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क्या भोपाल में साध्वी के ज़रिये BJP हिन्दू कार्ड का दाव चल रही है?

साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा

भाजपा ने बुधवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया, जिसके बाद भाजपा आतंकवाद के आरोपी किसी व्यक्ति को टिकट देने वाली पहली प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई है।

वर्तमान में प्रज्ञा मुंबई की एक अदालत में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की कड़ी धाराओं के तहत मुकदमें का सामना कर रही हैं मगर ज़मानत पर बाहर हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रज्ञा को मीडिया से रूबरू कराते समय कहा था कि वह देश को सुरक्षित रखने के लिए पैदा हुई हैं।

शायद शिवराज भूल गए कि उनकी अपनी पुलिस ने उन्हें 2008 और 2011 में सुनील जोशी की  हत्या में शामिल होने के आरोप में दो बार गिरफ्तार किया था।

साध्वी  की उम्मीदवारी हिन्दू कार्ड

विकास की राजनीति में असफल भाजपा के लिए साध्वी की उम्मीदवारी शायद वरदान साबित हो इसलिए उन्हें हिन्दू कार्ड खेलने के लिए चुना गया है। भोपाल और उज्जैन दंगों के बाद 2003 में गठित न्यायमूर्ति केके दूबे आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल को सांप्रदायिक तनाव के कारण अति-संवेदनशील शहर के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

साध्वी  की उम्मीदवारी सौहार्द के लिए खतरा

साध्वी की उम्मीदवारी निश्चित रूप से शहर के चरमराते सौहार्द के लिए खतरा है और राजनीतिक मैदान में उनके प्रवेश से बयान और आक्रामक होंगे जो सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाएंगे।

हाल ही में दिए गए बयान में साध्वी ने तत्कालीन महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या को उनके कर्मों का फल बताया था और हिरासत के दौरान करकरे पर शोषण का आरोप लगाते हुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा हेमंत करकरे की हत्या श्राप का नतीज़ा है। ऐसा वक्तव्य उनकी घृणत मानसिकता को उजागर करता है और ज़ाहिर करता है कि वह बदले की भावना से किस हद तक ग्रस्त हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना

साध्वी कानूनी रूप से चुनाव लड़ने में सक्षम हैं लेकिन उनकी उम्मीदवारी प्रजातंत्र के लिए श्राप से कम नहीं है। 25 सितंबर, 2018 को लोकहित फाउंडेशन मामले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने जघन्य और गंभीर अपराधों में संलिप्त व्यक्तियों को प्रतिनिधि ना चुनने के निर्देश दिए थे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साध्वी। फोटो साभार: Getty Images

साध्वी भी आतंकवाद और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में आरोपी हैं। भले ही संवैधानिक अधिकार के तहत आरोप ना सिद्ध होने तक निर्दोष मानी जाएंगी लेकिन उनके इतिहास को भविष्य से अलग रखना तर्क संगत नहीं है।

साध्वी आरएसएस से जुड़ी एक अति हिंदूवादी नेता हैं। वह भाषण मात्र से ही धार्मिक ध्रुवीकरण करने में सक्षम हैं तथा मौजूदा राजनीतिक परिस्थितयों के लिए घातक साबित हो सकती हैं।

अब चुनावी परिणाम ही फैसला करेंगे कि वह भाजपा के लिए वरदान या भोपाल के लिए श्राप सिद्ध होंगी लेकिन संवैधानिक अधिकार को लोकतंत्र के लिए श्राप बनाने की भाजपा की नियत साफ है।

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