीं है क्योंकि यह माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी पर आधारित होता है जो नि:शुल्क है। इसमें किसी प्रकार की कोई प्रतियोगिता नहीं है, सिर्फ सहयोग है। आपके बिज़नेस की सफलता लोगों के साथ आपके संपर्क करने की कला पर निर्भर करती है। संपर्क करने के कई माध्यम हैं। आप फोन कर या स्वयं व्यक्ति से मिलकर, संपर्क कर सकते हैं। बातचीत इस प्रकार की जानी चाहिए जिससे उसका प्रभाव सकारात्मक हो।”

पीज एलन के अनुसार, “किसी भी तरह के व्यापार में संवाद का अहम रोल होता है लेकिन नेटवर्क मार्केटिंग में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जब आप अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए लोगों से मिलने जाते हैं उस वक्त आपके भावी ग्राहक आपसे आपकी कंपनी और आपके प्रोडक्ट के बारे में कई सवाल करते हैं। उस समय आपका संवाद कौशल सबसे ज़्यादा काम आता है।”

कार्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान

राधा रानी एवं डॉ. नरेंद्र कुमार मल्टीलेवल मार्केटिंग पिरामिड स्कीम में कहते हैं, “मल्टी लेवल मार्केटिंग में वही इंसान सफल हो सकता है, जिसमें संचार कौशल हो क्योंकि मल्टी लेवल मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग के लिए संचार सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। जिसमें संचार कौशल नहीं है उसे इसके लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है।”

एन शाह ने अपने शोध पत्र में लिखा है, “मेरी राय में इस धरती पर इससे बेहतर कोई बिज़नेस ना कोई था, ना कोई है और शायद ना भविष्य में कोई होगा। आज यह एक इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है। इसे मल्टी लेवल मार्केटिंग के नाम से भी जाना जाता है। भारत में बहुत सारे उत्साहित और अपने आप को शिखर तक ले जाने के लिए लालायित युवा इसे अपना करियर भी चुन रहे हैं पर कुछ फर्ज़ी कंपनियों के एमएलएम में आने से इस इंडस्ट्री की छवि धूमिल हुई है और कई युवाओं के सपने टूटे हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि संचार का रोल सबसे अहम है और किसी भी कंपनी के बारे में पूरा जानने के बाद ही इसमें प्रवेश करें।”

फोटो साभार: Twitter

एकेडमी ऑफ मार्केटिंग एंड मार्केटिंग बिज़नेस लीडरशिप के संस्थापक संजय सिंह राजपूत ने अपने शोध पत्र में लिखा है, “आज की ज़िंदगी में किसी भी व्यक्ति के लिए करियर सबसे बड़ा सवाल है। जब करियर के लिए फैसला लेने की बात आती है तो हमारे दिमाग में कई तरह के सवाल आते हैं। जन्म से लेकर आज तक हमने सिर्फ नौकरी या बिज़नेस को ही करियर के तौर पर देखा है। मेरे ख्याल से ऐसे में हमारी ऊंची महत्वाकांक्षा और स्वतंत्रता छिन जाती है। मल्टी लेवल मार्केटिंग एक ऐसा माध्यम है जिसमें सीमित धन और आवश्यकता के अनुसार समय लगाकर असीमित धन और मान-सम्मान पाया जा सकता है। मल्टी लेवल मार्केटिंग इस सदी का सर्वोपरि करियर है, जिसमें उम्र, जाति, धर्म, शिक्षा या किसी अन्य प्रकार की बाधा नहीं है। इसमें एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्यक्ति तक निरंतर सूचना पहुंचती रहती है, जिसका मूल मंत्र है – “सफलता दिलाओ और सफलता पाओ।”

कार्य के परिणाम

Exit mobile version