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‘राज़ी’ वतन से प्यार करने वालों के लिए एक खूबसूरत तोहफा है

alia bhatt and vicky kaushal movie raazi review

मेघना गुलज़ार की ‘राज़ी’ आलिया भट्ट के अभिनय से सजी बेहतरीन फिल्म है। आलिया ने अपने किरदार को ज़ोरदार तरीके से निभाया भी है। उनकी सादगी भरी खूबसूरती भी मन मोह लेती है। शुरू-शुरू में मासूम लड़की के रोल में आलिया लड़खड़ाती सी प्रतीत होती हैं। धीरे-धीरे समझ आता है कि दरअसल वो किरदार को नफासत से निभा रही हैं।

हर हाव-भाव पर अच्छा नियंत्रण उनमें देखा गया। खून करने के अपराध बोध में उनका अभिनय कमाल था। यकीनन ‘राज़ी’ आलिया के सबसे परिपक्व कामों में देखा जाएगा। विक्की कौशल ने पाकिस्तानी आर्मी अफसर का किरदार बखूबी निभाया है। जयदीप अहलावत खालिद मीर के रोल में प्रभावित करते हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी कश्मीर के हिदायत खान (रजित कपूर) और उनकी बेगम तेज़ी (सोनी राजदान) से शुरू होती है, जिनकी बेटी सहमत (आलिया भट्ट) दिल्ली में पढ़ाई कर रही है। भारत के खुफिया ट्रेनिंग के प्रमुख खालिद मीर (जयदीप अहलावत) हिदायत के अच्छे दोस्त हैं। हिदायत का काम खुफिया सूचनाओं को समय पर देश तक पहुंचाना है। सहमत के जीवन में अचानक एक बड़ी तब्दीली आती है, जब उसके पिता हिदायत खान (रजत कपूर) जो भारतीय खुफिया एजेंसी के सदस्य हैं, उसका विवाह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी इकबाल (विक्की कौशल) से कर देते हैं ताकि सहमत पाकिस्तान रहकर भारत के लिए जासूसी कर सके।

शादी के बाद वो धीरे-धीरे इकबाल के परिवार में घुलमिल कर खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने लगती है। पाकिस्तान आने के असल मकसद को छुपाती है। फिल्म एक जासूस के जटिल इंसानी रिश्तों की परतें खोलती है, जहां अपने लगाव को नज़रअंदाज़ कर मिशन के लिए जीना होता है।

फिल्म के सारे कलाकारों ने उच्च स्तर का अभिनय किया है। विक्की कौशल सहमत के शांत पति की भूमिका में अपनी सहजता से प्रभावित करते हैं। हरेक किरदार पर मेहनत नज़र आती है। सहमत के बाबा के रोल में रजित कपूर पिताओं वाली मुहब्बत और फिक्र भरने में सफल रहे। फिल्म का विदाई गीत ‘बाबा मैं तेरी मल्लिका’ में बाप-बेटी का स्नेह देखते बनता है। जयदीप अहलावत को आलिया के रॉ प्रशिक्षक का किरदार मिला। ऐसे कुशल कलाकारों को हर रोल दिया जाना चाहिए।

फोटो सोर्स- Youtube

फिल्म का गाना, संवाद से लेकर अभिनय तक में है कमाल

‘राज़ी’ को गुलज़ार साहब की अदृश्य मौजूदगी के लिए भी याद किया जाना चाहिए। मेघना गुलज़ार के लिखे संवादों में उनका प्रभाव आसानी से समझ आता है। पटकथा में कई मौजूद रूमानी लम्हें एक तरह से उनकी देन लगती हैं।

फिल्म में चार गाने हैं, चारों उम्दा हैं। गुलज़ार कमाल करते हैं। इस वर्ष का ‘फिल्मफेयर श्रेष्ठ गीत’ अवॉर्ड आपको राज़ी के ही गीत ‘ऐ वतन’ के लिए मिला है। शंकर-एहसान-लॉय व गुलज़ार की टीम कमाल करती है। गुलज़ार के अलावा फिल्म के खाते में श्रेष्ठ अभिनेत्री, श्रेष्ठ फिल्म तथा श्रेष्ठ गायक का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी आया।

मेघना गुलज़ार की ‘राज़ी’ हर उस इंसान को एक खूबसूरत तोहफा है, जिसे अपने वतन से प्यार है। यह फिल्म एक भारतीय अंडरकवर एजेंट की सच्ची कहानी से प्रेरित है। 1971 के आस-पास भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात बन रहे थे। फिल्म उसी समय की एक भारतीय महिला अंडरकवर एजेंट की कहानी है। मूल रूप से नेवी ऑफिसर हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित है।

फोटो सोर्स- Youtube

रवींद्र कौशिक के नाम से बहुत से लोग परिचित होंगे। रॉ के यह जासूस किंवदंतियों का हिस्सा बन चुके हैं। रवींद्र ने एक अरसे तक पाकिस्तान में रहकर वहां की आर्मी की जासूसी की। अहम जानकारियां सरहद पार से हिंदुस्तान भेजी। कहते हैं कि आपने खुद को इस कदर पाकिस्तानी बना लिया था कि वहां रच बस से गए थे। दरअसल, ‘कॉलिंग सहमत’ में इसी का ज़िक्र मिलता है।

बेहतरीन अदाकारी, निर्देशन, गीत संगीत एवं कथानक वाली यह फिल्म लम्बें समय तक याद की जाएगी। फिल्म में जासूसी करने के दिलचस्प तरीके हैं लेकिन कहीं भी शोर व हंगामा की ख्वाहिश नहीं है। कथाक्रम में मानवीयता का पुट रोचक है। सहमत के जासूस होने का खुलासा दहशत पैदा कर देने वाले बैकग्राउंड म्यूज़िक के साथ नहीं किया गया। बड़ी संजीदगी से कदम उठाए गए।

‘राज़ी’ बॉलीवुड की स्टीरियोटाइप जासूसी फिल्मों से जुड़े खुद को दूर रखने में सफल है। देशभक्ति पर बनी होने के बावजूद फिल्म अंत तक अनावश्यक चीज़ों से दूर रही। अच्छा संवाद आपको सवालों के घेरे में छोड़ जाता है। आलिया की राज़ी भी वही करती है।

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