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काँग्रेस की 72 हज़ार बांटने वाली योजना तो अच्छी है लेकिन पैसे कहां से आएंगे?

काँग्रेस घोषणापत्र

काँग्रेस घोषणापत्र

25 मार्च 2019 को काँग्रेस सरकार एक अनाउंसमेंट करती है कि वह 25 करोड़ हाउसहोल्ड में से सबसे ज़्यादा गरीब 20% लोगों को जिनकी वार्षिक आय 72000 से कम तथा मासिक आय 12000 से कम है, उन्हें 6 हज़ार रुपये महीना या 72000 रुपये सालाना की आय देगी।

वैसे तो यह स्कीम भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना’ की राइवल लगती है लेकिन एक नज़र देखने पर उससे कहीं ज़्यादा बेहतर भी लगती है। ज़मीनी नज़रिये से क्या यह पूरे तरीके से संभव है, इसे कैसे लागू किया जाएगा और इसमें कठिनाइयां क्या-क्या आएंगी, यह सब समझना होगा।

6000 रुपये हर महीने या 72000 हज़ार सालाना देने का मतलब यह नहीं है कि उन गरीब 20% के अकाउंट में हर महीने 6000 रुपये या 72000 रुपये सालाना भेज दिया जाएगा, बल्कि इस स्कीम के अनुसार यह एक ब्रिज का काम करेगी, कैसा ब्रिज आइए समझते हैं।

मान लीजिए आपकी फैमिली की महीने की इनकम 4000 रुपये है या आपकी फैमिली की सालाना इनकम 48000 रुपये है, तो जो बचा हुआ पैसा, जो कि 2000 रुपये महीना या 24000 रुपये सालाना है, आपकी मिनिमम आय को बराबर करने के लिए वह पैसा सरकार की तरफ से आपको इस स्कीम के तहत दी जाएगी।

अब हमें यह समझना होगा कि सरकार यह इन्श्योर कैसे करेगी कि भारत के 20% गरीब लोग कौन हैं, जिनको इसका लाभ मिलना है?

भारत जैसे देश में करप्शन कितना ज़्यादा है और नकली डॉक्यूमेंट बनाना कितना आसान है, हम और आप अच्छे से जानते हैं। भारत आज भी आधिकारिक इनकम डाटा नहीं कलेक्ट करता है, इसलिए वे 20% लोग जो इसके असल में लाभार्थी हैं, उनका आंकड़ा निकालना बहुत मुश्किल होगा और हम सभी जानते हैं कि भारत में इनकम सर्टिफिकेट प्राप्त करना बहुत ही करप्ट प्रॉसेस है।

राहुल गाँधी। फोटो साभार: Getty Images

एसईसीसी डाटा-2011 (सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना) का उपयोग अगर किया जाए तो भी इसे पूरी तरीके से नहीं समझा जा सकता कि कौन इसके लाभार्थी हैं क्योंकि भारत में गरीबी चेक करने के भी बहुत अजीब तरीके हैं। जैसे कि आपके पास किस टाइप का घर है कच्चा या पक्का, ज़मीन ज़ायदात कितनी है, परमानेंट जॉब है या नहीं इत्यादि। इनकम डाटा सही तरीके से इकठ्ठा किया ही नहीं जा सकता है।

अब हम समझते हैं कि इसका क्या असर होगा

तो क्या काँग्रेस सरकार इन सभी योजनाओं से काटकर यह स्कीम लागू करेगी? अगर किसी और तरीके से करती भी है, तो इसका असर राजकोष पर बहुत ज़्यादा पड़ेगा जो शायद पूरा नहीं किया जा सकेगा।

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