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तानाशाहों के लिए जितनी डरावनी, लोकतंत्र के लिए उतनी ही खूबसूरत है यह तस्वीर

Alaa Salah a woman who became the symbol of Sudanese protests

यह लड़की कार की छत पर नहीं बल्कि तानाशाहों के सर पर चढ़ी है। इस तस्वीर में आवाम के पास कोई हथियार, बंदूक, गोला-बारूद नहीं है। ये सारे हथियार शासकों के पास हैं मगर इस आवाम ने हथियारों के डर से आज़ादी हासिल कर ली है, इसलिए यह तस्वीर दुनिया की सबसे शक्तिशाली तस्वीरों में गिनी जानी चाहिए।

फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

यह तस्वीर सूडान के तानाशाह राष्ट्रपति उमर अल बशर के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन से ली गई है। इस तस्वीर में नज़र आ रही 22 साल की अला सलाहा इंजीनियरिंग की छात्रा हैं। अगर अला सलाहा भारत में होती तो अब तक उन्हें लोग सलाह देने लगते कि स्टूडेंट्स को बस पढ़ना चाहिए और राजनीति नहीं करनी चाहिए। अला सलाहा दुनियाभर की लड़कियों और स्टूडेंट्स के लिए मिसाल हैं।

सूडान में तानाशाह उमर अल बशर 1989 से राष्ट्रपति के पद पर काबिज़ हैं। सूडान के कुछ खास लोगों के समूह पर हिंसा और अत्याचार करने के लिए इंटरनैशनल क्रिमिनल कोर्ट उनके नाम का गिरफ्तारी का वॉरेंट भी जारी कर चुकी है। उन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं।

इसी साल फरवरी में उमर अल बशर ने सूडान में इमरजेंसी की घोषणा कर दी। इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। राष्ट्रपति का विरोध करने के ज़ुर्म में 800 से ज़्यादा लोगों को जेल में बंद कर दिया गया। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार अभी तक विरोध प्रदर्शनों में 60 से ज़्यादा लोगों को मारा जा चुका है।

सोचिए, इतने डर के माहौल में भी सूडान की आवाम ने लोकतंत्र को चुना है। लोकतंत्र भाग्यशाली है कि सूडान की आवाम ने उसे चुना है। अपने मुल्क में तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करने वाली आवाम ही लोकतंत्र की धरोहर है।

उमर अल बशर के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में जितने लोग सड़कों पर उतरे, उनमें 70% महिलाएं थी। दुनियाभर के तानाशाहों को इन महिलाओं से डरना चाहिए। उन्हें डरना चाहिए इस तस्वीर में नज़र आ रही कार से, जिसके शीशे बंदूकों की गोलियों के डर से नहीं टूटेंगे। उन्हें डरना चाहिए हर उस कार से जिसकी छत किसी “अल सलाहा” का इंतज़ार कर रही है। उन्हें डरना चाहिए कि डर के साए में भी कोई “अल सलाहा” हिम्मत को चुनेगी और उनके सर पर चढ़ कर क्रांति के गीत गाएगी।

11 अप्रैल को सूडान की मिलिट्री ने राष्ट्रपति उमर अल बशर को उनके पद से बर्खास्त कर दिया लेकिन जनता अभी भी सड़कों पर डटी हुई है। उनकी मांग है कि मिलिट्री उन्हें सत्ता सौंप दे और लोकतंत्र बहाल हो।

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