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बिहार पुलिस ने बलात्कार के आरोपी बाबा मनमोहन के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र

बाबा मनमोहन

सुपौल पुलिस ने संत मनमोहन साहेब के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। इस चार्जशीट में संत पर बलात्कार, अपराधिक धमकी और महिला के सम्मान को भंग करने के संगीन आरोप लगे हैं।

                                                                                      आरोप पत्र का पृष्ठ संख्या 4

सर्वाइवर के लिखित आवेदन पर प्राथमिकी नामज़द अभियुक्त संत मनमोहन साहेब, साकिम पचभिंडा थाना मरौना ज़िला सुपौल के विरुद्ध वादिनी और वादिनी की छोटी बहन के साथ सत्संग प्रवचन के दौरान ब्लैक मेल, यौन शोषण करने और किसी को बताने पर अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने और धमकी देने के आरोप हैं।

अब तक के अनुसंधान, घटनास्थल का निरीक्षण, वादी एवं गवाहों के बयान, पर्यवेक्षण, मेडिकल रिपोर्ट और धारा 164 सीआरपीसी के अंतर्गत बयान दर्ज़ है। प्रतिवेदन 2 में यह धारा 341, 376, 504, 506 और 509 आईपीसी भारतीय दंड विधान के अंतर्गत नामज़द अभियुक्त के विरुद्ध सत्य पाया गया है।

लुधियाना पंजाब की रहने वाली दोनों साधवी बहनों ने अपने साथ हुए बलात्कार की घटना को प्रमुखता से लिखकर, भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय महिला आयोग और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा था, जिसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बिहार सुपौल के एसपी को कानून अनुरूप कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।

ईमेल मिलते ही फैल गई सनसनी

महिला आयोग और सर्वाइवर के ईमेल मिलते ही बिहार पुलिस में सनसनी फैल गई थी और वह संत की तलाश करने लगे थे। इसी दौरान सर्वाइवर की बड़ी बहन ने सुपौल महिला थाना पहुंचकर 29 जनवरी 2019 को, बलात्कारी संत के काले कारनामों की पोल खोलते हुए लिखित शिकायत की।

जिसके उपरांत सुपौल महिला थाना ने सर्वाइवर का बयान दर्ज़ किया और बलात्कारी संत को उसके फुलपरास मधुबनी स्थित आश्रम से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

संत समुदाय में रोष

आरोप पत्र दाखिल होने के बाद संत समुदाय में काफी रोष है। कुछ लोगों को यह संदेह था कि संत को फंसाया तो नहीं जा रहा मगर आरोप साबित होते ही लोग संत को कोस रहे हैं और संत समाज को कलंकित करने के आरोप में कड़ी-से-कड़ी सज़ा की मांग कर रहे हैं।

सुपौल महिला थाना की जांबाज़ थानाध्यक्ष और इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर भूपाश्री प्रेमलता द्वारा पूरी जांच-पड़ताल के बाद दाखिल आरोप पत्र में जिन धाराओं का ज़िक्र है, वह अत्यंत गंभीर और संगीन है। इसमें बाबा को दस साल या उम्रकैद की सज़ा हो सकती है।

क्या है धारा 376 आईपीसी?

किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोप में धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। इसमें पुलिस द्वारा जांच-पड़ताल के बाद सबूतों और गवाहों के आधार पर दोनों पक्ष अपनी दलीलें पेश करते हैं। जिसपर जज अपने अनुभव और विवेक अनुसार निर्णय लेते हैं।

अपराध सिद्ध होने पर दोषी को सात साल या अधिकतम दस साल तक कड़ी सज़ा और आजीवन कारावास दिए जाने का प्रावधान है। जिससे अपराधी को अपने गुनाह का एहसास हो।

क्या है धारा 504 आईपीसी?

यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का अपमान करता है या अपराध करने के लिए उकसाता है तो उसपर आईपीसी की धारा 504 लगती है। इस धारा में दो साल की सज़ा का प्रावधान है।

क्या है धारा 509 आईपीसी?

भारतीय दंड संहिता की धारा 509 उन लोगों पर लगाई जाती है जो किसी औरत के सम्मान को चोट पहुंचाने वाली बात कहते हैं या प्राइवेसी में दखल देते हैं, तो उनपर धारा 509 के तहत मुकदमा दर्ज़ किया जाता है।

इस धारा के तहत जुर्माना, एक साल तक की सज़ा या जुर्माने के साथ सज़ा का प्रावधान है।

क्या है धारा 506 आईपीसी?

यदि कोई व्यक्ति किसी को धमकी देता है। जैसे- किसी को जान से मारने या रेप करने की धमकी। इसपर आईपीसी की धारा 506 लगती है। इसमें सात साल की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

इन विभिन्न धाराओं के तहत जुर्माना और सज़ा का प्रावधान तो है मगर लचर न्याय व्यवस्था और कार्रवाई के अभाव में अपराध दर कम नहीं हो रहे हैं।

सत्संग प्रवचन के बहाने महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं, जिसपर काबू पाना बेहद ज़रूरी है इसलिए महिलाओं को स्वयं जागरूक होकर समाज को इन अपराधों से मुक्त करना होगा।

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