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BJP के संकल्प पत्र में किसानों की पेंशन की बात बजट से अलग क्यों है?

किसान

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किसान कर्ज़माफी का नारा देकर वर्ष 2018  में तीन राज्यों, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में जब से काँग्रेस ने जीत हासिल की, तब से सभी राजनीतिक पार्टियां किसानों के कल्याण की घोषणाएं करने में एक दूसरे से आगे आने की होड़ में लग गई हैं।

भाजपा ने इस पारी के अंतिम बजट में घोषणा की कि ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना’ के तहत पांच एकड़ तक की ज़मीन वाले सभी छोटे और सीमान्त किसानों को प्रतिवर्ष छह हज़ार रूपए दिए जाएंगे।

बाद में राहुल गाँधी के पांच करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय योजना के तहत प्रति परिवार प्रतिवर्ष 72000 रुपए देने की घोषणा ने बीजेपी के गरीब परिवारों के वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास को विफल कर दिया और भाजपा द्वारा  गरीबों के वोट खींचने की आस पर पानी फेर दिया।

काँग्रेस के इस तीर को काटने के लिए भाजपा ने अपने ताज़ा जारी संकल्प पत्र में एक और तीर चलाया कि प्रधानमंत्री  किसान सम्मान योजना के तहत बिना भू-सीमा के सभी  किसानों  को 6 हज़ार रुपये का लाभ मिलेगा।

केवल छोटे किसानों को ही मदद देने से छोटे किसान भाजपा से जुड़ेंगे या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा मगर सभी किसानों को इस योजना के दायरे में ना लेने से बड़े किसान अवश्य भाजपा से नाराज़ हो गए थे। अब संकल्प पत्र में सभी किसानों को जोड़ने की घोषणा से भाजपा ने अपने विश्वसनीय वोट बैंक रहे बड़े किसानों को पुनः अपने से बांधे रखने का प्रयास किया है।

इस अचानक तब्दीली के बारे में भाजपा का तर्क

केंद्र में रेलवे एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल, जिन्होंने भाजपा की इस पारी का अंतिम बजट भी पेश किया था, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में, जो 10  अप्रैल 2019 के अंक में प्रकाशित हुआ है, तर्क दिया, “हमारे संज्ञान में एक जेन्युइन मामला आया कि देश के कई क्षेत्रों में बड़े किसान भी अधिक वर्षा, सुखाड़ या बाढ़ की मार से परेशान होते रहे हैं।”

पीयूष गोयल। फोटो साभार: Getty Images

उन्होंने आगे कहा, “बुन्देलखण्ड की भांति कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां किसान सूखे से प्रभावित हैं। सभी किसानों ने, सामूहिक रूप से देश को खाद्यान तथा अन्य फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसलिए हमने सोचा कि सभी किसानों को प्रधानमंत्री  किसान सम्मान योजना के तहत कवर किया जाए।”

फिर पांच एकड़ से अधिक वाले किसान बुढ़ापा पेंशन से वंचित क्यों?

भाजपा द्वारा जारी संकल्प पत्र में भाजपा ने घोषणा की है कि सभी छोटे और सीमांत किसानों को 60 साल के बाद पेंशन की सुविधा देंगे। हम देश में सभी सीमांत और छोटे किसानों के लिए पेंशन की योजना आरंभ करेंगे ताकि 60 वर्ष के बाद भी उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

यदि भाजपा के संकल्प पत्र को ही भाजपा की आगामी योजनाओं का संकेत माना जाए, तो भाजपा केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के सीमांत और छोटे किसानों को ही बुढ़ापा पेंशन देगी।

जब भाजपा के केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल प्रधानमंत्री  किसान सम्मान योजना में बड़े किसानों को शामिल करने हेतु तर्क देते हैं कि छोटे या बड़े सभी किसान अधिक वर्षा, सुखा या बाढ़ की मार से परेशान होते हैं और सभी किसानों ने सामूहिक रूप से देश को खाद्यान्न तथा अन्य फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है, फिर किसानों को पेंशन देने में पांच एकड़ की सीमा क्यों लगाई जा रही है?

क्यों नहीं पांच एकड़ से ऊपर वाले सभी किसानों को भी उनके देश की तरक्की में योगदान को देखते हुए बुढ़ापा पेंशन दी जाए ? हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं देश के उप-प्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी देवीलाल द्वारा हरियाणा में 1987 में शुरू की गई 60 वर्ष से अधिक आयु वाले, ना केवल किसान बल्कि हरियाणा के हर नागरिक को बिना किसी व्यवसाय के भेदभाव किए अभी भी दी जा रही दो हज़ार रुपये प्रति माह सम्मान पेंशन की तर्ज पर देश के हर नागरिक को सम्मान पेंशन क्यों नहीं ?

अब प्रश्न उठता है कि क्या सारे देश में समान सिविल कोड लागू करने की हिमायती भाजपा अपने संकल्प पत्र को सारे देश में समान रूप से लागु करेगी?  यदि हां, तो क्या भाजपा सारे देश में समरूपता लाते हुए केवल पांच एकड़ तक वाले किसानों को ही साठ वर्ष से अधिक आयु होने पर पेंशन देगी?

तो क्या हरियाणा में, जहां प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है और जहां सभी किसान बिना किसी भूमि सीमा रेखा के बुढ़ापा पेंशन ले रहे हैं, वहां भी केवल छोटे और सीमान्त यानि पांच एकड़ तक के किसानों को ही पेंशन मिलेगी? तो क्या लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में पांच एकड़ से अधिक वाले किसानो की बुढ़ापा पेंशन बंद कर दी जाएगी?

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह

क्या भाजपा इतना कठोर कदम उठा पाएगी? क्या भाजपा पहले से शोषित किसानों के आक्रोश को झेल पाएगी? इन सवालों के उत्तर भाजपा पहले दे चुकी है। वर्ष 2004 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कर्मचारी यूनियनों के आक्रोश की परवाह किए बिना मिलिट्री कर्मियों को छोड़कर पैरामिलिट्री फोर्सेज़ समेत सभी केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी थी, जिसका खामियाज़ा कर्मचारी आज तक भुगत रहे हैं और बार-बार पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाते रहते हैं।

खैर, हाथी की चाल से मस्ती में चल रही भाजपा इसकी कोई परवाह नहीं कर रही है और चले भी क्यों नहीं? हमारे देश का वोटर मुद्दों को नहीं देखता, बल्कि जुमलों से प्रभावित होकर वोट देता है या जातिगत व धार्मिक आधार पर निर्णय कर भेड़चाल में ईवीएम मशीन का बटन दबाता है और इसी बटन के साथ ही दबा देता है अपने देश और प्रगति का गला।

संदर्भ- बीजेपी मैनिफेस्टो

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